बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन का समय तेजी से नजदीक आ रहा है, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर राजनीतिक दलों में अभी भी विवाद और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। एक तरफ एनडीए ने अपने सीट शेयरिंग का ऐलान कर दिया है, वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया (I.N.D.I.A) ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है।
एनडीए के अंदर नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं। सूत्रों के अनुसार, बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार को गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर कुछ अनसुलझे मसले परेशान कर रहे हैं। उन्होंने दिल्ली में उच्च नेतृत्व से इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन अब तक सभी को संतुष्ट करने वाला समाधान नहीं निकल पाया है।
वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया का कहना है कि उनके यहां सबकुछ ठीक चल रहा है। लेकिन जब दिल्ली से पटना लौटे, तो देर शाम कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों के वरिष्ठ नेता लालू प्रसाद यादव ने सीट शेयरिंग की घोषणा से पहले ही संभावित उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह बांटना शुरू कर दिया। इस कदम से राजनीतिक गलियारों में कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सीट बंटवारा चुनावी रणनीति का सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है। किसी भी तरह की जल्दबाजी या असमंजस गठबंधन के अंदर मतभेद और असंतोष को जन्म दे सकता है, जो चुनावी प्रदर्शन पर असर डाल सकता है। अब जैसे-जैसे नामांकन की तारीख पास आ रही है, गठबंधन को अपनी रणनीति स्पष्ट करनी होगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार बिहार चुनाव में सीट बंटवारे और गठबंधन में तालमेल पर ध्यान न देने से पार्टियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। नीतीश कुमार की नाराजगी और इंडिया गठबंधन की आंतरिक कार्यवाही ने संकेत दिया है कि अभी भी कई अनसुलझे मसले हैं, जो चुनावी जंग को और पेचीदा बना सकते हैं।
सियासी हलकों में चर्चा है कि लालू प्रसाद यादव द्वारा देर शाम उम्मीदवारों को चिन्ह बांटना, गठबंधन के अंदर गहन रणनीतिक विचार का हिस्सा हो सकता है। इससे विपक्षी दलों के मतदाता और पार्टी कार्यकर्ता एकजुटता की भावना महसूस करें, लेकिन दूसरी ओर यह कदम एनडीए और अन्य राजनीतिक दलों के लिए भी रणनीतिक चुनौती पैदा कर सकता है।
राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि बिहार में चुनावी समीकरण हर बार बदलते रहते हैं और सीट बंटवारे पर लंबे समय तक सहमति न बनने की स्थिति में गठबंधन के अंदर घनिष्ठता और समर्थन प्रभावित हो सकता है। इसलिए, सभी दलों को अब समय रहते सीट बंटवारे पर अंतिम निर्णय करना जरूरी है।
इस प्रकार, पहले चरण के नामांकन से पहले बिहार में सीट बंटवारे का मुद्दा राजनीति के केंद्र में बना हुआ है। एनडीए और विपक्षी गठबंधन इंडिया दोनों ही गठबंधन में संतुलन बनाने और मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए रणनीतिक कदम उठा रहे हैं। अब यह देखने की बात होगी कि सीट बंटवारे को लेकर असमंजस कब तक दूर होता है और चुनावी तैयारियों में किस हद तक असर पड़ता है।
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