अजमेर ज़िले के पास स्थित खरेकड़ी गांव में सोमवार सुबह उस वक्त अफरातफरी मच गई जब गांव के एक ग्रामीण की झोपड़ी में 13 फीट लंबा और करीब 20 किलो वजनी अजगर दिखाई दिया। भारी-भरकम यह अजगर झोपड़ी में बंधी बकरियों के पास घात लगाकर बैठा था, जिससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया।
ग्रामीणों में दहशत का माहौलजानकारी के अनुसार, सुबह के समय झोपड़ी के मालिक ने जब बकरियों को चारा डालने के लिए अंदर कदम रखा, तो उसे कुछ अजीब हरकत दिखाई दी। पास जाकर देखा तो बकरियों के पीछे झाड़ियों में लिपटा विशालकाय अजगर बैठा था। यह दृश्य देखकर ग्रामीण के होश उड़ गए। उसने तुरंत शोर मचाया, जिसके बाद आसपास के लोग मौके पर जमा हो गए।
कुछ ही देर में घटना की खबर पूरे गांव में फैल गई। ग्रामीणों ने पहले तो खुद ही अजगर को भगाने की कोशिश की, लेकिन उसके आकार और ताकत को देखकर सभी पीछे हट गए।
रेस्क्यू टीम की त्वरित कार्रवाईग्रामीणों ने तुरंत वन विभाग को सूचना दी। सूचना मिलते ही वन विभाग की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। टीम ने सावधानीपूर्वक लगभग आधे घंटे के प्रयास के बाद अजगर को सुरक्षित पकड़ लिया।
रेस्क्यू टीम के सदस्यों ने बताया कि यह भारतीय अजगर प्रजाति (Indian Rock Python) है, जो पूरी तरह गैर-विषैला (Non-venomous) होता है, लेकिन इसकी ताकत और आकार के कारण यह छोटे जानवरों को आसानी से पकड़ सकता है।
टीम लीडर ने बताया, “अजगर पूरी तरह स्वस्थ था। संभवतः वह पास के जंगल क्षेत्र से भोजन की तलाश में गांव तक आ गया होगा। ग्रामीणों ने सही समय पर सूचना दी, जिससे किसी प्रकार की जान-माल की हानि नहीं हुई।”
'नाग पहाड़' में किया गया सुरक्षित रिलीज़अजगर को पकड़ने के बाद टीम ने उसे वाहन में रखकर अजमेर के पास स्थित 'नाग पहाड़' वन क्षेत्र में ले जाकर सुरक्षित रूप से छोड़ दिया। वहां का इलाका सरीसृपों और वन्यजीवों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
रेस्क्यू टीम के सदस्यों ने ग्रामीणों को बताया कि बरसात के बाद ऐसे सरीसृप अक्सर गांवों की ओर भटक जाते हैं, इसलिए किसी भी स्थिति में स्वयं से उन्हें मारने या छेड़ने की कोशिश न करें, बल्कि तुरंत वन विभाग को सूचना दें।
अजगर को सुरक्षित पकड़कर छोड़ने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। गांव के बुजुर्गों ने टीम के काम की सराहना करते हुए कहा कि अगर समय पर मदद नहीं मिलती, तो बड़ी दुर्घटना हो सकती थी।
वन विभाग की अपीलवन विभाग ने अपील जारी करते हुए कहा कि यदि कहीं भी जंगली जानवर या सरीसृप दिखाई दें, तो वन्यजीव हेल्पलाइन नंबर या स्थानीय फॉरेस्ट ऑफिस को तुरंत सूचित करें। इससे न केवल इंसानों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि वन्यजीवों की भी जान बचाई जा सकती है।
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