राजस्थान में अंतरजातीय विवाह करने पर 10 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि पाने के लिए तमाम तरह के फर्जीवाड़े किए जा रहे हैं। कई जोड़े ऐसे भी मिले हैं, जिनके पास दो-दो विवाह प्रमाण-पत्र थे। लिव-इन में रहने वाले जोड़े बच्चों की जानकारी छिपाकर विवाह प्रमाण-पत्र बनवा रहे हैं। इतना ही नहीं, यूपी-बिहार या अन्य राज्यों की लड़की या लड़के से शादी करने वाले दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर आवेदन कर रहे हैं। 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को 1295 आवेदन मिले। इनमें से 387 आवेदन खारिज कर दिए गए। इतनी बड़ी संख्या में आवेदन खारिज होने के पीछे की जांच में कुछ ऐसी ही चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। सबसे पहले जानते हैं कि किस स्तर पर लोग फर्जीवाड़ा कर रहे हैं।
केस-1: जांच में एक ही जोड़े के दो विवाह प्रमाण-पत्र मिले हनुमानगढ़ जिले के संगरिया में एक जोड़े ने दो विवाह प्रमाण-पत्र बनवा लिए थे। फील्ड में जांच में डीएलओ ने खारिज कर दिया। जोड़े के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ। फर्जी विवाह प्रमाण पत्र बनाने के मामले में नगरपालिका के अधिशासी अभियंता के खिलाफ कार्रवाई के लिए कलेक्टर को पत्र लिखा है। अधिकारी का जवाब: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि आवेदनों में कमियां हैं। हम उनकी जांच करवाते हैं। अपात्र लोगों को प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाती।
केस-2: 10 लाख में बन गया विवाह प्रमाण पत्र
कोटा में लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे दंपती के एक बच्चा था। लेकिन उन्होंने विवाह प्रमाण पत्र नहीं बनवाया। योजना के बारे में पता चलने पर उन्होंने प्रोत्साहन राशि पाने के लिए आगामी तिथि का विवाह प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया। जांच में पता चला कि दंपती का दो साल का बच्चा भी है। आवेदन के दौरान यह जानकारी नहीं दी गई। फील्ड वेरिफिकेशन में पता चला कि गलत तथ्यों के आधार पर विवाह प्रमाण पत्र बनवाया गया है। इसके बाद दंपती का फॉर्म रिजेक्ट कर दिया गया। अधिकारी का जवाब: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की संयुक्त निदेशक सविता कृष्णिया ने कहा- धोखाधड़ी जैसी कोई बात नहीं है। हम फील्ड में जांच करते हैं। मामले की तह तक पहुंचते हैं। अपात्रों को राशि का भुगतान नहीं किया गया। अंतरजातीय विवाह में कोटा और श्रीगंगानगर अव्वल, यहां सबसे ज्यादा आवेदन खारिज अंतरजातीय विवाह के लिए सबसे ज्यादा आवेदन कोटा, श्रीगंगानगर और जयपुर शहर से आए हैं।
कोटा पहले स्थान पर है, जबकि श्रीगंगानगर दूसरे स्थान पर है। कोटा में अंतरजातीय विवाह के लिए 150 और श्रीगंगानगर में 142 आवेदन आए। वहीं जयपुर शहर में 134 और अजमेर में 103 जोड़ों ने अंतरजातीय विवाह किया है। जोधपुर ग्रामीण और करौली सबसे पीछे 10 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दिए जाने के बावजूद जोधपुर ग्रामीण समेत आधा दर्जन जिलों के युवाओं को अंतरजातीय विवाह पसंद नहीं आ रहा है। जोधपुर ग्रामीण में अंतरजातीय विवाह के लिए एक भी आवेदन नहीं आया है। जबकि करौली जिले में मात्र 6 युवाओं ने अंतरजातीय विवाह कर प्रोत्साहन राशि के लिए आवेदन किया है। सिरोही में 7 और पाली जिले में 6 युवाओं ने आवेदन किया। इनमें से सिरोही में 1 और पाली जिले में 4 आवेदन खारिज हुए। जैसलमेर में एक आवेदन आया है। एक साल में 1295 आवेदन मिले, 387 फॉर्म निरस्त
राजस्थान में अंतरजातीय विवाह पर योजना का लाभ लेने के लिए 1 अप्रैल 2024 से अब तक 1295 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 387 लाभार्थियों के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि आवेदकों ने अधूरी जानकारी दी है। साथ ही लगाए गए आरोपों का समय पर जवाब नहीं दिया गया। दस्तावेज पूरे करने के लिए एक महीने का समय दिया गया था।
यूपी-बिहार में रचाई जा रही शादियां, प्रोत्साहन राशि पाने के लिए दोनों का राजस्थान का होना जरूरी
अधिकारियों की मानें तो राजस्थान में अंतरजातीय विवाह पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि अन्य राज्यों से ज्यादा है। आवेदन खारिज होने के पीछे बड़ी वजह यह है कि यूपी और बिहार की लड़कियों से प्रेम विवाह के मामले सामने आ रहे हैं। हनुमानगढ़ जिले में पिछले 5 साल में आधा दर्जन ऐसे आवेदन आए, जिनमें पति राजस्थान का और पत्नी दूसरे राज्य की थी। नियमानुसार प्रोत्साहन राशि पाने के लिए राजस्थान का निवासी होना जरूरी है। ऐसे जोड़े सिर्फ केंद्र सरकार से ही प्रोत्साहन राशि पाने के हकदार हैं।
अब तक एक के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं
फर्जी दस्तावेज जमा कराने के मामलों में अब तक कहीं भी केस दर्ज नहीं हुआ है और न ही किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई है। जिला समाज कल्याण अधिकारी कहते हैं कि हमें पूरे दस्तावेज चाहिए, जो भी दस्तावेज पूरे देगा, उसे 10 लाख रुपए मिलेंगे। दस्तावेज पूरे नहीं होने पर लाभार्थी को नुकसान होगा। अधिकारियों का मानना है कि यह प्रोत्साहन योजना है और 99 फीसदी मामलों में दस्तावेजों में नाम, जन्मतिथि जैसी गलतियां पाई जाती हैं। श्रीगंगानगर में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक वीरेंद्र सिंह ने बताया कि कई बार लोग समय पर विवाह प्रमाण पत्र नहीं बनवाते हैं। आय से अधिक संपत्ति भी फॉर्म निरस्त होने का बड़ा कारण है। नियमानुसार आवेदक की वार्षिक आय 2.5 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।
गलत जानकारी से रुक सकता है आवेदन
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव कुलदीप रांका का कहना है कि सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाएं हैं। हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक लाभार्थियों को इसका लाभ मिले। गलत जानकारी देने पर प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाती। नुकसान लाभार्थी का ही होगा।
क्या है योजना?
राजस्थान में अंतरजातीय विवाह पर सरकार 10 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि देती है। पहले सरकार अंतरजातीय विवाह पर 5 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि देती थी। अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को 10 लाख रुपए दिए जाएंगे। इस राशि में से 5 लाख रुपए 8 साल के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट किए जाएंगे। जबकि बाकी 5 लाख रुपए वर-वधू का संयुक्त बैंक खाता खोलकर जमा किए जाएंगे। इस योजना का नाम डॉ. सविता बेन अंबेडकर अंतर्जातीय विवाह योजना है। इसके तहत 75% राशि राज्य सरकार और 25% राशि केंद्र सरकार देती है।
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