राजस्थान में 13 साल की दुष्कर्म पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए खुद जज को अस्पताल पहुंचना पड़ा। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पवन जीनवाल ने अस्पताल पहुंचकर पीड़िता के परिजनों से बात की, साथ ही डॉक्टरों को फटकार भी लगाई। उनके हस्तक्षेप के कारण दुष्कर्म पीड़िता लड़की का गर्भपात हो सका। यह मामला राजस्थान की राजधानी जयपुर से महज 100 किलोमीटर दूर स्थित कोटपूतली का है।
कोटपूतली-बहारोड जिले की 13 साल की लड़की दुष्कर्म के बाद गर्भवती हो गई। इस मामले में परिजनों ने आरोपी के खिलाफ पुलिस थाने में पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज करवाया था। करीब 12 सप्ताह की गर्भवती होने के बावजूद पीड़िता को दो बार स्थानीय राजकीय बीडीएम जिला अस्पताल वापस भेज दिया गया, क्योंकि डॉक्टर गर्भपात को लेकर कानूनी पेचों को लेकर असमंजस में थे। जबकि इससे संबंधित आदेश की कॉपी भी डीएलएसए ने पुलिस के माध्यम से उपलब्ध कराई थी।
पीड़िता और परिजनों से किया संवाद
पीड़िता और परिजनों की सहमति के बाद गर्भपात का मामला जब राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के संज्ञान में लाया गया। प्राधिकरण सचिव एवं अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पवन जीनवाल ने पीड़िता और उसके परिजनों से बात की। उन्होंने गर्भपात के लिए जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी की।
डॉक्टरों को लगाई फटकार, तब हुई कार्रवाई
एडीजे जीनवाल जब गर्भपात में अनावश्यक देरी के चलते जिला अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने वहां मौजूद डॉक्टरों को फटकार लगाई। उन्होंने डॉक्टरों को मेडिकल एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी दी और तुरंत गर्भपात की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए। उनके हस्तक्षेप के बाद ही लड़की का गर्भपात हो सका। जीनवाल ने यह भी कहा कि पीड़िता को जल्द ही पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत आर्थिक सहायता दिलाई जाएगी।
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