अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने राजस्थान के सीकर जिले के शेखावाटी विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव फिर से शुरू करने की मांग को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान सैकड़ों छात्रों ने एकजुट होकर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के पुतले फूँके। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व एबीवीपी इकाई अध्यक्ष विकास गुर्जर ने किया, जिन्होंने छात्र संघ चुनावों को लोकतंत्र की रीढ़ बताया।
छात्र संघ चुनावों को रोकना लोकतंत्र पर हमला है
एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अपनी आंतरिक गुटबाजी के चलते 12 अगस्त 2023 को छात्र संघ चुनावों पर रोक लगाकर छात्र राजनीति को कमजोर किया। एबीवीपी के प्रदेश मंत्री अभिनव सिंह ने कहा, "अशोक गहलोत ने छात्र संघ चुनावों को रोककर परिसर में आपातकाल जैसे हालात पैदा कर दिए। अब वे सोशल मीडिया पर चुनावों की बात करके छात्रों को गुमराह कर रहे हैं।" उन्होंने मांग की कि सरकार तुरंत छात्र संघ चुनाव बहाल करे ताकि छात्रों को उनका अधिकार मिल सके।
लोकतंत्र के लिए छात्र संघ चुनाव ज़रूरी
इकाई अध्यक्ष विकास गुर्जर ने कहा, "छात्र संघ चुनाव विश्वविद्यालयों में नेतृत्व और लोकतंत्र की पहली पाठशाला हैं। इसे बंद करना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।" ज़िला संयोजक दीपिका भारद्वाज ने कहा कि छात्र संघ चुनाव युवा नेता तैयार करते हैं, जो देश की राजनीति को मज़बूत करते हैं। विशेष आमंत्रित सदस्य संदीप सेवदा ने कहा, "छात्रों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए छात्र संघ चुनाव ज़रूरी हैं। यही देश के लोकतंत्र को मज़बूत करने का आधार है।"
प्रदर्शन में सैकड़ों छात्र शामिल हुए
प्रदर्शन में एबीवीपी के विभाग संयोजक उत्तम चौधरी, अभिषेक पचार, सतेंद्र योगी, अभय प्रताप सिंह, नितेश शर्मा, अभिजीत सिंह, कृष्ण सेवदा, राजाराम घील, राजवीर, तेजकरण, अंकित चाहर, अक्षत तिवारी, नितेश खाकोली, अमित पारीक, हेमंत, सतवीर, रेणुका, कुसुम, योगिता समेत सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में मांग की कि छात्र संघ चुनाव जल्द से जल्द बहाल किए जाएँ।
छात्रों का सरकार को अल्टीमेटम
एबीवीपी इकाई मंत्री रमेश भींचर ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर छात्रसंघ चुनाव जल्द बहाल नहीं किए गए तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार से छात्रों की आवाज़ को गंभीरता से लेने और लोकतंत्र की इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की माँग की।
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