राजस्थान की राजनीति में बड़ा उलटफेर सामने आया है। अंता से भाजपा विधायक कंवरलाल मीना को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मीना की याचिका खारिज कर दी है और उन्हें दो सप्ताह के भीतर सरेंडर करने के आदेश दिए हैं। साथ ही उनकी सजा पर कोई रोक भी नहीं लगाई, जिसके चलते अब उनकी विधानसभा की सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जा रही है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कंवरलाल मीना को अब 14 दिन में जेल जाना होगा। संविधान और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत उनकी विधानसभा की सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जाएगी। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई पर भी सबकी नजर है।
सदस्यता रद्द करने की उठाई थी मांग
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले कांग्रेस ने बड़ा सियासी हमला बोला था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राजस्थान विधानसभा सचिवालय को ज्ञापन सौंपा था। इसमें उन्होंने मांग की कि तीन साल की सजा पाए विधायक की सदस्यता तुरंत रद्द की जाए। डोटासरा ने आरोप लगाया था कि विधानसभा अध्यक्ष को स्वत: संज्ञान लेकर विधायक की सदस्यता रद्द कर देनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने न तो कोई कार्रवाई की और न ही विपक्ष की बात सुनी। उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर विधायक की सदस्यता स्वत: समाप्त हो जाती है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2005 का है, जब विधायक कंवरलाल मीना की तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता से तीखी नोकझोंक हुई थी। आरोप है कि इस दौरान मीना ने अपनी रिवॉल्वर निकालकर एसडीएम की कनपटी पर तान दी और जान से मारने की धमकी दी। इसके अलावा घटना का वीडियो बना रहे वीडियोग्राफर की कैसेट निकालकर तोड़ दी।हालांकि, 2018 में एसीजेएम कोर्ट मनोहरथाना ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया था। लेकिन मामला एडीजे कोर्ट पहुंचा, जहां उन्हें वर्ष 2023 में तीन साल की सजा सुनाई गई। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने सजा बरकरार रखते हुए विधायक को सरेंडर करने का आदेश दिया।
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