राजस्थान में शिक्षा विभाग की महत्वाकांक्षी “समान परीक्षा योजना” इस वर्ष 20 नवंबर से शुरू होने जा रही है।
इस योजना के तहत इस बार सरकारी और निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग व्यवस्था लागू की जाएगी।
जहां सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को परीक्षा के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा, वहीं निजी (प्राइवेट) स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों से परीक्षा शुल्क वसूला जाएगा।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, समान परीक्षा योजना का उद्देश्य राज्य भर में शिक्षा के स्तर को एक समान करना और मूल्यांकन की पारदर्शिता बढ़ाना है।
इस योजना के अंतर्गत कक्षा 3, 5, 8, 9 और 11 के विद्यार्थियों की एक ही पैटर्न पर परीक्षा आयोजित की जाएगी, ताकि विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता का राज्यस्तरीय मूल्यांकन हो सके।
शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि सरकारी स्कूलों के छात्रों से कोई भी परीक्षा शुल्क नहीं लिया जाएगा।
इन परीक्षाओं की सारी व्यवस्थाएं — जैसे प्रश्नपत्र की छपाई, वितरण, उत्तर पुस्तिकाएँ और मूल्यांकन — राज्य सरकार के खर्चे पर की जाएंगी।
इससे लगभग 40 लाख से अधिक विद्यार्थियों को सीधी राहत मिलेगी।
निजी स्कूलों में विद्यार्थियों को देनी होगी फीस“राज्य सरकार का उद्देश्य शिक्षा को समान और सुलभ बनाना है। कोई भी छात्र आर्थिक कारणों से परीक्षा से वंचित न रहे, इसके लिए यह कदम उठाया गया है,”
शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) ने कहा।
वहीं निजी स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए परीक्षा शुल्क लागू रहेगा।
प्रत्येक छात्र से लगभग 100 से 150 रुपए तक का शुल्क वसूला जा सकता है, जो परीक्षा आयोजन और मूल्यांकन प्रक्रिया में उपयोग किया जाएगा।
हालांकि, शिक्षा विभाग ने निर्देश दिए हैं कि निजी स्कूल छात्र-हित को ध्यान में रखते हुए पारदर्शी तरीके से फीस वसूली करें और किसी विद्यार्थी पर दबाव न डालें।
इस बार मूल्यांकन प्रक्रिया भी पहले से अलग होगी।
उत्तर पुस्तिकाओं की जांच जिला स्तरीय मूल्यांकन केंद्रों पर की जाएगी और परिणाम ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किए जाएंगे।
इससे परीक्षा प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनेगी।
राज्य शिक्षा विभाग ने समान परीक्षा योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर मास्टर ट्रेनर तैयार किए जा रहे हैं, जो आगे स्कूल स्तर पर शिक्षकों को परीक्षा पैटर्न और मूल्यांकन प्रणाली के बारे में प्रशिक्षित करेंगे।
समान परीक्षा योजना को लेकर विद्यार्थियों और अभिभावकों में उत्सुकता है।
अभिभावकों का कहना है कि यह योजना विद्यार्थियों के बीच प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनाएगी और सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता को बेहतर करेगी।
राज्य सरकार का मानना है कि समान परीक्षा योजना से न केवल शिक्षा में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण और शहरी छात्रों के बीच का शैक्षणिक अंतर भी कम होगा।
अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि 20 नवंबर से शुरू होने वाली इस परीक्षा व्यवस्था को कितना प्रभावी रूप से लागू किया जा पाता है।
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