"हमें नहीं पता था आज डेब्यू होने वाला है. टॉस हुआ तो मालूम चला अंशुल खेल रहे हैं."
मैनचेस्टर टेस्ट में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ भारतीय क्रिकेट टीम के लिए डेब्यू करने वाले अंशुल कंबोज के छोटे भाई संयम ने बीबीसी से बात करते हुए यह बताया.
बुधवार से भारत और इंग्लैंड के बीच एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी का चौथा टेस्ट शुरू हुआ है. टॉस से ठीक पहले 25 साल के अंशुल कंबोज को डेब्यू कैप दी गई और वो भारत की ओर से टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले 318वें क्रिकेटर बने.
अंशुल के कोच सतीश राणा ने बीबीसी को बताया कि शुरुआती दिनों में ट्रेनिंग के दौरान ही उन्हें भरोसा हो गया था कि अंशुल एक दिन टीम इंडिया के लिए ज़रूर खेलेंगे.
अंशुल हरियाणा के करनाल ज़िले के फाजिलपुरा गांव के रहने वाले हैं. वे 11 साल की उम्र से करनाल में सतीश राणा की क्रिकेट एकेडमी में प्रैक्टिस कर रहे हैं.
अंशुल के पिता किसान हैं. वे ही पहली बार अपने बेटे को करनाल की इस एकेडमी में लेकर गए थे.
ट्रेनिंग के शुरुआती सालों में हर दिन उनके पिता उन्हें एकेडमी लेकर जाया करते थे. हालांकि कुछ सालों के बाद अंशुल खुद ही बस से करनाल आने-जाने लगे.
अब अंशुल का परिवार करनाल शिफ्ट हो चुका है, लेकिन आज भी परिवार किराए के मकान में ही रहता है.
अंशुल अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत से ही ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज गेंदबाज़ ग्लेन मैकग्रा के फैन रहे हैं. अंशुल को बचपन से ही 'उनके (मैकग्रा) जैसा' बनना था.
अंशुल लगातार 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाज़ी करने की क्षमता रखते हैं. उनका लाइन और लेंग्थ पर कंट्रोल भी बेहतरीन है.
डेब्यू पर अंशुल के भाई संयम कहते हैं, "मम्मी-पापा बहुत खुश हैं. डेब्यू के बाद जो रिश्तेदार घर पर आए हुए थे, उन्हें मिठाई खिलाई."
जब हमने उनसे पूछा कि भारत के पहले बल्लेबाज़ी करने की वजह से अंशुल को भारत के लिए खेलते हुए देखने का इंतज़ार थोड़ा बढ़ गया होगा तो उन्होंने कहा, "टेस्ट मैच है. इतना इंतज़ार तो चलता है. हम चाहते हैं कि इंडिया अच्छा खेले और मैच में जीत हासिल करे."
संयम बीकॉम फ़ाइनल ईयर के स्टूडेंट हैं. अंशुल उम्र में उनसे चार साल बड़े हैं. संयम बताते हैं, "शुरुआत में तो अंशुल गांव में ही क्रिकेट खेलते थे और फिर पापा एकेडमी में लेकर गए थे."
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अंशुल के भाई बताते हैं, "एकेडमी की फ़ीस पहले ज़्यादा नहीं थी और बाद में सर (सतीश राणा) ने सब कुछ मैनेज किया. अब भी अंशुल उसी एकेडमी में प्रैक्टिस करते हैं. शुरुआत में अंशुल ग्लेन मैकग्रा की गेंदबाज़ी को देखा करते थे."
अंशुल के पापा क्रिकेट देखते हैं लेकिन उनकी मम्मी की दिलचस्पी क्रिकेट में बहुत ज़्यादा नहीं है. हालाँकि वो अपने बेटे का मैच ज़रूर देखती हैं और अपने बेटे के डेब्यू से काफी खुश हैं.
टीम इंडिया में चयन के बाद अंशुल की घर पर क्या बात हुई, इस पर संयम ने कहा, "ज्यादा बात तो नहीं हुई. पापा ने यही पूछा था कि प्रैक्टिस कैसी चल रही है."
अंशुल आईपीएल के बाद अपने गांव भी गए थे. उन्हें देखकर गांव में और भी बच्चे अब क्रिकेट की तैयारी करने लगे हैं.
अंशुल के चाचा यशपाल कंबोज बताते हैं, "अंशुल के डेब्यू पर गांव में काफी खुशी है. यहां पर त्योहार के जैसा माहौल है. हम मिठाई बांट रहे हैं. सभी को मिठाई खिला रहे हैं."
उन्होंने कहा कि अंशुल को क्रिकेट के अलावा कुछ पसंद ही नहीं है.
वो कहते हैं, "जिम, ग्राउंड और क्रिकेट यही अंशुल की ज़िंदगी है. अंशुल को मैं 10 साल से इन्हीं जगहों पर देख रहा हूं...या तो ग्राउंड पर या फिर जिम में."
अंडर-19 वर्ल्ड कप नहीं खेलने पर टूट सा गया था सपना
अंशुल ने हरियाणा के लिए अंडर-14, अंडर-16 और अंडर-19 क्रिकेट खेला है. 2020 में अंशुल का चयन अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए भी हुआ था, लेकिन टूर्नामेंट से ठीक पहले चोटिल होने की वजह से वो इसका हिस्सा नहीं बन पाए.
उस वक्त अंशुल निराश हो गए थे.
सतीश राणा बताते हैं, "अंशुल को बहुत समझाया. हर दिन लगभग एक-दो घंटे फ़ोन पर बात होती थी. मैं उसे कहता था, बेटे अभी कुछ नहीं हुआ, अभी तो सारा फ्यूचर है."
लॉकडाउन में अंशुल ने गांव के ग्राउंड में अपनी प्रैक्टिस जारी रखी.
अंशुल कंबोज के चाचा गौरव कंबोज बताते हैं, "लॉकडाउन में हम गांव के ग्राउंड में ही खेलते रहते थे. हम भी गांव में ही थे और जितना टाइम लॉकडाउन चला हम गांव में ही खेलते थे. चार से पांच घंटे गांव में ही प्रैक्टिस करते थे."
"अंशुल हर स्थिति को जीने वाला बच्चा है. गांव में हर कोई बहुत खुश है. ये उसके अकेले की जीत नहीं है, ये पूरे गांव की जीत है."
इसके बाद अंशुल ने 2023 में विजय हजारे ट्रॉफी में अपनी गेंदबाज़ी से छाप छोड़ी और हरियाणा को विजेता बनाने में अहम भूमिका निभाई. अंशुल ने इस ट्रॉफ़ी में 10 मैचों में 17 विकेट हासिल किए थे.
आईपीएल और रणजी का सफ़रइस प्रदर्शन के साथ आईपीएल में भी उनकी एंट्री हुई. साल 2024 में मुंबई इंडियंस ने अंशुल को 20 लाख रुपये में खरीदा था. पहले सीजन में अंशुल तीन मैचों में दो ही विकेट ले पाए थे.
लेकिन उसी साल रणजी क्रिकेट में अंशुल ने इतिहास रचा. केरल के ख़िलाफ़ रणजी ट्रॉफी मुक़ाबले में उन्होंने 30.1 ओवर में 49 रन देकर सभी 10 विकेट हासिल किए. अंशुल रणजी ट्रॉफी में ये मुकाम हासिल करने वाले तीसरे गेंदबाज़ बने.
इस परफॉर्मेंस के बाद अंशुल को चेन्नई सुपर किंग्स ने 3.8 करोड़ रुपये में खरीदा. इस साल आईपीएल में अंशुल ने आठ मैच खेलते हुए आठ विकेट हासिल किए.
सतीश राणा बताते हैं, "शुरुआत से ही अंशुल को तेज़ गेंदबाज़ बनना था. वो ग्लैन मैकग्रा की तरह लाइन और लेंग्थ पर कंट्रोल रख कर गेंदबाज़ी करता था. इसलिए उसकी लाइन और लेंग्थ काफी बेहतर है."
"अंशुल का गेम को लेकर फोकस रहता था और अब भी उसका वही फोकस है. दिन में आठ से दस घंटे प्रैक्टिस करता था. सुबह मेरे पास एकेडमी में आता था और शाम को जाता था. अच्छा प्लेयर बनने के लिए अंशुल ने दिन-रात मेहनत की है."
सतीश राणा बताते हैं, "रणजी में 10 विकेट लेने के बाद चीजें बदलीं और फिर अंशुल ने चेन्नई के लिए भी अच्छा प्रदर्शन किया. धोनी के साथ खेलने का अंशुल को फ़ायदा मिला है. धोनी काफी कूल हैं."
डेब्यू से एक दिन पहले सतीश राणा की अंशुल से बात हुई थी. सतीश राणा ने कहा, "अंशुल ने बताया था कि अगर डेब्यू का मौका मिलता है तो मैं अपना 100 फीसदी देने की पूरी कोशिश करूंगा."
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बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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