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बिहार के बोधगया में वियतनाम के यूट्यूबर्स आपस में क्यों उलझ रहे हैं?

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Shahnawaz Ahmad/BBC बोधगया में वियतनाम के क़रीब 30 यूट्यूबर पहुंचे हुए हैं

बिहार के बोधगया में वियतनाम से आए यूट्यूबर्स पुलिस के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. बीते तीन महीनों में बोधगया थाने में कुछ यूट्यूबर्स पर तीन एफ़आईआर दर्ज़ हो चुकी हैं.

ये सारे मामले वियतनाम से आए यूट्यूबर्स के बीच हुई आपसी हिंसक झड़प से जुड़े हैं. इन मामलों में गया पुलिस चार वियतनामी यूट्यूबर को गिरफ़्तार कर चुकी है.

दरअसल बीती अप्रैल में ले अन्ह तु नाम के एक धार्मिक नेता बोधगया आए थे, जिनके पीछे-पीछे ये यूट्यूबर्स बिहार आए हैं.

पुलिस के मुताबिक़ क़रीब 30 की संख्या में आए इन यूट्यूबर्स के दो गुट हैं. इसमें से एक गुट ले अन्ह तु को धार्मिक नेता (शिष्य उन्हें मास्टर कहते हैं) मानता है, जबकि दूसरा गुट उन्हें फेक़ (नकली) भिक्षु कहता है.

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भारत के बिहार राज्य का बोधगया शहर दुनियाभर के बौद्ध धर्म के अनुयायियों का प्रमुख तीर्थ स्थल है.

आमतौर पर शांत रहने वाले बोधगया में पहली बार इस तरह की घटनाएं हो रही हैं.

बोधगया के ऑफ़ सीज़न में वियतनामी यूट्यूबर image Shahnawaz Ahmad/BBC बोधगया का महाबोधि मंदिर बौद्ध धर्म मानने वालों के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल है

पर्यटन के लिहाज़ से बोधगया में अभी ऑफ़ सीज़न चल रहा है. अप्रैल से लेकर अगस्त तक यहां बहुत कम विदेशी पर्यटक आते हैं. आम तौर पर विदेशी पर्यटकों के आने का पीक सीज़न नवंबर, दिसंबर और जनवरी का महीना होता है.

इस समय बोधगया के टीका बिगहा में वियतनाम मोनास्ट्री खाली पड़ी है. उसकी देखभाल कर रहे उपेन्द्र कुमार बताते हैं, "अभी सारे वियतनामी पूजा के लिए नेपाल गए हैं. कुछ महीनों बाद वियतनाम के लोग यहां आएं."

लेकिन देसी-विदेशी टूरिस्ट से वीरान पड़े बोधगया शहर में फिलहाल वियतनामी यूट्यूबर्स डेरा डाले हुए हैं और इन सबका ठिकाना भंसाली ट्रस्ट का मेन गेट है. भंसाली ट्रस्ट ही वो जगह है जहां 'मास्टर' ले अन्ह तु ठहरे हुए हैं.

भंसाली ट्रस्ट विश्व विरासत महाबोधि मंदिर से महज़ 500 मीटर की दूरी पर है.

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image Shahnawaz Ahmad/BBC वियतनाम से आए यूट्यूबर्स दो ग्रुप में बंटे हुए हैं

ये वियतनामी यूट्यूबर्स ट्रस्ट के बाहर दोपहर की भीषण गर्मी में भी सेल्फ़ी स्टिक पर मोबाइल लगाए दिख जाते हैं. वो आस-पास के दृश्यों की लाइव स्ट्रीमिंग करते रहते हैं, जिस पर लगातार वियतनामी भाषा में कमेंट आते हैं.

जो दृश्य भंसाली ट्रस्ट के सामने दोपहर की भीषण गर्मी में दिखता है, वही आपको अहले सुबह भी दिखेगा.

हम जुलाई की उमस से भरी गर्मी में सुबह चार बजे भंसाली ट्रस्ट पहुंचे तो वहां कई नौजवान लड़के-लड़कियां और अन्य यूट्यूबर लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे थे. जैसे-जैसे उजाला हुआ वैसे-वैसे यूट्यूबर्स की संख्या बढ़ती गई.

इन यूट्यूबर्स को अंदर जाने की इज़ाज़त नहीं है, इसलिए ये भंसाली ट्रस्ट के बाहर से ही लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे हैं.

गेट पर खड़े बांउसर्स कहते हैं, "ये सब लड़ाई करते रहते हैं, इनको अंदर आने की इजाज़त नहीं है."

वियतनामी यूट्यूबर्स पर तीन एफ़आईआर image Shahnawaz Ahmad/BBC गया के एसएसपी आनंद कुमार बताते हैं भंसाली ट्रस्ट के पास पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है ताकि झड़प की घटनाएं आगे ना हों

बोधगया के भंसाली ट्रस्ट में आंखों का निशुल्क इलाज़ होता है. इस कारण यहां बड़ी संख्या में आम लोग आते हैं.

ले अन्ह तु के आने के बाद से ही भंसाली ट्रस्ट के बाहर दिन-रात यूट्यूबर्स का जमावड़ा रहता है.

गया के एसएसपी आनंद कुमार ने बीबीसी को बताया, "ले अन्ह तु और 15 से 20 भिक्षु तकरीबन तीन महीने पहले बोधगया आए थे. इनके साथ सेवादार और यूट्यूबर भी हैं. भिक्षु और सेवादार भंसाली ट्रस्ट में ही ठहरे हैं."

वो कहते हैं, "इन सभी के पास टूरिस्ट वीज़ा है. क़रीब 30 की संख्या में आए यूट्यूबर में कुछ ले अन्ह तु के पक्ष के हैं तो कुछ उनके विरोधी हैं. इन लोगों के बीच मई, जून, जुलाई के महीनों में हिंसक झड़पें हो चुकी हैं."

वियतनाम से आए इन यूट्यूबर्स के बीच पहली हिंसक झड़प 16 मई को हुई. बोधगया थाने में इसकी एफ़आईआर ट्रान थी होआई थुआंग नाम की एक महिला ने कराई है. ये महिला ले अन्ह तु की समर्थक हैं.

उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था, "मैं अपने मास्टर को फॉलो करते हुए आई हूं और ट्रेवल वीडियो बनाती हूं. लेकिन दो वियतनामी मूल की महिलाएं मेरे पास आईं और उन्होंने मुझ पर हमला कर दिया. उनके बाउंसरों ने मुझे पीटा."

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image Shahnawaz Ahmad/BBC बोधगया में वियतनामी यूट्यूबर्स के बीच कई बार झड़प हो चुकी है

इसके बाद 13 जून को बोधगया थाने में न्यूगेन क्यूई डाउ ने दो वियतनामी नागरिकों पर नामजद और चार अज्ञात वियतनामियों पर एफ़आईआर दर्ज़ कराई. वो ले अन्ह तु के विरोधी हैं.

ये शिकायत भी हिंसक झड़प से ही जुड़ी थी.

इस एफ़आईआर में शिकायतकर्ता ने मारपीट करने वालों को 'नकली बौद्ध भिक्षुओं' का समर्थक बताया.

तीसरी एफ़आईआर ले अन्ह तुआन नाम के शख़्स ने 16 जुलाई को कराई है. एफ़आईआर के मुताबिक़ ले अन्ह तुआन अपने दोस्त न्यूगेन वियत हंग के साथ सुबह घूमने निकले थे. इस दौरान उनपर चार यूट्यूबर्स ने चेन से हमला कर दिया.

गया एसएसपी आनंद कुमार बताते हैं, "पहले दो मामलों में किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई थी, लेकिन 16 जुलाई को हुई एफ़आईआर में चार वियतनामी यूट्यूबर्स बुई वैन सैंग, वैन लॉग सेन्ह, ट्रान थान्ह हाईन, वैन थुआन ह्यून की गिरफ़्तारी हुई है."

उन्होंने बताया, "इन सबको गया जेल में रखा गया है और जल्दी आरोप पत्र दायर किया जाएगा. चूंकि ये मामला विदेशी नागरिकों से संबंधित है इसलिए इस मामले में सभी प्रोटोकॉल फ़ॉलो किए गए हैं. भंसाली ट्रस्ट के पास पुलिस पैदल गश्त और मोटरसाइकिल से मॉनिटरिंग कर रही है ताकि आगे ऐसी कोई घटना नहीं हो."

कौन हैं ले अन्ह तु ? image BBC वियतनाम से आए ले अन्ह तु का धार्मिक नाम थिच मिन्ह तुए है. ये धुतांग प्रथा का अभ्यास करते हैं जिसमें माना जाता है कि जीवन के लिए न्यूनतम ज़रूरतें होती हैं.

ले अन्ह तु का धार्मिक नाम थिच मिन्ह तुए है.

साल 1981 में वियतनाम के हा तिन्ह प्रांत में जन्मे ले अन्ह तु ने साल 2015 में भिक्षु बनने का फ़ैसला लिया. उन्होंने धुतांग साधना का मार्ग अपनाया.

उनकी वेबसाइट के मुताबिक़ ले अन्ह तु और उनके साथी 13 धुतांग प्रथाओं का अभ्यास करते हैं.

ले अन्ह तु के नज़दीक रहने वाले शिष्यों में एक विलाकोन बताते हैं कि ले अन्ह तु की आधिकारिक वेबसाइट 'मिन्हतुएपाथ' है.

इन प्रथाओं में भिक्षाटन, दिन में एक बार भोजन करने, पुराने कपड़े पहनने, कटोरे से खाना खाने, जंगल में रहने, लेटने नहीं बल्कि बैठने के प्रयास सहित अन्य ऐसे काम करने होते हैं जिससे जीवन की आवश्यकताएं न्यूनतम हो जाएं.

वेबसाइट के मुताबिक़ ले अन्ह तु ने नंगे पांव वियतनाम से पैदल यात्रा शुरू की थी. वहां से वो लाओस, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर और श्रीलंका होते हुए भारत आए हैं.

दरअसल, वियतनाम बुद्धिस्ट संघ, ले अन्ह तु को बौद्ध भिक्षु की मान्यता नहीं देता. जून 2024 में रेडियो फ्री एशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, "वियतनाम बुद्धिस्ट संघ ने ले अन्ह तु को बौद्ध भिक्षु मानने से इनकार कर दिया है."

हालांकि कई रिपोर्ट्स में उन्हें 'इंटरनेट सेंसेशन' बताया गया है, जिसके चलते यूट्यूबर्स का एक ग्रुप उनको लगातार फॉलो करता है.

गया पुलिस के पास भी वियतनाम दूतावास से जो पत्र आया है उसके मुताबिक़, वियतनाम का बुद्धिस्ट संघ ले अन्ह तु को भिक्षु नहीं मानता.

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'हम शर्मिन्दा हैं...' image Shahnawaz Ahmad/BBC वियतनाम से आए इन यूट्यूबर्स को हिन्दी या अंग्रेज़ी नहीं आती है, गया पुलिस भी इनसे बात करने के लिए एआई और स्थानीय अनुवादक की मदद ले रही है

ले अन्ह तु को बौद्ध भिक्षु मानने और नहीं मानने के इस विवाद के चलते ही यूट्यूबर्स उनके साथ रहते हैं.

हालांकि ले अन्ह तु के शिष्यों और उनकी वेबसाइट के मुताबिक़, "इन यूट्यूबर्स के साथ ले अन्ह तु का कोई संबंध नहीं है और वीडियोग्राफ़ी, लाइव स्ट्रीमिंग, धन उगाही या सार्वजनिक गतिविधि, संघ के मूल्यों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं."

ले अन्ह तु के एक शिष्य चाऊ ना चा हैं. इस ग्रुप में केवल उन्हें ही अंग्रेज़ी आती है.

वो कहते हैं, "हमारे मास्टर खुद को भिक्षु नहीं मानते. वो खुद को बुद्ध के उपदेशों का पालन करने वाला मानते हैं. यूट्यूबर्स का एक हिस्सा इस तरह की लाइव स्ट्रीमिंग से पैसे बना रहा है. कुछ लोगों के अपने अलग विचार हैं जिसकी वजह से हिंसक घटनाएं हो रही हैं."

वियतनाम से आए इन यूट्यूबर्स में से अधिकतर को हिन्दी या अंग्रेज़ी नहीं आती है. गया पुलिस भी एआई और स्थानीय अनुवादक की मदद से ही इनसे बात कर रही है और इनसे जुड़े मामले निपटा रही है.

एक स्थानीय अनुवादक सिद्धार्थ बीबीसी से कहते हैं, "ये लोग हमारे साथ भी मारपीट करने लगते हैं, इसलिए हम इनके मामलों से बच रहे हैं."

वियतनामी यूट्यूबर खाई किम ने जुलाई में हुई लड़ाई का वीडियो अपने चैनल पर अपलोड किया है. ट्रांसलेटर टूल की मदद से उन्होंने बीबीसी से बात की.

खाई किम बीबीसी से कहते हैं, "मैं लड़ाई में शामिल नहीं था. मैं तो बस वीडियो बना रहा था. ये यूट्यूबर आपस में मिल जुलकर नहीं रह पाते, खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते, इसलिए लड़ाई होती है."

हालांकि लड़ाई का ये वीडियो कई वियतनामी लोगों के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया है.

एक वियतनामी महिला ने बीबीसी से कहा, "हम लोगों ने जब लड़ाई का वीडियो देखा तो हमें बहुत शर्म महसूस हुई. हम उम्मीद कर रहे हैं कि वियतनाम दूतावास इस मामले में हस्तक्षेप करे."

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स्थानीय लोगों में गुदड़िया बाबा के तौर पर मशहूर image BBC स्थानीय ब्लॉगर बबलू कहते हैं कि इलाक़े में लोग इन बौद्ध भिक्षुओं को गुदड़िया बाबा कहते हैं क्योंकि ये लोग कटे-फटे कपड़े पहनते हैं

ले अन्ह तु, रोज़ाना भंसाली ट्रस्ट से सुबह आठ बजे निकलकर नज़दीक स्थित महाबोधि मंदिर जाते हैं, जहां वो पूजा-पाठ करके अपने अनुयायियों के सवालों का जवाब देते हैं.

महाबोधि मंदिर में पूजा-पाठ के बाद वो बोधगया की निरंजना नदी के किनारे बने श्मशान घाट में पूजा करते हैं.

बोधगया के स्थानीय निवासी शंकर गुप्ता कहते हैं, "ये लोग कुछ महीने से यहां आए हुए हैं. श्मशान घाट में जाकर पूजा करते हैं और फिर वहीं का कपड़ा लाकर उसे जोड़कर अपने लिए कपड़ा बनाते हैं. ये जैसे-तैसे कपड़े पहन लेते हैं, इसलिए हम लोग इन्हें गुदड़िया बाबा कहते हैं."

स्थानीय ब्लॉगर बबलू बताते हैं, "इनके साथ आए यूट्यूबर किस बात पर लड़ाई करते हैं ये तो नहीं मालूम, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके चैनल के व्यूज़ नहीं बढ़ रहे होंगे तो लड़ाई करके माहौल बनाते हैं."

ये भी दिलचस्प है कि ले अन्ह तु के पीछे-पीछे आए इन यूट्यूबर्स ने भी स्थानीय लोगों को भी अलग तरीके़ से रोज़गार दिया है.

मई महीने में जो हिंसक झड़प हुई, उसमें शामिल महिलाओं ने बोधगया के स्थानीय बाउंसर्स को अपनी सुरक्षा में लगाया है.

इसी तरह एक वियतनामी महिला यूट्यूबर दो मोबाइल से लाइव स्ट्रीमिंग करती हैं जिसके लिए उन्होंने गौतम कुमार नाम के ई-रिक्शे वाले को काम पर रख लिया है.

गौतम कुमार कहते हैं, "मैं इनके (महिला यूट्यूबर) के साथ दिन भर रहता हूं. ये बीते दो महीनों से मुझे रोज़ाना 400 से 500 रुपये दे रही हैं. ये कैमरा भी इन्हीं का है. ये लोग किस बात पर लड़ाई करते हैं, मुझे मालूम नहीं."

बीते तीन महीनों से बोधगया में रह रहे यूट्यूबर्स और बौद्ध भिक्षुओं का इन हिंसक झड़पों के बाद क्या होगा?

बोधगया के एसडीपीओ सौरभ जायसवाल इस सवाल का जवाब देते हैं, "हम लोगों ने आईबी सहित सभी संबंधित एजेंसियों को इन घटनाओं की जानकारी दे दी है."

वहीं ले अन्ह तु के शिष्य चाऊ ना चा कहते हैं, "हमें भारत सरकार पर पूरा भरोसा है. हमारा मानना है कि अगर हम क़ानून का पालन करते हैं तो सरकार हमें सुरक्षा देती है."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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