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मसूद अज़हर के 10 रिश्तेदार एयर स्ट्राइक में मारे गए, क्या है भारत के 'मोस्ट वॉन्टेड' की पूरी कहानी

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भारत के पाकिस्तान पर हमले के बाद चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने कहा है कि इस हमले में संगठन के मुखिया मसूद अज़हर के परिवार के दस सदस्य और चार करीबी सहयोगी मारे गए हैं.

इस बारे में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) की ओर से बुधवार को एक बयान जारी हुआ है. बीबीसी न्यूज़ उर्दू के मुताबिक मृतकों में मसूद अज़हर की बड़ी बहन और बहनोई, भांजे की पत्नी और भांजी के अलावा पांच बच्चे शामिल हैं.

इस बयान के मुताबिक पाकिस्तान के बहावलपुर में सुभान अल्लाह मस्जिद पर हमले में मसूद अज़हर के रिश्तेदारों की मौत हुई है.

इसी बहावलपुर में 10 जुलाई, 1968 को अल्लाहबख्श सबीर के परिवार में मसूद अज़हर का जन्म हुआ था. अज़हर के पिता सबीर बहावलपुर के एक सरकारी स्कूल में प्राधानाध्यापक थे.

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भारत के गृह मंत्रालय की ओर से सात मार्च 2024 को जारी मोस्ट वॉन्टेड लोगों की सूची में 57 साल के मसूद अज़हर का नाम पर है.

भारत के ख़िलाफ़ मसूद के अपराध की लंबी चौड़ी सूची है और कई मामलों में अभियुक्त के तौर पर उनका नाम है.

इन मामलों में एक अक्तूबर, 2001 को श्रीनगर में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा कॉम्प्लेक्स पर हमला भी शामिल है, जिसमें 38 लोगों की मौत हुई थी.

इसके बाद 12 दिसंबर, 2001 को भारत की में भी अज़हर का नाम है. इस हमले में सुरक्षा बल के छह जवान और तीन अन्य लोगों की मौत हुई थी.

पुलवामा हमले की साज़िश का आरोप image EPA 14 फ़रवरी, 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ़ के क़ाफ़िले पर हमला हुआ था जिसमें 40 से अधिक जवान मारे गए थे.

मसूद अज़हर पर ही पुलवामा हमले का आरोप भी है, जिसमें सुरक्षा बल के 40 जवानों की मौत हुई थी.

वैसे मौलाना मसूद अज़हर की सबसे ज़्यादा चर्चा कंधार हाईजैक के दौरान हुई थी. 1999 में कंधार हाईजैक के दौरान जिन तीन चरमपंथियों को रिहा करने की डिमांड की गई थी, उनमें मसूद अज़हर का नाम शामिल था.

भारत सरकार के तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह मसूद अज़हर को विशेष विमान से लेकर कंधार गए थे और उसके बाद से ही मसूद अज़हर की तलाश भारत की सुरक्षा एजेंसियों को रही है.

मसूद अज़हर की पहचान भारत में प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना की है. इसकी स्थापना मसूद अज़हर ने भारत से रिहाई के बाद की थी.

भारत सरकार लगातार यह दावा करती रही है कि इस संगठन का मुख्यालय पाकिस्तानी पंजाब के बहावलपुर में है.

यह भी एक वजह मानी जा रही है, जिसके कारण भारत ने पहली बार पाकिस्तान की सीमा में 100 किलोमीटर अंदर जाकर हमला किया है.

भारत कई बार पाकिस्तान से मसूद अज़हर को भारत के हवाले करने के लिए कह चुका है लेकिन पाकिस्तान ने कई बार यह दोहरा चुका है कि अज़हर पाकिस्तान में मौजूद नहीं है.

जिहादी गतिविधियों की शुरुआत image Getty Images

भारत 2009 से ही मौलाना मसूद अज़हर के जैश-ए-मोहम्मद को संयुक्त राष्ट्र की आतंकी संगठनों की सूची में शामिल करने की मांग करता आ रहा था, लेकिन चीन हमेशा इसके ख़िलाफ़ वीटो का प्रयोग करता रहा है.

क़रीब दस साल की कोशिशों और पुलवामा हमले के बाद एक मई, 2019 को संयुक्त राष्ट्र ने मौलाना मसूद अज़हर के संगठन को 'आतंकी संगठन' घोषित किया था, जिसको लेकर पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति पर सवाल उठाया था.

मसूद अज़हर के जिन क्रिया कलापों के बारे में भारतीय गृह मंत्रालय ने सूची में जिक्र किया है, उसके मुताबिक़, अज़हर के नेतृत्व में जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी गतिविधियों के लिए व्यापक भर्ती अभियान चलाता है और युवाओं को भारत के विरुद्ध कार्रवाई के लिए उकसाता रहा है.

जनवरी, 2002 में इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने मौलाना मसूद अज़हर के बारे में एक विस्तृत आलेख छापा है. इस आलेख के मुताबिक़ मसूद अज़हर का जिहादी गतिविधियों से जुड़ाव कराची में पढ़ाई के दौरान हुआ था.

भारत में मसूद अज़हर की गिरफ़्तारी image Getty Images

इस अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक़, मसूद अज़हर ने भारत में प्रवेश सीमा रेखा के रास्ते से नहीं किया था बल्कि जनवरी, 1994 में ढाका से दिल्ली हवाई उड़ान के ज़रिए किया था.

कुछ दिनों तक दिल्ली के नामचीन होटलों में ठहरने के बाद मसूद पहले देवबंद और फिर कश्मीर तक पहुंचे, जहां से 10 फ़रवरी, 1994 को भारतीय सुरक्षा बलों ने मसूद को हिरासत में लिया था.

मसूद के गिरफ़्तार होने के 10 महीनों के भीतर चरमपंथियों ने दिल्ली में कुछ विदेशियों को अग़वा कर उन्हें छोड़ने के बदले मसूद अज़हर की रिहाई की मांग की थी.

ये मुहिम असफल हो गई, क्योंकि उत्तर प्रदेश और दिल्ली पुलिस सहारनपुर से बंधकों को छुड़ाने में सफल हो गई.

एक साल बाद हरकत-उल-अंसार ने फिर कुछ विदेशियों का अपहरण कर उन्हें छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन ये प्रयास भी असफल रहा.

इसके बाद से 1999 में रिहाई तक अज़हर को जम्मू की कोट भलवाल जेल में रखा गया था. उस समय वहां कश्मीर से गिरफ़्तार हुए कश्मीरी, अफ़गान और पाकिस्तानी चरमपंथियों की एक पूरी टोली क़ैद थी.

इस में चरमपंथी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन के श्रीनगर में कमांडर कहे जाने वाले सैफ़ुल्लाह ख़ान और उसके दो सगे चरमपंथी भाई भी शामिल थे.

चरमपंथियों पर कितना प्रभाव image AFP

बीबीसी के संवाददाता रहे ज़ुबैर अहमद से श्रीनगर में में सैफुल्लाह ने दावा किया था कि मसूद अज़हर ने जेल में रहने के दौरान कुछ बातों का जिक्र किया था.

उन्होंने बताया था, "मौलाना का काम एक ही था, भाषण देना, उन्होंने बंदूक नहीं उठाई थी, किसी को मारा नहीं था. वो जिहाद की विचारधारा पर भाषण देते थे."

सैफुल्लाह के मुताबिक़ मौलाना अज़हर के भाषण का वहां मौजूद सभी चरमपंथियों पर ज़बरदस्त असर होता था. हालांकि ज़ुबैर अहमद ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का ज़िक्र किया था कि मौलाना के यूट्यूब पर मौजूद क्लिप्स भारत के ख़िलाफ़ भड़काने वाले थे.

बीबीसी न्यूज़ उर्दू के मौजूदा संपादक आसिफ़ फारूक़ी ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में बताया था कि 'पाकिस्तान में प्रतिबंध के बावजूद जैश-ए-मोहम्मद की कुछ हरकतें नज़र आईं, जिसके बारे में कहा जाता है कि उन्हें पाकिस्तानी खुफ़िया तंत्र की मदद मिलती रही. लेकिन इसका कोई प्रमाण या सबूत नहीं है.'

आसिफ़ फारूक़ी ने बताया था, "साल 1999 में कंधार कांड के बाद मसूद अज़हर ने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की मदद से जैश-ए-मोहम्मद बनाया. दो-तीन साल बाद पाकिस्तान में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और उनके संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया गया. मैंने आज तक कोई नेता नहीं देखा जिसने खुलेआम या दबे-छिपे तौर पर मसूद अज़हर के हक़ में कभी कोई बात कही हो.''

पाकिस्तान में कैसी है छवि image ANI

आसिफ़ फ़ारूकी बताते हैं, ''पाकिस्तान में मसूद अज़हर के बारे में कोई अच्छी राय नहीं है. सब जानते हैं कि वो एक चरमपंथी समूह के मुखिया है, चरमपंथ का प्रचार करते हैं."

"कई चरमपंथी घटनाओं में उनका हाथ रहा है. नौजवान उनके बारे में अच्छी राय नहीं रखता. लेकिन समाज का एक हिस्सा ऐसा भी है जो उनका समर्थन करता है. ये वो लोग हैं जो भारत को अपना दुश्मन मानते हैं. "

वैसे मौलाना मसूद अज़हर को सार्वजनिक तौर पर कम देखा गया है. हाफ़िज सईद की तरह पाकिस्तान की मीडिया में मौलाना से जुड़ी सुर्ख़ियां नहीं दिखती.

बीते दो दशकों के दौरान दो बार ही मसूद की सार्वजनिक मौजूदगी की चर्चा हुई है.

इस बारे में आसिफ़ फ़ारूकी ने बताया था, "कराची में एक जलसे में मौलाना नज़र आए थे और इसके बाद मुज़फ़्फ़राबाद के बाद ज़िहादी तंजीमों की कांफ्रेंस में उन्हें देखा गया था."

भारत ने बार-बार पाकिस्तान से मसूद अज़हर और उसके भाई अब्दुल रऊफ असगर के प्रत्यर्पण की मांग की है और पुलवामा घटना के बाद भी यह मांग दोहराई गई थी. 2018 से 2022 तक पाकिस्तान के विदेश मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से बातचीत में कहा था कि मसूद अज़हर पाकिस्तान में ही है, लेकिन वह इतना बीमार है कि बिस्तर से नहीं उठ सकता.

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