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TCS में 12,000 कर्मचारियों की छंटनी से निवेशक क्यों परेशान? क्या है निवेशकों के लिए इसका मतलब, जेफ़रीज़ ने क्यों दी चेतावनी?

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भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (TCS) ने 12000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की घोषणा की है. जिसका असर कंपनी के शेयर पर दिखाई दे रहा है. निवेशकों के बीच में घबराहट का माहौल साफ दिखाई दे रहा है. लेकिन ऐसा क्यों? जब नवंबर 2022 में मार्क जुकरबर्ग ने मेटा के कुल कर्मचारियों की संख्या में 13% की कटौती यानी लगभग 13000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की घोषणा की थी तो इसका कुछ और ही असर दिखाई दिया था. उस समय इन्वेस्टर्स ने जॉब कटौती का जश्न मनाया था.



लोअर लेवल पर आ गए शेयर टीसीएस ने एआई आधारित तकनीक और आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण बिजनेस में आ रही कमजोरी का हवाला देते हुए 12000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी का ऐलान किया है. इसके बाद कंपनी के शेयर्स 1.7% की गिरावट के बाद लोअर लेवल पर आ गए. इस वित्त वर्ष 2025 में टीसीएस के शेयर्स में 25% की गिरावट दर्ज हुई है. इतना ही नहीं इसका असर और इन्फोसिस जैसी कंपनियों के शेयर्स पर भी दिखाई दिया. तो क्या यह भारत के आईटी सेक्टर की कंपनियों के लिए संकट की घड़ी है?



मेटा और टीसीएस छंटनी में क्या बदला मेटा महामारी के दौर में अतिरिक्त भर्तियों में कटौती कर रहा था, वहीं टीसीएस माँग से जुड़ी समस्याओं से जूझ रही है. इसके बारे में

जेफ़रीज़ की चेतावनी

टीसीएस के कर्मचारियों की कटौती के ऐलान पर ब्रोकरेज जेफ़रीज़ ने भी स्पष्ट रूप से चेतावनी दी. जिसमें कहा गया है कि टीसीएस की अपने कार्य बल में 2 प्रतिशत कटौती का फैसला शॉर्ट टर्म में प्रोजेक्ट्स पूरे होने में देरी और लॉन्ग टर्म में ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने में वृद्धि का कारण बन सकता है. पुरे आईटी सेक्टर में यह डिमांड में कमी को दर्शा रहा है. ज्यादातर आईटी कंपनियों के नए प्रोजेक्ट कॉस्ट कटिंग और एआई आधारित प्रोडक्टिविटी पर बेस्ड हैं. इसलिए मार्केट में जिन कंपनियों को हिस्सेदारी हासिल करने में परेशानी हो रही है वह आने वाले समय में और छंटनी कर सकती हैं. निफ्टी आईटी इंडेक्स की हालत अब यह हो गई है कि वह साल 2025 का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला सेक्टर बन गया है. यह केवल किसी एक कंपनी का संकट नहीं बल्कि यह व्यापक रूप में आईटी सेक्टर के प्रति निवेशकों का नजरिया बदल रहा है.



लॉन्ग टर्म में हो सकता है बड़ा नुकसानजेफ़रीज़ का कहना है कि टीसीएस को अपने फैसले के कारण लॉन्ग टर्म में बड़ा नुकसान हो सकता है. क्योंकि पिछले 3 महीने में कंपनी ऐसे तीन बड़े फैसले ले चुकी हैं. जिनमे पहले कंपनी ने 25 अप्रैल को कर्मचारियों के वेतन वृद्धि को टाल दिया था. फिर 25 जून को बेंचिंग नियम लागू किए थे. और अब 12000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का ऐलान किया है.

ब्रोकरेज ने यह है चेतावनी दी है कि वैसे तो टीसीएस में अन्य कंपनियों की तुलना में कम छंटनी होती है. लेकिन हाल ही में हुए ऐलान के बाद कर्मचारियों के मनोबल में कमी आ सकती है जिससे कि प्रोजेक्ट को पूरा करने का समय बढ़ सकता है. यदि ऐसे में कर्मचारियों की नौकरी छोड़ने की संख्या में वृद्धि आ गई तो 2020-22 के दौरान का कॉग्निजेंट जैसा हाल टीसीएस का भी हो सकता है.



एलारा ने घटाई रैकिंग एलारा ने टीसीएस की रेटिंग बाय से घटाकर होल्ड कर दी है. ब्रोकरेज ने टारगेट प्राइस 3,970 रुपये से घटाकर 3,770 रुपये कर दिया. हालांकि अभी भी मामूली रिकवरी की उम्मीद जताई है.



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