सेंसेक्स में पिछले 4 कारोबारी दिन में 4,706 अंक की शानदार तेजी देखने को मिली है. वहीं, निफ्टी ने भी 6.5% की छलांग लगाते हुए प्रमुख रेजिस्टेंस लेवल्स को पार कर गया है. गिरावट के बाद पहले जो बाजार में रिकवरी देखने को मिल रही थी वह अब एक बुलिश रैली में बदलने की ओर बढ़ रही है. निवेशकों का सेंटीमेंट और बाजार की स्थिति दोनों ही बहुत पॉजिटिव हो गए हैं।LKP सिक्योरिटीज के रुपक दे इसे 'फास्ट एंड फ्यूरियस' मूव मानते हैं.उनका कहना है कि निफ्टी ने कुछ ही दिनों में लगभग 10% की बढ़त हासिल कर ली है और दो अहम स्विंग हाई को पार कर लिया है.उनके अनुसार, बाजार की सेंटीमेंट बहुत ही पॉजिटिव है और जब तक निफ्टी 23,300 के ऊपर बना रहेगा, हम 24,100 तक की बढ़त देख सकते हैं और शायद 24,550 तक भी.फिलहाल उन्होंने 'बाय ऑन डिप' यानी गिरावट में खरीदारी की सलाह दी है. अगले कुछ समय में और मजबूत हो सकती है बाजार की यह तेजीबाजार इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है और यह कोई मामूली बढ़त नहीं है.अगर हम टेक्निकल अप्रोच से देखें तो यह बहुत ही दिलचस्प बात है.बाजार ने 20-डे और 50-डे मूविंग एवरेजेस को काफी मजबूती से पार कर लिया है, और अगर हम वीकली चार्ट्स को देखें, तो पिछले 2 हफ्तों से बुलिश कैंडल्स लगातार बन रही हैं.खास बात ये है कि इनमें एक 'अनफिल्ड अपसाइड गैप'भी है, जिसे एक्सपर्ट 'बुलिश ब्रेकअवे गैप' मान रहे हैं.अब संदीप सभरवाल जैसे मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस रैली को नजरअंदाज किया जा रहा है.उन्होंने बताया कि जब बाजार तेजी से ऊपर चढ़ते हैं, तो उनकी स्पीड का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल होता है.यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे तेज गिरावट का रुझान पहले से नहीं पहचाना जा सकता.लेकिन इस बार मददगार बात यह है कि भारत की मैक्रो स्थिति काफी मजबूत दिख रही है.महंगाई कम हो रही है, सरकार का खर्च बढ़ रहा है, और हाल ही में बजट में टैक्स में जो सुधार हुए हैं उससे लोगों के पास ज्यादा डिस्पोजेबल इनकम आ रही है.संदीप सभरवाल का मानना है कि बाजार पहले 'एक्सेसिव नेगेटिविटी' से दबे हुए थे और अब वह नेगेटिविटी तेजी से खत्म हो रही है.इसका मतलब यह है कि भारत के लिए परिस्थिति पॉजिटिव नजर आ रही है और यह तेजी अगले कुछ समय में और मजबूत हो सकती है। महज तीन दिनों में फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने ₹15,000 करोड़ की खरीदारी की पिछले 9 दिनों से लगातार बिकवाली करने वाले फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FIIs) अब अचानक खरीदार बन गए हैं.महज तीन दिनों में उन्होंने करीब 15,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है.यह बदलाव एक पॉजिटिव संकेत है, खासकर तब जब भारतीय रुपया भी लगातार चार दिनों से मजबूती दिखा रहा है और डॉलर के मुकाबले 85.37 पर पहुंच चुका है।अब यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों यह बदलाव आ रहा है? जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के विनोद नायर के अनुसार, इस तेजी के पीछे ग्लोबल और डोमेस्टिक दोनों ही कारण हैं.सबसे पहले अमेरिका की ओर से टैरिफ में कुछ राहत देने की खबर आई है, खासकर स्मार्टफोन और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स पर.इसके अलावा मॉनसून सामान्य होने का अनुमान और प्रमुख बैंकों की ओर से डिपॉजिट दरों में कटौती ने भी उम्मीदों को बल दिया है.ये सभी कारण मिलकर बाजार को एक नई दिशा दे रहे हैं।नायर का कहना है कि भारत वैश्विक अस्थिरताओं के बावजूद पूरी तरह से अपने नुकसान से उबर चुका है.साथ ही US-चाइना ट्रेड वॉर का फायदा भारत को भी मिल सकता है.हालांकि, उन्होंने चौथी तिमाही के आय के आंकड़ों को लेकर एक चेतावनी भी दी.उनका मानना है कि इस बार इनकम ग्रोथ धीमी रह सकती है, क्योंकि मांग कम और मार्जिन दबाव में हैं.इसलिए नायर का सुझाव है कि निवेशक इन वोलेटाइल मार्केट कंडीशन में सतर्क रहें और खासकर एक्सपोर्ट पर निर्भर कंपनियों से बचें.इसके बजाय उन्हें डोमेस्टिक मार्केट पर बेस्ड सेक्टर जैसे बैंकिंग, कंज्यूमर गुड्स, हेल्थकेयर, ट्रांसपोर्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना चाहिए। बाजार में आगे जबरदस्त ग्रोथ की उम्मीद, लेकिन अभी ओवरबॉट जोन मेंसैगल कैपिटल के अंशुल सैगल भी मानते हैं कि भारतीय शेयर बाजार की लंबी दूरी की रेस अभी बाकी है.उनके मुताबिक, अमेरिका की तरफ से जो टैरिफ लगे हैं, वो भारत के लिए फायदे का सौदा हो सकते हैं.और ये सिर्फ कहने की बात नहीं है, पिछले 40-45 दिनों में बाजार में जो तेजी देखने को मिली है, वो उसी भरोसे का असर है.अंशुल मानते हैं कि अभी भी बाजार में काफी वैल्यू बाकी है, यानी कई ऐसे अच्छे शेयर हैं जिनमें आगे चलकर जबरदस्त ग्रोथ देखने को मिल सकती है.खासकर, जो निवेशक सही कंपनियों को पहचान लेंगे, उनके लिए अगले 1-2 साल मुनाफे भरे हो सकते हैं।लेकिन... बस एक बात ध्यान में रखें! भले ही बाजार में पैसे की वापसी हो रही है, महौल पॉजिटिव है, और ट्रेंड ऊपर की ओर है- फिर भी ये जरूरी नहीं कि बाजार हर दिन ऊपर ही जाए.टेक्निकल रूप से देखा जाए तो बाजार थोड़ा 'ओवरबॉट' (यानी ज्यादा खरीदा गया) दिख रहा है.ऐसे में अब एक्सपर्ट सलाह दे रहे हैं कि निवेशकों को थोड़ा संतुलन के साथ चलना चाहिए।
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