अमेरिका और चीन का ट्रेड वॉर रुकने का नाम नहीं ले रहा है. चीन ने आज फिर अमेरिका से आने वाले सामानों पर लगने वाले टैरिफ को 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया है. इससे पहले अमेरिका ने भी चीन से आने वाले सामानों पर लगने वाले टैरिफ को बढ़ाकर 145% किया था. भले ही अमेरिका ने चीन को छोड़कर अन्य देशों पर टैरिफ बढ़ाने के अपने फैसले को 90 दिन के लिए टाल दिया है, लेकिन अगर अमेरिका-चीन के बीच यह ट्रेड वॉर बढ़ता है तो इसका असर भारत सहित अन्य देशों पर भी देखने को मिलेगा.ET नाउ के इकोनॉमिक्स और कंसल्टिंग एडिटर स्वामीनाथन अय्यर ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में आ जाती हैं, तो उसका झटका भारत को भी जोरदार तरीके से लग सकता है और यह नुकसान मौजूदा टैरिफ वॉर से कहीं ज्यादा बड़ा होगा. अगर दुनिया की सबसे बड़ी दो अर्थव्यवस्थाएं स्लोडाउन की ओर बढ़ती हैं, तो सिर्फ द्विपक्षीय टैरिफ की चर्चा बेमानी हो जाएगी. उनके शब्दों में - 'जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था हिचकोले खा रही हो, तो भारत को भी झटका लगना तय है. अमेरिका-चीन की मंदी का असर हर कोने तक जाएगा और भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा.' 90 दिनों की राहत मंदी की संभावनाओं को कम नहीं करेगाट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर प्रस्तावित टैरिफ को 90 दिनों के लिए टाल दिया है. दरअसर, अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद दुनियाभर के साथ अमेरिकी शेयर बाजार में भी भारी गिरावट देखने को मिली, जिसके बाद ट्रंप ने यह फैसला लिया गया. भारतीय निर्यातकों ने ट्रंप के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने इसे एक बहुत जरूरी राहत बताया है, जिससे दोनों देशों के पास द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर फिर से बातचीत शुरू करने का एक मौका मिल सकता है. हालांकि, एक्सपर्ट्स ने संकेत दिया कि 90 दिनों की राहत मंदी की संभावनाओं को कम नहीं करेगा. दुनियाभर के देशों की GDP में आएगी गिरावटस्वामीनाथन अय्यर ने इस दावे को खारिज कर दिया था कि टैरिफ से अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ जाएगी. उन्होंने इसे आपदा कहा और तर्क दिया कि वे रिवाइवल के बजाय आर्थिक अव्यवस्था का कारण बनेंगे. इसके कारण भारत, अमेरिका और दुनियाभर के अन्य देशों की जीडीपी में गिरावट आएगी. डोनाल्ड ट्रंप की बिजनेस नीतियों में बार-बार बदलाव होने के साथ, कभी-कभी घंटों के भीतर, अर्थशास्त्रियों और निवेशकों को तालमेल बिठाने में संघर्ष करना पड़ रहा है. चीन कोई आम खिलाड़ी नहींदुनिया में जब भी चीन की मैन्युफैक्चरिंग को लेकर कोई उथल-पुथल होती है, उम्मीद की जाती है कि भारत को इसका फायदा मिलेगा. लेकिन स्वामीनाथन अय्यर कुछ हकीकतभरे अंदाज़ में जवाब दिया. उन्होंने कहा - हो सकता है कि crumbs यानी टुकड़े हमारी थाली में गिरें. जैसे कुछ ऑर्डर टेक्सटाइल्स या लो-कॉस्ट मैन्युफैक्चरिंग आए, लेकिन इतना नहीं कि हम जश्न मना लें. उन्होंने साफ कहा कि चीन कोई आम खिलाड़ी नहीं, बल्कि 'दुनिया की फैक्ट्री'है, और उसकी जगह लेना आसान नहीं है.अय्यर का मानना है कि चीन से कुछ काम भले इधर-उधर शिफ्ट हो जाए, लेकिन इसका फायदा दो बड़े कारणों से धुंधला पड़ जाएगा. एक तो दुनियाभर में छाई आर्थिक मंदी और दूसरा ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति, जिसमें वो हर देश से अमेरिका के ट्रेड घाटे को घटाना चाहते हैं. इससे साफ है कि चीन की परेशानी भले दुनिया भर में हलचल मचा दे, लेकिन भारत को इससे बहुत बड़ा फायदा होगा, ऐसी उम्मीद अभी के हालात में ज्यादा बड़ी लगती है.
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