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22 सितंबर का काउंटडाउन: किराना और वितरकों की कमी ने मचाई खलबली

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जीएसटी के नए नियमों के ऐलान के बाद अब सभी को 22 सितंबर का इंतजार है। 22 सितंबर 2025 से नई जीएसटी दरें लागू होगी और कई सामानों पर लगने वाला जीएसटी शून्य हो जाएगा। सरकार के इस फैसले के बाद से ही कोई कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और किराना दुकानदारों ने आपूर्ति सीमित कर दी है। क्योंकि वे नए जीएसटी नियमों के लागू होने के पहले वाले स्टॉक से बचना चाहते हैं। केवल किराना दुकान ही नहीं बल्कि कंपनियां भी अपनी सप्लाई सर्कल को छोटा कर रही है। क्योंकि नए जीएसटी 2.0 के बाद छोटे पैकेट में ज्यादा मात्रा और बड़े पैकेट की कीमत कम हो सकती है।



बिना बिके सामानों से बचना चाहते हैं दुकानदारकिराना सामान बेचने वाले दुकानदार और क्विक कॉमर्स प्लेटफार्म के द्वारा पुराना स्टॉक जल्द से जल्द क्लियर किया जा रहा है और अभी वे सब 22 सितंबर तक नए स्टॉक को ज्यादा भरना नहीं चाहते हैं। क्योंकि 22 सितंबर के बाद सामानों की कीमतों में बदलाव होगा, इसलिए दुकानदार और ई-कॉमर्स प्लेटफार्म, कंपनियां बिना बिके स्टॉक के बोझ से बचना चाहती हैं।

एक बड़े क्विक कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के सीनियर अधिकारी का कहना है कि नया स्टॉक आने तक अभी सप्लाई को धीमा किया जा रहा है। प्लेटफार्म के सभी टॉक स्टोर और वेयरहाउस भी काम स्टॉक में काम को मैनेज कर रहे हैं। पर्सनल केयर कंपनी के द्वारा भी आपूर्ति साइकिल को 7 से 10 दिनों से कम करके एक या दो दिन तक कर दिया है।



बदलने होंगे पुराने स्टॉकऐसा सब इसलिए किया जा रहा है क्योंकि कुछ ही दिनों में पुराने पैकेट बदल ले जाएंगे और नई कीमत वाले पैकेट ले जाएंगे। ऐसी सभी खाद्य वस्तुएं जिन पर जीएसटी की तरह को बदल जाएगा उनके स्टॉक और आपूर्ति चक्र को कम किया जा रहा है। जिनमें दूध, ब्रेड, शैम्पू, टूथपेस्ट, हेयर-ऑयल, साबुन, सॉफ्ट ड्रिंक जैसी वस्तुएं शामिल हैं।

ऐसी कोई खाद्य वस्तुएं हैं, जिन पर मौजूद 12% की जीएसटी दर घटकर 22 सितंबर के बाद 5% हो जाएगी। जिनमें मक्खन, पनीर, नमकीन स्नैक्स जैसी चीजें शामिल हैं। इसके अलावा आइसक्रीम, कॉफी, कॉर्न फ्लेक्स, बिस्कुट, चॉकलेट, शेविंग क्रीम, शैंपू, साबुन, हेयर ऑयल, बॉटल बंद पानी आदि पर लगने वाली 18% की जीएसटी को कम करके 5% कर दिया जाएगा। कीमतों में होने वाले इन बदलाव को लागू करने के लिए कंपनियों को सप्लाई चैन पर काम करना पड़ रहा है। इस बात पर खास ध्यान दिया जा रहा है ताकि पुरानी कीमतों वाले स्टॉक को ज्यादा रखा ना जाए, बाद में उन्हें बेचने में परेशानी न हो।

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