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दिल्ली में एक अनोखी दोस्ती की कहानी

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दिल्ली में रहकर एक नई दोस्ती

दिल्ली में छह महीने रहने की आवश्यकता थी। वहाँ रहते हुए, मुझे एक पड़ोसी भाभी, शकीना, से परिचय हुआ।


मैं अक्सर उनके लिए बाजार से सामान लाता था। बातचीत के दौरान पता चला कि उनका एक साल पहले तलाक हो चुका है और वह अकेली रहती हैं, क्योंकि उनके पति का किसी और के साथ संबंध था।


इस जानकारी के बाद, मैंने उनकी मदद करने का निर्णय लिया।


हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए।


एक दिन, शकीना ने मुझे फोन किया और कहा, "सल्लू, आज मुझे घर पर अच्छा नहीं लग रहा। क्या तुम थोड़ी देर के लिए मेरे कमरे पर आ सकते हो?"


मैंने हाँ कहा और कुछ ही मिनटों में उनके कमरे में पहुँच गया। वहाँ पहुँचते ही, उन्होंने मुझे गले लगा लिया और कहा कि मैं उनका कितना ख्याल रखता हूँ।


उन्होंने बताया कि उनके पति ने कभी उनकी कदर नहीं की।


मैंने उन्हें चुप कराया और देर रात तक हम बातें करते रहे। उन्होंने भावुक होकर कहा कि मैं एक अच्छे इंसान हूँ और वह मुझे पसंद करने लगी हैं।


उन्होंने कहा, "आज से तुम ही मेरे सब कुछ हो, मैं तुम्हारी हो गई हूँ।"


उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं क्या चाहता हूँ।


मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा, "अगर तुम सच में मना नहीं करोगी, तो मुझसे वादा करो।"


मैंने कहा, "दिल्ली में चुनाव हैं, और तुम वादा करो कि तुम भाजपा को वोट दोगी और अपना कागज ढूंढ लेना।"


यह कहकर मैं अपने कमरे में वापस चला गया।


मेरे लिए मोदी जी और देश और सनातन से बढ़कर कोई नहीं है। आगे क्या होगा, यह तो आपको पता ही होगा।


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