भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में बुधवार को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई, जब 100वां प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता संपन्न हुआ। इस समझौते के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को स्वतंत्र रूप से लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) का निर्माण करने का अधिकार मिलेगा। यह समझौता भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) द्वारा संचालित किया गया और इसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), IN-SPACe और HAL ने भाग लिया।
इसरो SSLV से संबंधित जानकारी, जिसमें प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता शामिल है, अगले 24 महीनों में HAL को प्रदान करेगा। एक आधिकारिक बयान में बताया गया है कि इस अवधि के दौरान, HAL को आवश्यक तकनीकी सहायता दी जाएगी, जिससे वह SSLV के विभिन्न पहलुओं को समझ सके। यह प्रक्रिया तकनीकी एकीकरण से लेकर विज्ञापन तक फैली हुई है, जिससे दोनों पक्षों के लिए समझौते के तहत लक्ष्यों को पूरा करना संभव होगा।
यह समझौता भारत को वैश्विक लघु उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में बढ़ती मांग को पूरा करने में सहायता करेगा। बयान में कहा गया है कि इसका उद्देश्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और वाणिज्यिक गतिविधियों में भारत की क्षमताओं को बढ़ाना है। अंतरिक्ष विभाग के सचिव और ISRO के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने कहा, "भारत द्वारा वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्षेत्र के उदारीकरण के साथ, अवसर निश्चित रूप से बढ़ रहे हैं, और ISRO में, हमारे पास साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक गतिशील प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तंत्र है।"
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