दान का अर्थ है किसी वस्तु पर अपने अधिकार को समाप्त करना और उसे दूसरों को सौंपना। सभी धर्मों में दान को विशेष महत्व दिया गया है, विशेषकर गुप्त दान को। सनातन धर्म में पूजा-पाठ, व्रत-त्यौहार के दौरान दान-पुण्य का कार्य किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, दान एक पुण्यकारी कार्य है, और गुप्त दान का महत्व और भी बढ़ जाता है।
दान का फल
दान-पुण्य का फल केवल दाता को ही नहीं, बल्कि उसकी पीढ़ियों को भी मिलता है। वर्तमान में भी लोग जरूरतमंदों को दान करते रहते हैं। कहा जाता है कि जो भी वस्तु दान की जाती है, उसका फल कई गुना अधिक मिलता है।
पानी का दान
पानी का दान करना अक्षय पुण्य का साधन है। गर्मी के मौसम में जल का दान विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। आप जल से भरे घड़े का दान कर सकते हैं या राहगीरों को पानी-शरबत पिलाकर पुण्य कमा सकते हैं।
फलों का दान
फलों का दान भी पुण्य का कार्य है। जो लोग संतान सुख की इच्छा रखते हैं, उन्हें गर्मी में जरूरतमंदों को रसदार फलों का दान करना चाहिए। ध्यान रखें कि फल साबुत ही दान करें, काटकर नहीं।
गुड़ का दान
गुड़ का दान भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यदि किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो उसे गुड़ का दान अवश्य करना चाहिए। इससे सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और व्यक्ति को सफलता और मान-सम्मान प्राप्त होता है।
दही का दान
दही का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। गर्मी में दही या छाछ का सेवन करना विशेष रूप से लाभकारी है। यदि आप इस मौसम में मीठे दही का दान करते हैं, तो आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है।
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