जब भी कोई व्यक्ति धोखा देता है, हम आमतौर पर उसे 420 कहकर पुकारते हैं। यह संख्या दोस्तों के बीच मजाक में भी इस्तेमाल होती है। क्या आपने कभी सोचा है कि हम हमेशा 420 का ही उपयोग क्यों करते हैं? क्या यह संख्या किसी विशेष कारण से जुड़ी है?
भारतीय दंड संहिता का महत्व
इस संख्या के पीछे का कारण भारतीय दंड संहिता में छिपा हुआ है। आईपीसी में विभिन्न धाराएं हैं जो विभिन्न अपराधों के लिए निर्धारित की गई हैं। जैसे हत्या के लिए धारा 302 और हत्या के प्रयास के लिए धारा 307। इसी तरह, धोखाधड़ी के मामलों के लिए भी एक विशेष धारा है।
भारतीय दंड संहिता के तहत, धोखाधड़ी करने वालों के लिए धारा 420 लागू होती है। जब पुलिस किसी धोखाधड़ी के मामले में कार्रवाई करती है, तो वह इस धारा के तहत केस दर्ज करती है।
धारा 420 का विवरण
आईपीसी के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य नागरिक को धोखा देता है या उसके साथ बेईमानी करता है, तो उसके खिलाफ धारा 420 लगाई जाती है। इसमें संपत्ति के साथ छेड़छाड़ करना भी शामिल है।
यदि कोई व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए किसी अन्य नागरिक के साथ धोखाधड़ी करता है, तो उसके खिलाफ भी धारा 420 लागू की जा सकती है। यह धारा गंभीर मानी जाती है और इसके तहत अपराध गैर-जमानती होता है।
इस मामले में सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की अदालत में होती है, जहां जज यह तय करते हैं कि आरोपी को जमानत दी जाए या नहीं। इस अपराध के लिए अधिकतम 7 साल की सजा और जुर्माना भी हो सकता है।
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