कहते हैं शादी करने की कोई उम्र नहीं होती है। यदि आपका प्यार सच्चा है और दोनों पक्ष शादी को राजी है तो 7 फेरे लेकर हमेशा के लिए एक दूजे का होने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन समाज में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बूढ़े लोगों के शादी करने पर भौहें चढ़ाते हैं। उन्हें ये बात हजम नहीं होती है कि जिंदगी के इस पढ़ाव पर कोई शादी के बारे में कैसे सोच सकता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे कपल से मिलाने जा रहे हैं जिन्होंने समाज की बजाय अपने प्यार के बारे में सोचा और 60 प्लस की उम्र में शादी रचा ली।
दरअसल हाल ही में 65 साल के मोतीलाल और 60 साल की मोहिनी देवी शादी कर एक दूसरे के हो गए। दिलचस्प बात ये थी कि दोनों बीते 28 सालों से लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे थे। हालांकि इतने सालों में दोनों ने शादी नहीं की थी। साथ रहते रहते दोनों के बच्चे भी हो गए थे। मोतीलाल की दो बेटियां हैं जिनके नाम प्रिया और सीमा है। ये दोनों ही अपने पापा की शादी में शामिल होकर बड़े खुश हुए।
यह अनोखी शादी उत्तर प्रदेश के अमेठी में जामो थाना क्षेत्र के खुटहना गांव में रविवार रात को संपन्न हुई। शादी को पूरे हिन्दू रीति रिवाजों के साथ किया गया। इस शादी में बाराती और घराती दोनों ही शामिल हुए। बच्चों के साथ साथ नाती पोतों ने भी यह शादी देखी। इस तरह इस शादी में तीन पीढ़ियां शामिल हुईं। इस शादी की चर्चा पूरे गांव में है। ये शादी बड़ी धूमधाम से की गई। मोतीलाल ने अपनी शादी का कार्ड भी छपवाया था। उसने ये कार्ड पूरे गांव में बांटा था। साथ ही गांव के लोगों के लिए स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था भी की थी।
इस शादी में आए लोगों ने ढोलक पर जमकर डांस भी किया। एक तरह से ये शादी किसी उत्सव से कम नहीं थी। दूल्हे मोतीलाल की बेटी बताती है कि हम बहुत भाग्यशाली हैं जो अपने पिता की शादी में बाराती बनने का अवसर मिला। पिताजी की खुशी में ही हमारी खुशी है।
अब आप सोच रहे होंगे कि मोतीलाल और मोहिनी ने इतने साल साथ में रहने के बावजूद शादी क्यों नहीं की? और अब वे शादी क्यों करना चाहते हैं? दरअसल 28 साल पहले मोतीलाल मकदूमपुर गांव से मोहिनी को लेकर आए थे। तब उन्होंने समाज क्या कहेगा और बच्चों की शादी में कोई दिक्कत न आए इसलिए मोहिनी से शादी नहीं की थी। लेकिन अब उनके सभी बच्चों की शादी हो चुकी है। वहीं उनके बच्चों ने भी मोहिनी को अपना लिया है। इसके अलावा एक धार्मिक मान्यता के तहत भी दोनों ने शादी करने का फैसला किया।
दरअसल शादी कराने वाले पंडित तेज राम पाण्डेय बताते हैं कि हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक मोतीलाल की मौत हो जाने पर उनका श्राद्ध नहीं हो पाता। इसकी वजह ये है कि सिर्फ उनका बेटा ही पिंडदान कर सकता है। लेकिन यह विवाह नहीं होने के कारण उसके पास क्रियाक्रम का अधिकार नहीं था। लेकिन शादी के बाद वह ऐसा कर सकता है।
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