भारतीय संविधान के अनुसार बेटा और बेटी को बराबर का अधिकार दिया गया है। इस वजह से माता-पिता की संपत्ति में दोनों का समान हक है। लेकिन अब इस मामले को लेकर हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है जिसमे उनकी तरफ से यह बताया गया है कि किन कंडीशन में बेटी को उसके पिता की संपत्ति में हक नहीं मिलेगा।
कोर्ट में हमेशा संपत्ति को लेकर कोई ना कोई मामला जाता रहता है, जिसमे कई बार बेटी के अधिकार को लेकर भी कुछ मामला देखने को मिला है। अब एक बार फिर से इस तरह का मामला सामने आया है जिस पर कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है तथा उन्होंने बताया है कि बेटी को किस स्थिति में पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा।
बेटी को पिता की संपत्ति में नहीं मिलेगा हकहाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि मृत पिता की संपत्ति पर तलाकशुदा बेटी का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वो भरण-पोषण की आश्रित हकदार नहीं है। कोर्ट ने इस कमेंट के साथ एक एक तलाकशुदा महिला की अपील को खारिज कर दिया है। उस महिला ने अपने पारिवारिक अदालत में खुद कि भरण-पोषण के लिए मां तथा भाई पर दबाव बनाया था, लेकिन हाईकोर्ट ने उस अपील को पूरी तरह खारिज कर दिया।
उस तलाकशुदा महिला की अपील को खारिज करते समय जस्टिस नीना बंसल कृष्णा और सुरेश कुमार कैत की पीठ ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम की धारा 21 सिर्फ उन आश्रितों के लिए है जो भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं।
इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता ने कहा था कि साल 1999 में उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। उनके कुल चार आश्रित थे, जिसमे मां, एक बेटा तथा दो बेटियां शामिल है। उस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उत्तराधिकारी के रूप में कानूनी तौर पर कोई हिसा नहीं मिला। दलील के दौरान उसने कहा कि उसकी मां तथा भाई ने विश्वास दिलाया कि उन्हें 45,000 रुपये हर महीने गुजारा भत्ते के लिए दिए जाएंगे, लेकिन उन्हें उनकी संपत्ति में हिसा के लिए दबाव नहीं देना होगा।
उस तलाकशुदा माहिला ने दलील में आगे कहा कि उनके भाई और मां की तरफ से उन्हें नवंबर 2014 तक भरण-पोषण के लिए पैसे दिए गए, लेकिन उसके बाद बंद कर दिया गया। बता दें कि उस महिला को सितंबर 2001 में अपने पति से तलाक हो गया था।
उस दौरान अदालत ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि उस महिला को उनके पति की तरफ से गुजारा भत्ता मिला या नहीं। जब दलील खत्म हुई, उसके बाद कोर्ट ने कहा कि परिस्थिति कितनी भी खराब क्यों ना हो जाए HAMA के अंतर्गत वो अधिनियम में परिभाषित आश्रित नहीं है। इस वजह से उन्हें अपनी मां तथा भाई से भरण-पोषण के लिए दावा करने का कोई अधिकार नहीं है।
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