वृंदावन। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में करीब 160 वर्ष पुराने तोषखाने को प्रशासनिक टीम की निगरानी में शनिवार को खोला गया। ये तोषखनाना अंतिम बार 54 वर्ष पहले खोला गया था।
मंदिर की उच्चाधिकार प्रबंध समिति के आदेश पर सिविल जज जूनियर डिवीजन की अगुवाई में अधिकारियों की मौजदूगी में खजाना खोला गया। जिसमें चंद बर्तन, लकड़ी का तख्ता व दो बाक्स ही मिल सके। करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद ही पूरे खजाने की तलाश संभव हो सकी। इसके बाद अधिकारियों ने खजाने को सीलबंद करवा दिया।
दोपहर डेढ़ बजे खोला गया मंदिर का खजाना
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित बांकेबिहारी मंदिर उच्चाधिकार प्रबंध समिति के आदेश पर कड़ी सुरक्षा के बीच दोपहर डेढ़ बजे मंदिर का खजाना (तोषखाना) खोला गया।
तोषखाना खोलने से पहले समिति के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने खजाने के गेट पर दीपक जलाया और फिर अधिकारियों की मौजूदगी में ग्राइंडर की सहायता से दरवाजे को काटाकर खोला गया।
कमेटी में कौन-कौन था मौजूद?
इसके बाद खजाने की पहचान के लिए कमेटी सदस्य एक एक करके अंदर पहुंचे। कमेटी में सिविल जज, सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी सिटी, सीओ सदर, चार गोस्वामियों की मौजूदगी में जब अंदर कमरे को देखा तो काफी धूल थी। कमरे में एक लोहा और एक लकड़ी का बाक्स मिला। लकड़ी के बाक्स में छोटे बड़े ज्वेलरी के खाली डिब्बे मिले, पांच ताले के अलावा लोहे के बाक्स में दो फरवरी 1970 अंकित था, जिसमें एक पत्र भी मिला।
इसके अलावा एक चांदी का छोटा छत्र, दो मंदिर में बजाए जाने वाले घंटे मिले। खजाने में प्रवेश से पहले वन विभाग के स्नैक कैचर टीम को भी लगाया गया। ताकि सांप, बिच्छू आदि निकलने पर उन्हें पकड़ा जा सके। इस दौरान दो सांप के बच्चों को टीम ने पकड़ा और अपने साथ ले गए। करीब तीन घंटे तक टीम ने गहन जांच में बस यही वस्तुएं तोषखाने में पाईं।
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