New Delhi, 12 अक्टूबर . चाहे आंधी-तूफान हो, चिलचिलाती गर्मी हो या मूसलाधार बारिश, ग्रामीण डाक सेवक (जीडीएस) अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहकर लोगों तक निष्ठा, भरोसे और सेवा का संदेश पहुंचाते हैं.
9 अक्टूबर को मनाए जाने वाले विश्व डाक दिवस के अवसर पर भारतीय डाक विभाग ने इन सेवकों के समर्पण को सलाम किया है.
मोबाइल और ई-मेल के युग से पहले, चिट्ठियां प्रेम, बिछड़ने के दर्द, सैनिकों के हाल या परदेश में अपनों की याद को जोड़ने का माध्यम थीं. ये पत्र देश की मिट्टी की खुशबू को पहुंचाते थे. आज भी डाक सेवाएं वही भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्व रखती हैं, जो डिजिटल युग में नई तकनीकों के साथ और सशक्त हो रही हैं.
विश्व डाक दिवस सप्ताह के दौरान डाक विभाग लोगों को डिजिटल डाक सेवाओं, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक, और वित्तीय समावेशन जैसी योजनाओं से अवगत करा रहा है, ताकि ग्रामीण और शहरी India को एक सूत्र में पिरोया जा सके. सड़कों के किनारे खड़े लाल रंग के पोस्टल बॉक्स सिर्फ धातु के डिब्बे नहीं हैं, इनमें बंद होती हैं दूरदराज से आई चिट्ठियां, जो लोगों के सपनों, भावनाओं और संदेशों को अपने गंतव्य तक पहुंचाती हैं.
विश्व डाक दिवस हर साल 9 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य डाक सेवाओं के महत्व को उजागर करना और लोगों को इसके योगदान के प्रति जागरूक करना है.
यह दिन यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना की याद में मनाया जाता है, जिसे 1874 में स्विटजरलैंड के बर्न में स्थापित किया गया था.
भारतीय डाकघर ने विश्व डाक दिवस सप्ताह के अवसर पर ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) की निष्ठा और समर्पण को सलाम किया है.
एक वीडियो के माध्यम से भारतीय डाकघर ने बताया कि ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) का वचन उन रास्तों से भी पुराना है, जिन पर वे हर दिन चलकर लोगों तक पहुंचते हैं. वे न केवल पत्र और पार्सल पहुंचाते हैं, बल्कि हर किसान के सपने, हर बच्चे का भविष्य और हर परिवार की सुरक्षा को भी अपने साथ ले जाते हैं. चाहे सफर कितना भी चुनौतीपूर्ण हो, उनकी निष्ठा कभी डगमगाती नहीं. पारंपरिक समझदारी को अब नई तकनीक और गति के साथ जोड़ा गया है.
ग्रामीण डाक सेवक अब डिजिटल द्वार बन चुके हैं, जो देशभर की शक्ति को जोड़ते हैं. वे हमारी मजबूत नींव हैं, जो कभी डिगती नहीं.
विश्व डाक दिवस सप्ताह के दौरान डाक विभाग अपनी नई और आधुनिक सेवाओं के बारे में लोगों को जागरूक कर रहा है, जिसमें ग्रामीण डाक सेवकों की भूमिका को विशेष रूप से सराहा गया है.
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डीकेएम/एबीएम
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