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मंदसौर में 'पीएम विश्वकर्मा योजना' से लोगों के जीवन में आया बदलाव

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मंदसौर, 7 अप्रैल . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत भर के कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ की शुरुआत की. आज इस योजना का लाभ लेकर लोग अपना रोजगार चला रहे हैं. इस योजना का लाभ मध्य प्रदेश के मंदसौर में रहने वाले लोगों को भी मिला है.

इस योजना के तहत लोगों को प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण के बाद उनके बैंक खाते में चार हजार रुपए भी आए हैं. इस योजना के लाभार्थियों ने पीएम मोदी का आभार जताया है.

कुछ लाभार्थियों से सोमवार को समाचार एजेंसी ने बातचीत की.

मंदसौर के मंगल ने बताया कि इस योजना से काफी लाभ मिला है. आज वह राज मिस्त्री के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रशिक्षण के तौर पर टूलकिट भी दी गई. बैंक खाते में चार हजार रुपए भी मिले हैं.

कारपेंटर का काम करने वाले अशोक शर्मा ने पीएम मोदी का ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ के लिए आभार जताया है. उनका मानना है कि इस योजना से उनकी जिंदगी में परिवर्तन हुआ है.

पवन सेन ने बताया कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से उन्होंने अपने व्यवसाय को बढ़ाया है. उन्हें प्रशिक्षण के तौर पर चार हजार रुपए मिले हैं और सात दिनों की ट्रेनिंग दी गई.

मंदसौर के विश्वकर्मा ट्रेनिंग सेंटर के प्रवक्ता विनोद कुमार पाटीदार ने कहा कि यहां एक साल से कार्यरत हूं. प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से यहां पर 5 हजार से अधिक लाभार्थियों को लाभ मिला है.

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत सात दिनों की ट्रेनिंग दी जाती है और जब ट्रेनिंग पूरी होती है तो वित्तीय सहायता के तौर पर चार हजार रुपए दिए जाते हैं. इसके अलावा एक लाख की वित्तीय सहायता भी दी जाती है. यह मोदी सरकार की काफी अच्छी योजना है. यहां के कई लोग इसका लाभ ले चुके हैं. उन्होंने बताया कि आगे इस योजना के तहत 15 दिन की ट्रेनिंग मिलेगी, जिसमें 2 लाख रुपए तक का लोन भी दिया जाएगा. इस योजना का लाभ लेकर लोगों ने अपना जीवन बदला है.

पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य विभिन्न पारंपरिक शिल्पों में कुशल व्यक्तियों का उत्थान करना है, जिससे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जा सके. यह योजना अनौपचारिक या असंगठित क्षेत्र में लगे कार्यबल के एक महत्वपूर्ण हिस्से को लक्षित करती है, जहां लोहार, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, बढ़ई जैसे कारीगर अपने हाथों और औजारों से काम करते हैं. इन कारीगरों को विश्वकर्मा कहा जाता है.

डीकेएम/एबीएम

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