New Delhi, 17 अगस्त . भारत का सेमीकंडक्टर ड्रीम आकार लेने लगा है, क्योंकि सरकार और उद्योग अत्याधुनिक तकनीक की ओर बढ़ने के बजाय मैच्योर-नोड मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
देश 28 नैनोमीटर से 65 नैनोमीटर रेंज में क्षमता निर्माण का लक्ष्य लेकर चल रहा है, जिसका व्यापक रूप से ऑटोमोटिव, टेलीकॉम और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है.
बैस्टियन रिसर्च के एक विस्तृत विश्लेषण के अनुसार, भारत का यह दृष्टिकोण एक चतुराईपूर्ण कदम है, क्योंकि यह देश को ग्लोबल चिप सप्लाई चेन में एक महत्वपूर्ण अंतर को भरने की स्थिति में लाता है.
जहां टीएसएमसी और सैमसंग जैसी दिग्गज कंपनियां 5 नैनोमीटर और 3 नैनोमीटर के एडवांस्ड नोड्स पर हावी हैं, वहीं भारत उच्च-मांग वाले उद्योगों के लिए आवश्यक मैच्योर नोड्स में अपनी ताकत बढ़ा रहा है.
रिपोर्ट में भारत के वर्तमान चरण की तुलना 1970 से 1990 के दशक में ताइवान और दक्षिण कोरिया की सेमीकंडक्टर यात्रा से की गई है.
विश्लेषण में आगे बताया गया है कि सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन के भीतर सिस्टम इंटीग्रेशन में भारत की भूमिका तेजी से विकसित हो रही है.
प्रतिभाओं के एक मजबूत समूह और बढ़ते इकोसिस्टम के साथ, भारत ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर डिवाइस, टेलीकम्युनिकेशन और मेडिकल टेक्नोलॉजी जैसे उद्योगों के लिए एडवांस सिस्टम में सेमीकंडक्टर कंपोनेंट्स को इंटीग्रेट करने में उत्कृष्टता प्राप्त कर रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत पहले से ही वर्ल्ड क्लास इंटीग्रेशन सेवाएं प्रदान करता है और ग्लोबल मांग को पूरा करने के लिए अपने परिचालन का लगातार विस्तार कर रहा है.
वैश्विक चीन +1 रणनीति भी भारत के पक्ष में काम कर रही है.
जैसे-जैसे कंपनियां चीन से दूर अपनी सप्लाई चेन में विविधता ला रही हैं, भारत को एक विश्वसनीय और लागत प्रभावी भागीदार के रूप में देखा जा रहा है.
इस प्रवृत्ति से भारत को ग्लोबल सेमीकंडक्टर बाजार में एक बड़ा हिस्सा हासिल करने में मदद मिलने की उम्मीद है.
इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए, भारत सरकार ने 2021 में 76,000 करोड़ रुपए का सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें ग्लोबल चिप निर्माताओं को आकर्षित करने, फैब, पैकेजिंग यूनिट स्थापित करने और स्थानीय सप्लाई चेन बनाने के लिए प्रोत्साहन दिए गए.
फिलहाल, एडवांस्ड ब्लीडिंग एज चिप्स के बजाय मैच्योर-नोड फैब्स पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
जमीनी स्तर पर भी प्रगति तेज हो रही है. इस महीने की शुरुआत में, सरकार ने ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पंजाब में 4,600 करोड़ रुपए की चार नई सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंजूरी दी.
इनके साथ, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के अब छह राज्यों में 10 परियोजनाएं हो गई हैं, जिनका संयुक्त निवेश 1.6 लाख करोड़ रुपए है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए घोषणा की कि इस साल के अंत तक भारत में निर्मित सेमीकंडक्टर चिप्स बाजार में उपलब्ध हो जाएंगे.
अब तक, छह सेमीकंडक्टर प्लांट को मंजूरी मिल चुकी है, जो देश की तकनीकी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अभी एडवांस्ड चिपमेकिंग में ग्लोबल लीडर्स के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहा है, लेकिन मैच्योर नोड्स और सिस्टम इंटीग्रेशन पर देश का ध्यान इसे ग्लोबल सप्लाई चेन में एक महत्वपूर्ण प्लेयर के रूप में स्थापित कर रहा है, जो उद्योगों को उच्च-मात्रा वाले, आवश्यक चिप्स प्रदान करने के लिए तैयार है.
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एसकेटी/
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