मुंबई, 2 मई . जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत अब एक नए मोर्चे पर हमले का सामना कर रहा है, जिसे “साइबर वॉर फेयर” का नाम दिया जा रहा है. महाराष्ट्र साइबर सेल द्वारा तैयार की गई एक विस्तृत रिपोर्ट ‘इकोज ऑफ पहलगाम’ में खुलासा हुआ है कि 23 अप्रैल के बाद से देश पर करीब 10 लाख साइबर हमले हो चुके हैं. ये हमले न केवल डिजिटल सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि देश के क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को भी खतरे में डाल रहे हैं.
महाराष्ट्र साइबर सेल के प्रमुख यशस्वी यादव ने बताया, “पहलगाम हमले के बाद साइबर हमलों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है. यह कोई सामान्य डिजिटल हमला नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साइबर युद्ध है, जिसका मकसद भारत की डिजिटल और राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करना है.”
रिपोर्ट के अनुसार, ये हमले मुख्य रूप से पाकिस्तान, मध्य पूर्व, मोरक्को और इंडोनेशिया से संचालित हो रहे हैं. इन हमलों के पीछे स्वयं को इस्लामिक ग्रुप्स बताने वाले साइबर संगठन सक्रिय हैं, जिनमें पाकिस्तान का टीम इन्सैन पीके सबसे प्रमुख है. यह एक एडवांस्ड परसिस्टेंट थ्रेट (एपीटी) क्या है. ग्रुप है, जिसने आर्मी कॉलेज ऑफ नर्सिंग, सैनिक वेलफेयर और कई आर्मी पब्लिक स्कूलों की वेबसाइट्स को निशाना बनाया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन हमलों में वेबसाइट डिफेसमेंट, कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम एक्सप्लॉइटेशन और कमांड एंड कंट्रोल (सी2) अटैक्स जैसे तरीके अपनाए गए हैं. इसके अलावा, बांग्लादेश का एमटीबीडी और इंडोनेशिया का इंडो हेक्स सेक जैसे ग्रुप भी भारतीय टेलीकॉम डेटा और स्थानीय प्रशासनिक पैनलों को निशाना बना रहे हैं. ये हमले 26 अप्रैल से शुरू हुए और कई मामलों में सफल भी रहे. डार्क वेब पर भारतीय टेलीकॉम का टेराबाइट डेटा लीक होने की घटना ने देश की साइबर सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
महाराष्ट्र साइबर ने कुछ अटैक्स को रोका है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि भारत की क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर,जैसे रेलवे,बैंकिंग और सरकारी पोर्टल्स पर खतरा मंडरा रहा है. रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि कई जगहों पर साइबर सुरक्षा कमजोर है,जिसकी वजह से अटैक सफल हुए,डार्क वेब पर भारतीय टेलीकॉम का टेराबाइट डेटा लीक किया गया है,जिससे देश की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा होता है.
यशस्वी यादव ने बताया कि कई सरकारी और निजी संस्थानों में साइबर सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है, जिसका फायदा हैकर्स उठा रहे हैं. हमने सभी एजेंसियों से अनुरोध किया है कि वे अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत करें. रेड टीम असेसमेंट, डीडीओएस फेलओवर टेस्ट और सिस्टम ऑडिट्स को अनिवार्य करना होगा.
‘इकोज़ ऑफ पहलगाम’ रिपोर्ट को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर युद्ध अब भौतिक हमलों जितना ही खतरनाक हो चुका है.
–
एकेएस/केआर
The post first appeared on .
You may also like
पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में हमले पर विक्रम मिसरी ने क्या बताया
हार्ट अटैक से होने वाली ब्लॉकेज को पीपल के पत्तों से करें दूर ˠ
प्याज काटते वक्त आंखों में आंसू क्यों? जानें इसका वैज्ञानिक कारण और बचाव के उपाय
मुनाफे में 362% की उछाल और ₹23 के डिविडेंड ऐलान बाद BSE Share पर टूट पड़े इन्वेस्टर्स, 8% उछला भाव
Health Tips- अस्थमा के मरीजों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए इन चीजों का सेवन, जानिए इनके बारे में