अगली ख़बर
Newszop

एयरो इंजन, इलेक्ट्रॉनिक व अन्य युद्धक उपकरणों पर रक्षा मंत्रालय ने खर्च किए 92,211.44 करोड़

Send Push

New Delhi, 13 अक्टूबर . देश की सुरक्षा को आत्मनिर्भरता से जोड़ने के साथ ही India Government सेना को लगातार आधुनिक उपकरण और हथियार मुहैया करा रही है. इलेक्ट्रॉनिक युद्ध से जुड़ी तैयारियों की भी व्यापक तैयारी की गई है. रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष के लिए आवंटित कुल 1,80,000 करोड़ रुपए में से 92,211.44 करोड़ रुपए का व्यय किया जा चुका है. यानी वर्ष 2025-26 के लिए आवंटित राशि का 51.23 प्रतिशत सितंबर के अंत तक खर्च किया जा चुका है.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक पूंजीगत व्यय का 50 प्रतिशत से अधिक उपयोग समय पर महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म जैसे विमान, पोत, पनडुब्बी, हथियार प्रणाली आदि की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा. ये हथियार व उपकरण सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए आवश्यक हैं. अभी तक किया गया अधिकतर खर्च विमान एवं एयरो इंजन, भूमि प्रणालियों, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण, आयुध और प्रक्षेपास्त्रों पर हुआ है. पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में मंत्रालय ने 100 फीसदी पूंजीगत व्यय अर्थात 1,59,768.40 करोड़ रुपए का उपयोग किया था.

दरअसल, रक्षा क्षेत्र में पूंजीगत व्यय अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नए उपकरणों की खरीद, अनुसंधान एवं विकास के साथ-साथ सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण को प्रोत्साहित करता है. यह बुनियादी ढांचा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद आवश्यक है. साथ ही, यह आर्थिक विकास और रोजगार सृजन पर भी गुणक प्रभाव डालता है. वर्तमान व्यय की गति और कई बड़े रक्षा प्रोजेक्ट्स की स्वीकृति के उन्नत चरणों को देखते हुए, मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के अंत तक आवंटन का पूर्ण उपयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है. साथ ही, संशोधित अनुमान हेतु बजटीय परियोजनाओं पर भी कार्य किया जा रहा है.

वित्त मंत्रालय द्वारा रक्षा मंत्रालय को चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत मद के तहत 1,80,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष के वास्तविक व्यय से 12.66 प्रतिशत अधिक है. वित्त वर्ष 2020-21 से ही रक्षा मंत्रालय स्वदेशी उद्योगों को सशक्त बनाने हेतु उनके लिए निधि आरक्षित कर रहा है. रक्षा मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 में 1,11,544.83 करोड़ रुपए घरेलू उद्योगों के लिए निर्धारित किए गए हैं, जिनमें से लगभग 45 प्रतिशत राशि का अब तक उपयोग किया जा चुका है. यह पहल रक्षा उत्पादन एवं तकनीक में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने तथा एमएसएमई, स्टार्टअप्स आदि को इस क्षेत्र में आकर्षित करने के उद्देश्य से की गई है.

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि सेवाओं के लिए पूंजीगत आवंटन में पिछले पांच वर्षों में लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि पूंजीगत व्यय का यह स्तर आने वाले समय में सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण हेतु आवश्यक प्रमुख प्लेटफॉर्म जैसे विमान, नौसैनिक पोत, पनडुब्बियों और उन्नत हथियार प्रणालियों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करेगा. पूंजीगत व्यय रक्षा क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके माध्यम से नए उपकरणों की खरीद व अनुसंधान एवं विकास किया जाता है.

जीसीबी/पीएसके

न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें