नई दिल्ली, 8 अप्रैल . ग्लोबल सेंटीमेंट में तेजी से बदलाव, बाजार में उच्च अस्थिरता और अमेरिकी टैरिफ शॉक के बीच मंदी के डर से संकेत मिलता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 9 अप्रैल को 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है. साथ ही बैंक दिशा में सहजता के लिए रुख में बदलाव कर “अकोमोडेटिव” हो सकता है. यह जानकारी मंगलवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई.
केंद्रीय बैंक ने सोमवार को अपनी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक शुरू की.
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने नोट में कहा, “यह वैश्विक व्यापार युद्ध किस हद तक फैल सकता है, यह स्पष्ट नहीं है. इस साल भारत में मौद्रिक नीति को वित्त वर्ष की तुलना में ज्यादा काउंटर-साइक्लिकल होने के कारण भारी काम करना पड़ सकता है. भारत के लिए ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट से जुड़े व्यवधानों और रियल सेक्टर की मार दोनों से प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं.”
हालांकि बातचीत और तनाव कम करने की गुंजाइश है. नोट के अनुसार, “हमें लगता है कि यह आने वाले महीनों में उभरते बाजारों (ईएम) की परिसंपत्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है.”
हालांकि, वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए आरबीआई जल्द ही सभी इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहेगा और इसलिए अप्रैल में कटौती नहीं कर सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “आवश्यक होने पर आसान विनियामक (उधार) मानदंडों के रूप में गैर-पारंपरिक सहजता, बैंकों के लिए 90 प्रतिशत से कम दैनिक सीआरआर रिक्वायरमेंट, स्थिर भारतीय मुद्रा प्रबंधन आदि जैसे विकल्पों का उपयोग किया जा सकता है.”
निकट भविष्य में, बैंकों के लिए आसान एसेट लाइबिलिटी मैनेजमेंट (एएलएम) और लिक्विडिटी मैनेजमेंट के लिए प्राथमिक उपकरण के रूप में 14-डे वेरिएबल रेट रेपो (वीआरआर) के बजाय डेली वीआरआर के पक्ष में लिक्विडिटी फ्रेमवर्क में कुछ बदलाव हो सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, अस्थिर वैश्विक गतिशीलता के कारण आरबीआई को सख्त वित्तीय स्थितियों के किसी भी जोखिम को प्रबंधित करने में तेज रहने की जरूरत होगी, विशेष रूप से सेंटीमेंट/पूंजी प्रवाह को शॉक के कारण उभरते बाजारों से उच्च जोखिम प्रीमियम की जरूरत होगी.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापार युद्ध से जुड़ी परेशानियों की सीमा स्पष्ट नहीं है, लेकिन भारत में मौद्रिक नीति को भारी काम करना पड़ सकता है.
एंजेल वन, आयनिक एसेट में मैक्रो स्ट्रैटेजिस्ट और ग्लोबल इक्विटीज फंड एडवाइजर अंकिता पाठक के अनुसार, आरबीआई बुधवार को दरों में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है, साथ ही मौजूदा ‘न्यूट्रल’ से उदार रुख की ओर बदलाव की उम्मीद है.
पाठक ने उल्लेख किया, “जहां तक टैरिफ का सवाल है, भारत एशिया के बाकी हिस्सों की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर है, लेकिन वैश्विक मंदी की स्थिति में इसका असर देश पर भी पड़ सकता है. ट्रंप के टैरिफ पर चीन की प्रतिक्रिया एशियाई केंद्रीय बैंकों (आरबीआई सहित) के लिए महत्वपूर्ण होगी और यह मुद्रा और दरों दोनों के लिए दिशा तय करेगी.”
भारत को ट्रंप के टैरिफ से पहले भी ‘मौद्रिक रिफ्लेशन’ की जरूरत थी और विकास को समर्थन देने के लिए इसकी आवश्यकता थी. साथ ही ऐसा करने की क्षमता अब सबसे मजबूत है. इसलिए, इसे दर में कटौती और सरप्लस लिक्विडिटी मेनटेनेंस दोनों के माध्यम से प्रवाहित होना चाहिए.
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एसकेटी/एबीएम
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