हिंदू धर्म में राम नवमी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान राम की पूजा अर्चना की जाती है, मान्यता है कि राम जी की उपासना से सद्बुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। राम नवमी भगवान राम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है और इस दिन दान-पुण्य करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। रविवार, 6 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन यानी रामनवमी है। इस दिन देवी दुर्गा के साथ ही राम दरबार की भी पूजा जरूर करें। राम दरबार में भगवान राम के साथ ही देवी सीता, लक्ष्मण, हनुमान, भरत और शत्रुघ्न की प्रतिमाएं रहती हैं। रामनवमी पर रामायण का पाठ भी करना चाहिए और रामायण की सीख को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए।
पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का आरंभ 5 अप्रैल को शाम 7 बजकर 26 मिनट पर होगा। यह तिथि 6 अप्रैल को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, राम नवमी का महापर्व 6 अप्रैल 2025 को पूरे भारत में मनाया जाएगा।
राम नवमी 2025: शुभ योग
राम नवमी के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं:
पुष्य नक्षत्र: राम नवमी पर पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है।
सुकर्मा योग: यह योग शाम 6 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
धृति योग: सुकर्मा योग के बाद धृति योग का निर्माण होगा।
ऐसे कर सकते हैं राम दरबार की पूजा
चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि पर देवी दुर्गा और भगवान शिव की विधिवत पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग और देवी प्रतिमा पर जल, दूध, पंचामृत और फिर शुद्ध जल अर्पित करें। शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, जनेऊ चढ़ाएं।
देवी मां को लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, कुमकुम आदि पूजन सामग्री भेंट करें। दोनों देवी-देवता को चंदन, हार-फूल, चावल, भोग के लिए मिठाई चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में ऊँ नम: शिवाय और दुं दुर्गायै नम: मंत्र का जप करें।
चैत्र नवरात्रि की नवमी पर छोटी कन्याओं की पूजा करें और भोजन कराएं। कन्याओं को दक्षिणा दें और पढ़ाई से जुड़ी चीजें जैसे पेन, कॉपी, बेग, स्कूल ड्रेस का दान करें।
किसी मंदिर में जरूरतमंद लोगों को छाता, जूते-चप्पल का दान करें। अभी गर्मी के दिन हैं तो सार्वजनिक जगह पर प्याऊ लगवाएं या किसी प्याऊ में मटके का दान करें। घर की छत पर पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें।
त्रेतायुग में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि (रामनवमी) पर ही भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां राम अवतार लिया था।
इस वजह से इस तिथि पर राम जी का प्रकट उत्सव मनाया जाता है। रामनवमी पर राम दरबार यानी राम जी के साथ ही देवी सीता, लक्ष्मण, हनुमान, भरत-शत्रुघ्न की भी विशेष पूजा करनी चाहिए।
राम दरबार का जल, दूध, पंचामृत और फिर जल से अभिषेक करें। हार-फूल चढ़ाएं। वस्त्रों से श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाएं। पूजन सामग्री चढ़ाएं। मौसमी फल, नारियल अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं। पूजा में राम नाम का जप करें।
रामनवमी पर रामकथा पढ़नी-सुननी चाहिए। राम जी के किस्से पढ़ सकते हैं, इन किस्सों से सीख लें और उसे अपने जीवन में उतारने का संकल्प लें। इन बातों का ध्यान रखेंगे तो जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी और मुश्किल समय में भी धैर्य, सकारात्मकता बनी रहेगी।
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