29 जुलाई, 2025 को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरकार की विदेश नीति और सैन्य निर्णयों को लेकर तीखा हमला बोला। अपने भाषण में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से करते हुए कहा कि अगर उनमें इंदिरा गांधी जैसी साहस का अंश भी होता, तो वे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को खुलकर झूठा कहते—खासतौर पर भारत-पाक संघर्ष विराम और भारतीय लड़ाकू विमान के गिरने जैसे गंभीर मुद्दों पर।
ऑपरेशन सिंदूर पर खुली बहस में राहुल गांधी का तीखा प्रहार
राहुल गांधी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर हो रही चर्चा के दौरान ट्रंप के बयानों की ओर इशारा करते हुए कहा कि अमेरिकी नेता अब तक 29 बार यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाक के बीच युद्धविराम करवाया। राहुल ने सवाल उठाया—क्या भारत को ऐसा प्रधानमंत्री मंज़ूर है जो यह कहने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाता कि ट्रंप का बयान झूठ है?
राजनाथ सिंह के वक्तव्य पर उठाए गंभीर सवाल
अपने भाषण में राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा एक दिन पहले संसद में दिए गए वक्तव्य पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि राजनाथ का वक्तव्य इस बात का सबूत है कि मौजूदा सरकार में निर्णायक नेतृत्व की कमी है। उन्होंने पूछा कि अगर सरकार इतनी दृढ़ थी, तो 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू होने के कुछ ही मिनटों के भीतर पाकिस्तान को यह बताने की जरूरत क्यों पड़ी कि भारत ने उसके सैन्य अड्डों को निशाना नहीं बनाया?
"सैन्य ताकत को राजनीतिक छवि चमकाने का जरिया न बनाएं"
राहुल ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि उसने भारतीय सेनाओं को पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था और एयर डिफेंस सिस्टम पर हमला करने की पूरी छूट नहीं दी। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते सशस्त्र बलों को ‘ऑपरेशनल फ्रीडम’ नहीं दी गई। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह देश के लिए अत्यंत खतरनाक है जब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों को अपनी छवि सुधारने का माध्यम बनाते हैं। उनके अनुसार, सेना का इस्तेमाल केवल राष्ट्रहित में होना चाहिए, न कि राजनीतिक लाभ के लिए।
इंदिरा गांधी का उदाहरण देकर मोदी सरकार पर कड़ा प्रहार
राहुल गांधी ने 1971 के युद्ध की याद दिलाते हुए कहा कि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जबरदस्त राजनीतिक दृढ़ता दिखाई थी। अमेरिका का सातवां बेड़ा भारत के खिलाफ बढ़ रहा था, बावजूद इसके इंदिरा ने सेना को बिना किसी बंधन के पूरी छूट दी। इसी साहस और नेतृत्व के कारण ही पाकिस्तान के एक लाख सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश का जन्म हुआ।
मोदी सरकार की विदेश नीति को बताया 'नाकाम'
राहुल गांधी ने भारत की मौजूदा विदेश नीति पर भी तीखा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पहलगाम में हुआ आतंकी हमला पाकिस्तान के इशारे पर हुआ, बावजूद इसके दुनिया का कोई भी बड़ा देश पाकिस्तान की आलोचना करता नहीं दिखा। उन्होंने कहा कि इस कूटनीतिक विफलता का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि उसी हमले के मुख्य साजिशकर्ता और पाकिस्तान सेना प्रमुख असीम मुनीर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वाइट हाउस में डिनर पर बुला लिया।
चीन-पाक गठबंधन पर चेताया, "सिर्फ पाकिस्तान से नहीं, अब दो मोर्चों पर जंग है"
अपने भाषण के अंतिम हिस्से में राहुल गांधी ने चीन और पाकिस्तान के बढ़ते सैन्य सहयोग पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारतीय सेनाएं अब सिर्फ पाकिस्तान से नहीं, बल्कि पाकिस्तान-चीन के संयुक्त मोर्चे से लड़ रही हैं। उन्होंने याद दिलाया कि उन्होंने संसद में पहले ही इस गठबंधन की चेतावनी दी थी, जिसे सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया।
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