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ट्रंप के टैरिफ पर भारत का 'पलटा वार', पीयूष गोयल ने खोली पीएम मोदी की रणनीति

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की संभावना और उनके द्वारा दोबारा टैरिफ नीति अपनाने की धमकी पर भारत सरकार ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने साफ किया है कि भारत किसी भी प्रकार की इकतरफा टैरिफ नीति के आगे झुकेगा नहीं। उन्होंने यह भी इशारा दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत ने पहले से ही एक “सीक्रेट इकोनॉमिक प्लान” तैयार कर लिया है।

🇺🇸 क्या है ट्रंप की टैरिफ नीति?

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक सार्वजनिक बयान में संकेत दिया था कि यदि वे फिर से सत्ता में आते हैं, तो चीन समेत अन्य देशों पर कड़े टैरिफ लगाए जाएंगे। इसके साथ ही भारत का नाम भी संभावित सूची में सामने आया, जिससे भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को लेकर चिंताएं बढ़ गईं।

ट्रंप की नीति “अमेरिका फर्स्ट” के तहत आयातित वस्तुओं पर उच्च शुल्क लगाने की रही है, जिससे अमेरिका के घरेलू उद्योगों को संरक्षण मिल सके।

🇮🇳 भारत का रुख – ‘न किसी से दबेंगे, न किसी से झुकेंगे’

पीयूष गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,

“भारत आज आत्मनिर्भर है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अहम भूमिका निभा रहा है। किसी भी देश द्वारा लगाए गए अनुचित टैरिफ के खिलाफ हम अपनी नीति और जवाबी रणनीति के साथ तैयार हैं।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने व्यापारिक संतुलन को बनाए रखने के लिए बहुपक्षीय विकल्प तैयार किए हैं, जिससे किसी एक देश पर निर्भरता न रहे।

क्या है पीएम मोदी की “सीक्रेट प्लानिंग”?

गोयल ने भले ही योजना के सभी बिंदुओं का खुलासा नहीं किया, लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि भारत अब विकल्प आधारित वैश्विक व्यापार नीति अपना रहा है। इसके तहत:

मेक इन इंडिया और PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम का विस्तार

नए ट्रेड एग्रीमेंट्स की दिशा में तेजी (जैसे EU, UAE, ऑस्ट्रेलिया आदि के साथ समझौते)

लोकल मैन्युफैक्चरिंग को प्राथमिकता

फ्री ट्रेड एरिया का विस्तार और व्यापार विविधीकरण

गोयल ने यह भी कहा कि भारत अब आयात नहीं, निर्यात-प्रेरित विकास मॉडल की ओर बढ़ रहा है।

वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका

भारत ने हाल ही में G20, BRICS और SCO जैसे मंचों पर व्यापार नीति में उचित शुल्क और निष्पक्ष बाजार की वकालत की है। अमेरिका को भी यह संदेश स्पष्ट किया गया है कि भारत सहयोग चाहता है, लेकिन दबाव में आकर फैसले नहीं लेगा।

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