आपने ड्राइवरलेस कारों यानी कि बिना ड्राइवर के चलने वाली कारों (Driverless Car) के बारे में सुना होगा। अब जल्द ही यह हकीकत भी बनने वाली है। टेस्ला समेत कई कंपनियां इस पर काम कर रही हैं। भारत भी ड्राइवरलेस कारों की रेस में पीछे नहीं है। देश की पहली ड्राइवरलेस कार बन गई है और इसका अनावरण बेंगलुरु में किया गया है। भारतीय कंपनी विप्रो, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) और आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने मिलकर यह ड्राइवरलेस कार बनाई है और इसका नाम WIRIN (Wipro-IISc Research and Innovation Network) रखा गया है। आइए आपको इस कार के बारे में विस्तार से बताते हैं।   
   
कब और कहां हुआ अनावरण?मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह प्रोटोटाइप 27 अक्टूबर को आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा पेश किया गया था। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विप्रो में ऑटोनॉमस सिस्टम और रोबोटिक्स के ग्लोबल हेड रामचंद्र बुद्धिहाल, राष्ट्रीय शिक्षा समिति ट्रस्ट (RSST) के अध्यक्ष एमपी श्याम और आरवीसीई के प्रिंसिपल केएन सुब्रमण्य ने की। आरवी कॉलेज की फैकल्टी और स्टूडेंट्स की एक टीम ने इस कार को छह साल में बनाकर तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट को कॉलेज की फैकल्टी उत्तरा कुमारी और राजा विद्या ने लीड किया।
     
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोसोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर इस ड्राइवरलेस कार के चलने का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में उत्तरादी मठ के श्री सत्यात्मतीर्थ स्वामीजी इस ड्राइवरलेस कार में बैठे दिखाई दे रहे हैं और स्वदेशी तकनीक से चलने वाली यह कार बिना ड्राइवर के आसानी से चल रही है। इस वीडियो को @IndianTechGuide नाम के अकाउंट से शेयर किया गया है और अब तक इसे लाखों लोग देख चुके हैं। वीडियो वायरल होने के बाद से यह कार चर्चा में बनी हुई है।
   
भारतीय सड़कों के लिए खास तैयारीफिलहाल, यह प्रोजेक्ट अभी भी डेवलपमेंट फेज में और इसकी आधिकारिक लॉन्चिंग अगले कुछ महीनों में होने की संभावना है। कई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक रीसर्चर्स वर्तमान में भारतीय सड़कों की स्थितियों जैसे कि गड्ढों, जानवरों और अन्य वास्तविक दुनिया की चुनौतियों को समझ रहे हैं और उनका नक्शा बना रहे हैं, ताकि लॉन्च के बाद यह कार आसानी से और सुरक्षित रूप से चल सके।
   
2019 में शुरू हुई थी शुरुआत IISc और विप्रो ने मिलकर 2019 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। उन्होंने भारतीय सड़कों के लिए एक ड्राइवरलेस कार पर मिलकर काम करना शुरू किया था। WIRIN पहल के तहत उन्होंने ऑटोनॉमस सिस्टम, रोबोटिक्स, एआई, मशीन लर्निंग, विज़ुअल कंप्यूटिंग और 5G-आधारित व्हीकल-टू-एव्रीथिंग (V2X) कम्युनिकेशन जैसे क्षेत्रों में रिसर्च को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। यह पार्टनरशिप विप्रो की ऑटोनॉमस सिस्टम की विशेषज्ञता और IISc की रिसर्च क्षमताओं को एक साथ लाती है।
कब और कहां हुआ अनावरण?मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह प्रोटोटाइप 27 अक्टूबर को आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा पेश किया गया था। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विप्रो में ऑटोनॉमस सिस्टम और रोबोटिक्स के ग्लोबल हेड रामचंद्र बुद्धिहाल, राष्ट्रीय शिक्षा समिति ट्रस्ट (RSST) के अध्यक्ष एमपी श्याम और आरवीसीई के प्रिंसिपल केएन सुब्रमण्य ने की। आरवी कॉलेज की फैकल्टी और स्टूडेंट्स की एक टीम ने इस कार को छह साल में बनाकर तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट को कॉलेज की फैकल्टी उत्तरा कुमारी और राजा विद्या ने लीड किया।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोसोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर इस ड्राइवरलेस कार के चलने का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में उत्तरादी मठ के श्री सत्यात्मतीर्थ स्वामीजी इस ड्राइवरलेस कार में बैठे दिखाई दे रहे हैं और स्वदेशी तकनीक से चलने वाली यह कार बिना ड्राइवर के आसानी से चल रही है। इस वीडियो को @IndianTechGuide नाम के अकाउंट से शेयर किया गया है और अब तक इसे लाखों लोग देख चुके हैं। वीडियो वायरल होने के बाद से यह कार चर्चा में बनी हुई है।
भारतीय सड़कों के लिए खास तैयारीफिलहाल, यह प्रोजेक्ट अभी भी डेवलपमेंट फेज में और इसकी आधिकारिक लॉन्चिंग अगले कुछ महीनों में होने की संभावना है। कई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक रीसर्चर्स वर्तमान में भारतीय सड़कों की स्थितियों जैसे कि गड्ढों, जानवरों और अन्य वास्तविक दुनिया की चुनौतियों को समझ रहे हैं और उनका नक्शा बना रहे हैं, ताकि लॉन्च के बाद यह कार आसानी से और सुरक्षित रूप से चल सके।
2019 में शुरू हुई थी शुरुआत IISc और विप्रो ने मिलकर 2019 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। उन्होंने भारतीय सड़कों के लिए एक ड्राइवरलेस कार पर मिलकर काम करना शुरू किया था। WIRIN पहल के तहत उन्होंने ऑटोनॉमस सिस्टम, रोबोटिक्स, एआई, मशीन लर्निंग, विज़ुअल कंप्यूटिंग और 5G-आधारित व्हीकल-टू-एव्रीथिंग (V2X) कम्युनिकेशन जैसे क्षेत्रों में रिसर्च को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। यह पार्टनरशिप विप्रो की ऑटोनॉमस सिस्टम की विशेषज्ञता और IISc की रिसर्च क्षमताओं को एक साथ लाती है।
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