परेश रावल बॉलीवुड के ऐसे एक्टर हैं, जो अपनी राय सामने रखने से कभी पीछे नहीं हटते हैं। इस बार उन्होंने नेशनल अवॉर्ड पर खुलकर बात की है। उन्होंने नेशनल अवॉर्ड में लॉबिंग (पैरवी) को लेकर कहा कि ऑस्कर भी इससे अछूता नहीं है। उन्होंने ये भी बताया कि उनके लिए किस तरह की पहचान मायने रखती है ना कि ट्रॉफी या खिताब। जानिए उन्होंने और क्या कहा है।
परेश रावल ने राज शमानी के पॉडकास्ट में कहा, 'अवॉर्ड तो मुझे तो पता ही नहीं है। एक बात मैं ये भी बोलूं, नेशनल अवॉर्ड में थोड़ा बहुत (लॉबिंग) होता होगा, उतना नहीं है, जितना बाकी के अवॉर्ड्स में होता है। बाकी के अवॉर्ड की तो बात करो या ना करो, कोई फर्क नहीं पड़ता। नेशनल अवॉर्ड तो नेशनल अवॉर्ड है, सम्मानित है।'
'ऑस्कर अवॉर्ड्स में भी लॉबिंग होती है'
परेश ने ये भी कहा कि अवॉर्ड में लॉबिंग सिर्फ 'इंडिया अवॉर्ड सिस्टम' में ही नहीं है, बल्कि बाहर भी कुछ ऐसा ही हाल है। वो बोले, 'लॉबिंग तो ऑस्कर अवॉर्ड्स में भी होती है।' उन्होंने खुलासा किया, 'हां भैया, राज की पिक्चर है, चलो जितने एकेडमी के जितने मेंबर्स होते हैं, सबको तैयार किया किया जाता है।'
परेश का अवॉर्ड है डायरेक्टर-राइटर की तारीफ
कई स्टार्स अवॉर्ड्स को सफलता का पैमाना मानते हैं, वहीं परेश का कहना है कि असली पहचान क्रिएटिव सहयोगियों से मिलती है, जिनकी राय का वो बहुत सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, 'अवॉर्ड अपने आप में बिरादरी की ओर से एक स्वीकृति है। लेकिन मेरे लिए बिरादरी का प्रतिनिधित्व कौन करता है? डायरेक्टर। जब निर्देशक कट कहता है, जब राइटर कहता है कि वो मेरे काम से खुश है तो मेरा अवॉर्ड स्वीकार कर लिया जाता है। बस यही मेरी प्रेरणा, चाहत, सबकुछ थम जाता है। मैं इससे आगे कुछ नहीं देखना चाहता।'
काम की तारीफ ही है अवॉर्ड
वो आगे कहते हैं, 'क्योंकि जितना मेरे डायरेक्टर को पता है, जितना मेरे राइटर को पता है, जब उन्होंने कर दिया इंडोर्स, 'अरे परेश रावल, बेहतरीन', खत्म हो गई बात। और उसके ऊपर कुछ गिने चुने लगो हैं मेरे, जिनमें मैं मानता हूं, वो अगर कह रहे 'अरे क्या बात है' तो सोने पे सुहागा हो जाता है।'
परेश रावल ने राज शमानी के पॉडकास्ट में कहा, 'अवॉर्ड तो मुझे तो पता ही नहीं है। एक बात मैं ये भी बोलूं, नेशनल अवॉर्ड में थोड़ा बहुत (लॉबिंग) होता होगा, उतना नहीं है, जितना बाकी के अवॉर्ड्स में होता है। बाकी के अवॉर्ड की तो बात करो या ना करो, कोई फर्क नहीं पड़ता। नेशनल अवॉर्ड तो नेशनल अवॉर्ड है, सम्मानित है।'
'ऑस्कर अवॉर्ड्स में भी लॉबिंग होती है'
परेश ने ये भी कहा कि अवॉर्ड में लॉबिंग सिर्फ 'इंडिया अवॉर्ड सिस्टम' में ही नहीं है, बल्कि बाहर भी कुछ ऐसा ही हाल है। वो बोले, 'लॉबिंग तो ऑस्कर अवॉर्ड्स में भी होती है।' उन्होंने खुलासा किया, 'हां भैया, राज की पिक्चर है, चलो जितने एकेडमी के जितने मेंबर्स होते हैं, सबको तैयार किया किया जाता है।'
परेश का अवॉर्ड है डायरेक्टर-राइटर की तारीफ
कई स्टार्स अवॉर्ड्स को सफलता का पैमाना मानते हैं, वहीं परेश का कहना है कि असली पहचान क्रिएटिव सहयोगियों से मिलती है, जिनकी राय का वो बहुत सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, 'अवॉर्ड अपने आप में बिरादरी की ओर से एक स्वीकृति है। लेकिन मेरे लिए बिरादरी का प्रतिनिधित्व कौन करता है? डायरेक्टर। जब निर्देशक कट कहता है, जब राइटर कहता है कि वो मेरे काम से खुश है तो मेरा अवॉर्ड स्वीकार कर लिया जाता है। बस यही मेरी प्रेरणा, चाहत, सबकुछ थम जाता है। मैं इससे आगे कुछ नहीं देखना चाहता।'
काम की तारीफ ही है अवॉर्ड
वो आगे कहते हैं, 'क्योंकि जितना मेरे डायरेक्टर को पता है, जितना मेरे राइटर को पता है, जब उन्होंने कर दिया इंडोर्स, 'अरे परेश रावल, बेहतरीन', खत्म हो गई बात। और उसके ऊपर कुछ गिने चुने लगो हैं मेरे, जिनमें मैं मानता हूं, वो अगर कह रहे 'अरे क्या बात है' तो सोने पे सुहागा हो जाता है।'
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