लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मानसून अब लौटने की ओर बढ़ रहा है। मौसम विभाग ने पूर्वांचल के 16 जिलों में बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिसमें तेज हवाओं की भी संभावना जताई गई है। मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के अनुसार, 30 सितंबर से 2 अक्टूबर तक प्रदेश के अधिकतर जिलों में कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश होने की संभावना है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में मानसून यूपी से विदा हो जाएगा।
इस मानसून की बारिश इस साल 1 जून से 27 सितंबर तक यूपी में औसतन 700.2 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो मौसम विभाग के अनुमानित 739.8 मिमी से 5% कम है।
सबसे ज्यादा बारिशएटा में इस मानसून सीजन में सबसे ज्यादा 880 मिमी बारिश हुई, जो अनुमानित 503.6 मिमी से 75% अधिक है। इसका कारण एटा का मध्य-पश्चिमी हिस्से में होना है, जहां बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी नमी अधिक प्रभाव डालती है। इसके बाद संभल में 656 मिमी के अनुमान के मुकाबले 61% अधिक 1055 मिमी बारिश दर्ज की गई।
सबसे कम बारिशदेवरिया में इस साल सबसे कम 97 मिमी बारिश हुई, जो अनुमानित 773 मिमी से 87% कम है। कुशीनगर में भी 738 मिमी के अनुमान के मुकाबले 65% कम यानी 261 मिमी बारिश हुई। देवरिया के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक मांधाता सिंह ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले चार साल से बारिश में कमी देखी जा रही है। 2024 में देवरिया में 43% और 2023 में 46% कम बारिश हुई, जबकि 2020-22 में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई थी।
पिछले वर्षों की तुलनापिछले पांच साल के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में यूपी में सबसे कम बारिश हुई, जो सामान्य से 29% कम थी। 2023 में यह कमी 17% रही, जबकि 2024 में बारिश सामान्य के करीब रही।
फसलों पर बारिश का प्रभावकृषि वैज्ञानिक के अनुसार, हथिया नक्षत्र, जो 21-22 सितंबर से शुरू हुआ, धान की फसल के लिए फायदेमंद है। इस दौरान होने वाली हल्की बारिश कीटों को नष्ट करती है और दलहनी व तिलहनी फसलों के लिए खेत में नमी बनाए रखती है, जिससे रबी की फसल समय पर बोई जा सकती है। हालांकि, अत्यधिक तेज बारिश धान की फसल को गिरा सकती है, जिससे उसकी गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है और कटाई में कठिनाई हो सकती है।
हथिया नक्षत्र का महत्वहथिया नक्षत्र, जो चंद्रमा के स्वामित्व वाला पांच तारों का समूह है, किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है। इसकी आकृति हाथ के पंजे जैसी होती है और इस दौरान होने वाली हल्की बारिश फसलों के लिए लाभकारी मानी जाती है। किसान इस समय का इंतजार फसल बोने के लिए करते हैं।
इस मानसून की बारिश इस साल 1 जून से 27 सितंबर तक यूपी में औसतन 700.2 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो मौसम विभाग के अनुमानित 739.8 मिमी से 5% कम है।
सबसे ज्यादा बारिशएटा में इस मानसून सीजन में सबसे ज्यादा 880 मिमी बारिश हुई, जो अनुमानित 503.6 मिमी से 75% अधिक है। इसका कारण एटा का मध्य-पश्चिमी हिस्से में होना है, जहां बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी नमी अधिक प्रभाव डालती है। इसके बाद संभल में 656 मिमी के अनुमान के मुकाबले 61% अधिक 1055 मिमी बारिश दर्ज की गई।
सबसे कम बारिशदेवरिया में इस साल सबसे कम 97 मिमी बारिश हुई, जो अनुमानित 773 मिमी से 87% कम है। कुशीनगर में भी 738 मिमी के अनुमान के मुकाबले 65% कम यानी 261 मिमी बारिश हुई। देवरिया के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक मांधाता सिंह ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले चार साल से बारिश में कमी देखी जा रही है। 2024 में देवरिया में 43% और 2023 में 46% कम बारिश हुई, जबकि 2020-22 में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई थी।
पिछले वर्षों की तुलनापिछले पांच साल के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में यूपी में सबसे कम बारिश हुई, जो सामान्य से 29% कम थी। 2023 में यह कमी 17% रही, जबकि 2024 में बारिश सामान्य के करीब रही।
फसलों पर बारिश का प्रभावकृषि वैज्ञानिक के अनुसार, हथिया नक्षत्र, जो 21-22 सितंबर से शुरू हुआ, धान की फसल के लिए फायदेमंद है। इस दौरान होने वाली हल्की बारिश कीटों को नष्ट करती है और दलहनी व तिलहनी फसलों के लिए खेत में नमी बनाए रखती है, जिससे रबी की फसल समय पर बोई जा सकती है। हालांकि, अत्यधिक तेज बारिश धान की फसल को गिरा सकती है, जिससे उसकी गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है और कटाई में कठिनाई हो सकती है।
हथिया नक्षत्र का महत्वहथिया नक्षत्र, जो चंद्रमा के स्वामित्व वाला पांच तारों का समूह है, किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है। इसकी आकृति हाथ के पंजे जैसी होती है और इस दौरान होने वाली हल्की बारिश फसलों के लिए लाभकारी मानी जाती है। किसान इस समय का इंतजार फसल बोने के लिए करते हैं।
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