यानी यह केवल बड़ों की ही बीमारी नहीं है। डॉ. पुरोहित ने इस बीमारी से जुड़े इसी तरह के कई अन्य मिथकों और सच्चाइयों के बारे में विस्तार से बताया। चलिए जानते हैं उन्होंने और क्या कुछ कहा।
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बच्चों को नहीं होता है कैंसर

अक्सर लोगों का मानना है कि कैंसर सिर्फ बड़ों को होता है। लेकिन यह धारणा बिल्कुल गलत है। सच तो यह है कि हर साल दुनिया भर में हजारों बच्चे भी कैंसर की चपेट में आते हैं। बचपन में पाए जाने वाले सबसे आम कैंसर प्रकारों में ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर), लिम्फोमा, ब्रेन ट्यूमर और न्यूरोब्लास्टोमा शामिल हैं। भले ही बच्चों में कैंसर के मामले अपेक्षाकृत कम हों, लेकिन यह कहना कि बचपन में कैंसर नहीं होता, सही नहीं है।
कैंसर का इलाज नहीं होता है सफल
अक्सर लोगों का मानना है कि कैंसर का इलाज केवल दर्द, कमजोरी और नाकामी लेकर आता है। लेकिन यह सच नहीं है। आज मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की कर ली है। कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी के साथ-साथ अब स्टेम सेल ट्रांसप्लांट और टार्गेटेड थेरेपी जैसी आधुनिक तकनीकें भी उपलब्ध हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर बच्चे की उम्र, स्थिति और जरूरत के हिसाब से सबसे सुरक्षित और प्रभावी उपचार का चयन करते हैं, जिससे अच्छे परिणाम मिलते हैं।
संक्रामक होता है Cancer

कई लोग मानते हैं कि कैंसर किसी से लग सकता है, लेकिन यह बिल्कुल गलत धारणा है। कैंसर कोई संक्रामक रोग नहीं है। यह न तो वायरस से फैलता है और न ही बैक्टीरिया से। इसलिए कैंसर से पीड़ित बच्चों को स्कूल, खेल या सामाजिक गतिविधियों में अलग करने की कोई जरूरत नहीं होती। वे भी अन्य बच्चों की तरह पूरी तरह सामान्य वातावरण में रह सकते हैं।
आधुनिक लाइफस्टाइल है कारण
अक्सर यह मान लिया जाता है कि आधुनिक जीवनशैली या रसायनों के कारण ही बच्चों में कैंसर होता है। जबकि सच्चाई यह है कि बचपन के कैंसर के कारण बहुत जटिल होते हैं और कई कारकों से मिलकर बनते हैं। इसमें आनुवंशिक बदलाव, कोशिकाओं के विभाजन में गड़बड़ी और कुछ दुर्लभ परिस्थितियां भी शामिल हो सकती हैं। पर्यावरणीय प्रदूषण या हानिकारक रसायन स्वास्थ्य पर असर डालते हैं, लेकिन केवल इन्हें ही कैंसर का कारण मानना पूरी तरह सही नहीं है।
कैंसर हमेशा जानलेवा होता है

कई लोग सोचते हैं कि कैंसर का मतलब सिर्फ मौत है। यह एक पुरानी और गलत मान्यता है। आज की आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों और उन्नत इलाज के कारण बच्चों में कैंसर से ठीक होने की संभावना काफी बढ़ गई है। उदाहरण के तौर पर, कुछ प्रकार के ल्यूकेमिया में 80-90% बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं। समय पर पहचान और सही उपचार से बचपन का कैंसर न केवल नियंत्रित किया जा सकता है बल्कि बच्चे सामान्य जीवन भी जी सकते हैं।
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