नई दिल्ली: दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे देशभर के सैकड़ों बच्चों और युवाओं की जिंदगियां इलाज रुकने की वजह से खतरे में हैं। मरीजों और पैरेंट्स के ग्रुप ने प्रधानमंत्री और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को संयुक्त अपील करते हुए जल्द हस्तक्षेप की मांग की है। इन परिवारों का कहना है कि राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति (NPRD-2021) के तहत मिले 50 लाख की वन-टाइम फंडिंग खत्म होने के बाद कई मरीजों का इलाज रुक गया है, जिससे पिछले दो साल में करीब 60 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं, 55 से अधिक मरीज महीनों से इलाज का इंतजार कर रहे हैं।
कई जिंदगियां दांव पर लगी इस मामले को लेकर पिछले साल 4 अक्टूबर को हाई कोर्ट की तरफ से दिए आदेश में दुर्लभ रोगों के लिए 974 करोड़ का राष्ट्रीय फंड बनाने और फंडिंग पर लगी सीमा हटाने को कहा था। लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल कर दी, जिससे मामला लगभग एक साल से अटका हुआ है। इस देरी की वजह से कई जिंदगियां दांव पर लगी है।
एक बच्चा तिल-तिल कर मर रहालाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर स्पोर्ट सोसायटी (LSDSS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंजीत सिंह ने कहा कि हर गुजरते हफ्ते के साथ एक बच्चा तिल-तिल कर मर रहा है। हाई कोर्ट का आदेश उनके जीवन और सम्मान का अधिकार सुनिश्चित करता है। हम सिर्फ उसके क्रियान्वयन की उम्मीद रखते हैं। इस बारे में कोलकाता की छह साल की आद्रिजा के पिता जयंत मुड़ी कहते है कि इलाज चल रहा था तो बच्ची बिल्कुल सामान्य हो गई थी। फंड खत्म होते ही इलाज रुक गया और उसकी हालत बिगड़ने लगी है। वहीं, दिल्ली के 10 साल के अब्दुल के पिता अबुल कलाम ने कहा कि सितंबर 2024 से इलाज बंद है।
कई जिंदगियां दांव पर लगी इस मामले को लेकर पिछले साल 4 अक्टूबर को हाई कोर्ट की तरफ से दिए आदेश में दुर्लभ रोगों के लिए 974 करोड़ का राष्ट्रीय फंड बनाने और फंडिंग पर लगी सीमा हटाने को कहा था। लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल कर दी, जिससे मामला लगभग एक साल से अटका हुआ है। इस देरी की वजह से कई जिंदगियां दांव पर लगी है।
एक बच्चा तिल-तिल कर मर रहालाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर स्पोर्ट सोसायटी (LSDSS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंजीत सिंह ने कहा कि हर गुजरते हफ्ते के साथ एक बच्चा तिल-तिल कर मर रहा है। हाई कोर्ट का आदेश उनके जीवन और सम्मान का अधिकार सुनिश्चित करता है। हम सिर्फ उसके क्रियान्वयन की उम्मीद रखते हैं। इस बारे में कोलकाता की छह साल की आद्रिजा के पिता जयंत मुड़ी कहते है कि इलाज चल रहा था तो बच्ची बिल्कुल सामान्य हो गई थी। फंड खत्म होते ही इलाज रुक गया और उसकी हालत बिगड़ने लगी है। वहीं, दिल्ली के 10 साल के अब्दुल के पिता अबुल कलाम ने कहा कि सितंबर 2024 से इलाज बंद है।
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