ICE on Indian Students: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' पर साइन कर उसे कानून बनाया है। ये बिल अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के लिए किसी झटके से कम नहीं है। इस बिल के तहत इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) को लगभग 170 बिलियन डॉलर दिए गए हैं, ताकि वह अपने डिपोर्टेशन प्रोग्राम को और सख्त बना सके। बिल में कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिस वजह से अमेरिका में भारतीय छात्र सबसे ज्यादा टेंशन में आ चुके हैं।
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बिल में कहा गया है कि अगर कोई शख्स वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी अमेरिका में रहता है, तो उसके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाए। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि उसे डिपोर्ट भी कर दिया जाए। इसके अलावा 1% रेमिटेंस टैक्स भी लगाया गया है, जिससे छात्रों को वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ेगा। एजुकेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन बदलावों की वजह से अब भारतीय छात्र अमेरिका छोड़कर कनाडा और यूरोप जैसे अन्य देशों में पढ़ने की प्लानिंग कर सकते हैं।
OPT के बाद यूएस में रुकना होगा खतरनाक
स्टडी अब्रॉड प्लेटफॉर्म के एक्सपर्ट्स ने बताया कि बिल में दिए गए अधिकारों की वजह से एजेंसियां अब स्थानीय समुदायों तक पहुंच पाएंगी और वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी रहने वाले लोगों पर कार्रवाई कर सकेंगी। अगर कोई भारतीय ग्रेजुएट ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) पर काम कर रहा है। इसके बाद वह नौकरी ढूंढने के लिए कुछ दिन ज्यादा यूएस में रहना चाहता है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है। 1% रेमिटेंस टैक्स से छात्र घर पैसा भेजने पर ज्यादा कटौती का सामना करेंगे।
टैक्स को लेकर बढ़ी परेशानी
कॉलेजिफाई के को-फाउंडर आदर्श खंडेलवाल ने ईटी से बात करते हुए कहा, छोटा सा टैक्स भी भारतीय छात्रों को प्रभावित कर सकता है, खासतौर पर उनको, जिनके परिवार की आय कम है। ट्यूशन फीस और परिवार के सपोर्ट के लिए हर एक डॉलर की कीमत होती है। उन्होंने बताया कि टैक्स न केवल एच-1बी या ग्रीन कार्ड धारकों द्वारा किए गए विदेशी प्रेषण पर लागू होगा, बल्कि एफ-1 छात्र वीजा धारकों द्वारा नकद जैसी विधियों (नकद, मनी ऑर्डर, कैशियर चेक) का उपयोग करके किए गए प्रेषण पर भी लागू होगा। उदाहरण के लिए, भारत में 1,000 डॉलर के हस्तांतरण पर 10 डॉलर का टैक्स लगेगा।
सोशल मीडिया पोस्ट ने भी दी टेंशन
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सबसे ज्यादा टेंशन टैक्स को लेकर नहीं है, बल्कि छात्रों को अब अपने सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर भी सावधानी बरतनी होगी। फॉरेनएडमिट्स के निखिल जैन ने कहा, "छात्र हर चीज के बारे में अति सतर्क हो रहे हैं - उनकी सोशल मीडिया उपस्थिति, उनके वित्तीय लेनदेन, उनकी वीजा स्थिति।" उन्होंने आगे कहा, "यह टैक्स सिर्फ डर को बढ़ा रहा है।" एक्सपर्ट्स का कहना है कि छात्र और वीजा आवेदक ज्यादातर पुरानी सोशल मीडिया पोस्ट को हटा रहे हैं और अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के बारे में अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं।
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बिल में कहा गया है कि अगर कोई शख्स वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी अमेरिका में रहता है, तो उसके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाए। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि उसे डिपोर्ट भी कर दिया जाए। इसके अलावा 1% रेमिटेंस टैक्स भी लगाया गया है, जिससे छात्रों को वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ेगा। एजुकेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन बदलावों की वजह से अब भारतीय छात्र अमेरिका छोड़कर कनाडा और यूरोप जैसे अन्य देशों में पढ़ने की प्लानिंग कर सकते हैं।
OPT के बाद यूएस में रुकना होगा खतरनाक
स्टडी अब्रॉड प्लेटफॉर्म के एक्सपर्ट्स ने बताया कि बिल में दिए गए अधिकारों की वजह से एजेंसियां अब स्थानीय समुदायों तक पहुंच पाएंगी और वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी रहने वाले लोगों पर कार्रवाई कर सकेंगी। अगर कोई भारतीय ग्रेजुएट ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) पर काम कर रहा है। इसके बाद वह नौकरी ढूंढने के लिए कुछ दिन ज्यादा यूएस में रहना चाहता है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है। 1% रेमिटेंस टैक्स से छात्र घर पैसा भेजने पर ज्यादा कटौती का सामना करेंगे।
टैक्स को लेकर बढ़ी परेशानी
कॉलेजिफाई के को-फाउंडर आदर्श खंडेलवाल ने ईटी से बात करते हुए कहा, छोटा सा टैक्स भी भारतीय छात्रों को प्रभावित कर सकता है, खासतौर पर उनको, जिनके परिवार की आय कम है। ट्यूशन फीस और परिवार के सपोर्ट के लिए हर एक डॉलर की कीमत होती है। उन्होंने बताया कि टैक्स न केवल एच-1बी या ग्रीन कार्ड धारकों द्वारा किए गए विदेशी प्रेषण पर लागू होगा, बल्कि एफ-1 छात्र वीजा धारकों द्वारा नकद जैसी विधियों (नकद, मनी ऑर्डर, कैशियर चेक) का उपयोग करके किए गए प्रेषण पर भी लागू होगा। उदाहरण के लिए, भारत में 1,000 डॉलर के हस्तांतरण पर 10 डॉलर का टैक्स लगेगा।
सोशल मीडिया पोस्ट ने भी दी टेंशन
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सबसे ज्यादा टेंशन टैक्स को लेकर नहीं है, बल्कि छात्रों को अब अपने सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर भी सावधानी बरतनी होगी। फॉरेनएडमिट्स के निखिल जैन ने कहा, "छात्र हर चीज के बारे में अति सतर्क हो रहे हैं - उनकी सोशल मीडिया उपस्थिति, उनके वित्तीय लेनदेन, उनकी वीजा स्थिति।" उन्होंने आगे कहा, "यह टैक्स सिर्फ डर को बढ़ा रहा है।" एक्सपर्ट्स का कहना है कि छात्र और वीजा आवेदक ज्यादातर पुरानी सोशल मीडिया पोस्ट को हटा रहे हैं और अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के बारे में अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं।
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