दमोह: खुद को डॉक्टर बताकर मध्य प्रदेश के दमोह जिले के एक अस्पताल में कई मरीजों की सर्जरी करने वाले फर्जी डॉक्टर को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। फर्जी डॉक्टर ने जिस दिन मरीजों का ऑपरेशन किया था उनमें से पांच की मौत उसी दिन हो गई थी। फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने खुद को यूके के एक ह्रदय रोग विशेषज्ञ के रूप में बताया था। मामले का खुलासा होने के बाद उसे प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, इसकी जानकारी मध्य प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र में दी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि फर्जी डॉक्टर के पांच मरीजों की मौत हुई दिन हो गई थी जिस दिन उनका ऑपरेशन किया गया था। फर्जी डॉक्टर ने 2 जनवरी से 11 फरवरी के बीच दमोह जिले के मिशन अस्पताल में 12 ऑपरेशन किए थे। इनमें से पांच मरीजों की ऑपरेशन के दिन ही मौत हो गई थी।
लास्ट ऑपरेशन के बाद दिया था इस्तीफा
रिपोर्ट के अनुसार, जिन पांच मरीजों की मौत इलाज के बाद हुई उनकी उम्र 51 से 75 साल के बीच थी। फर्जी डॉक्टर ने इन सभी का ऑपरेशन एक महीने से कम समय के अंदर किए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर डॉक्टर को एक के बाद एक 12 ऑपरेशन करने की अनुमति कैसे मिली थी। लास्ट ऑपरेशन करने के बाद फर्जी डॉक्टर इस्तीफा देकर चला गया था। बताया जा रहा है कि वह अपने साथ अस्पताल से एक पोर्टेबल इको मशीन भी साथ ले गया था।
मृतकों की पहचान
जिन मरीजों की मौत ऑपरेशन के ही दिन हुई थी उनकी पहचान हो गई है। 63 वर्षीय रहीस बेगम का 15 जनवरी को ऑपरेशन हुआ था और उसी दिन उनकी मौत हो गई। इजराइल खान का ऑपरेशन 17 जनवरी को हुआ और फिर उसकी मौत हो गई। बुद्ध अहिरवार का ऑपरेशन 25 जनवरी को हुआ और फिर मौत हो गई। मंगल सिंह राजपूत का ऑपरेशन 2 फरवरी को हुआ और फिर मौत हो गई। 51 साल के सत्येंद्र सिंह राठौर का भी ऑपरेशन 11 फरवरी को हुआ और उसी दिन मौत हो गई।
क्या कहा डेप्युटी सीएम ने
उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने शुक्रवार को विधानसभा में स्वीकार किया कि अस्पताल ने मध्य प्रदेश नर्सिंग होम्स एवं क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट्स अधिनियम के तहत नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव के नियुक्ति के बारे में स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचित नहीं किया था। मंत्री ने कहा कि अस्पताल ने यादव की नियुक्ति का विवरण प्रस्तुत नहीं किया जिस कारण से सरकार को मरीजों का इलाज शुरू करने से पहले उसकी चिकित्सा योग्यता या प्रमाण-पत्रों को सत्यापित करने का कोई अवसर नहीं मिला। विधानसभा को यह भी बताया गया कि दमोह जिले के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही और नियामकीय निगरानी में विफल रहने के आरोप में अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है।
अप्रैल में हुई थी गिरफ्तारी
नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव को इस साल अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। उन्होंने डॉ. नरेंद्र जॉन कैम नाम धारण किया और यूके स्थित हृदय रोग विशेषज्ञ और प्रोफेसर जॉन कैम की पहचान चुराई। दमोह एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने बताया था कि यादव ने दावा किया कि वह 1999 में लंदन गए और एक मेडिकल कोर्स किया, जो उन्हें भारत में अभ्यास करने के लिए योग्य नहीं बनाता था, इसलिए उन्होंने एक MD की डिग्री जाली बनाई। उन्होंने 1999 से यूके के प्रोफेसर जॉन कैम से अपना नाम बदलने की कोशिश की है।
रिपोर्ट के अनुसार, इसकी जानकारी मध्य प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र में दी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि फर्जी डॉक्टर के पांच मरीजों की मौत हुई दिन हो गई थी जिस दिन उनका ऑपरेशन किया गया था। फर्जी डॉक्टर ने 2 जनवरी से 11 फरवरी के बीच दमोह जिले के मिशन अस्पताल में 12 ऑपरेशन किए थे। इनमें से पांच मरीजों की ऑपरेशन के दिन ही मौत हो गई थी।
लास्ट ऑपरेशन के बाद दिया था इस्तीफा
रिपोर्ट के अनुसार, जिन पांच मरीजों की मौत इलाज के बाद हुई उनकी उम्र 51 से 75 साल के बीच थी। फर्जी डॉक्टर ने इन सभी का ऑपरेशन एक महीने से कम समय के अंदर किए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर डॉक्टर को एक के बाद एक 12 ऑपरेशन करने की अनुमति कैसे मिली थी। लास्ट ऑपरेशन करने के बाद फर्जी डॉक्टर इस्तीफा देकर चला गया था। बताया जा रहा है कि वह अपने साथ अस्पताल से एक पोर्टेबल इको मशीन भी साथ ले गया था।
मृतकों की पहचान
जिन मरीजों की मौत ऑपरेशन के ही दिन हुई थी उनकी पहचान हो गई है। 63 वर्षीय रहीस बेगम का 15 जनवरी को ऑपरेशन हुआ था और उसी दिन उनकी मौत हो गई। इजराइल खान का ऑपरेशन 17 जनवरी को हुआ और फिर उसकी मौत हो गई। बुद्ध अहिरवार का ऑपरेशन 25 जनवरी को हुआ और फिर मौत हो गई। मंगल सिंह राजपूत का ऑपरेशन 2 फरवरी को हुआ और फिर मौत हो गई। 51 साल के सत्येंद्र सिंह राठौर का भी ऑपरेशन 11 फरवरी को हुआ और उसी दिन मौत हो गई।
क्या कहा डेप्युटी सीएम ने
उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने शुक्रवार को विधानसभा में स्वीकार किया कि अस्पताल ने मध्य प्रदेश नर्सिंग होम्स एवं क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट्स अधिनियम के तहत नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव के नियुक्ति के बारे में स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचित नहीं किया था। मंत्री ने कहा कि अस्पताल ने यादव की नियुक्ति का विवरण प्रस्तुत नहीं किया जिस कारण से सरकार को मरीजों का इलाज शुरू करने से पहले उसकी चिकित्सा योग्यता या प्रमाण-पत्रों को सत्यापित करने का कोई अवसर नहीं मिला। विधानसभा को यह भी बताया गया कि दमोह जिले के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही और नियामकीय निगरानी में विफल रहने के आरोप में अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है।
अप्रैल में हुई थी गिरफ्तारी
नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव को इस साल अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। उन्होंने डॉ. नरेंद्र जॉन कैम नाम धारण किया और यूके स्थित हृदय रोग विशेषज्ञ और प्रोफेसर जॉन कैम की पहचान चुराई। दमोह एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने बताया था कि यादव ने दावा किया कि वह 1999 में लंदन गए और एक मेडिकल कोर्स किया, जो उन्हें भारत में अभ्यास करने के लिए योग्य नहीं बनाता था, इसलिए उन्होंने एक MD की डिग्री जाली बनाई। उन्होंने 1999 से यूके के प्रोफेसर जॉन कैम से अपना नाम बदलने की कोशिश की है।
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