पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम का ऐलान कर दिया गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने बताया कि राज्य में इस बार दो चरणों में वोटिंग होगी। पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा, जिसके बाद नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। चुनाव की घोषणा के दौरान, CEC ने बाढ़ग्रस्त दियारा क्षेत्रों में चुनाव कराने की चुनौतियों पर भी बात की। उन्होंने बताया कि इस इलाके के लगभग 250 पोलिंग स्टेशनों पर चुनाव प्रक्रिया को सही से संपन्न कराने के लिए आयोग को विशेष इंतजाम करने पड़ते हैं। बाकी नॉर्मल पेट्रोलिंग से काम चल जाता है।
कुछ मतदान केंद्रों के लिए खास इंतजामCEC ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार में मतदान दो चरणों में संपन्न होगा। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा, जबकि वोटों की गिनती 14 नवंबर को की जाएगी। कटिहार, किशनगंज, अररिया और सुपौल जिले के कुछ हिस्से दियारा इलाके में आते हैं, जो हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं। इन इलाकों में सड़क की सुविधा न होने के कारण चुनाव आयोग को विशेष तैयारियां करनी पड़ती हैं ताकि सभी मतदान केंद्रों पर चुनाव सामग्री पहुंचाई जा सके और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
दियारा क्षेत्रों में नाव और घोड़ों का इस्तेमालबाढ़ प्रभावित दियारा इलाका नदी के किनारे बसा है। यहां के लगभग 250 पोलिंग स्टेशनों पर चुनाव आयोग ने विशेष व्यवस्था की है। ज्ञानेश कुमार ने बताया कि इस इलाके में लगभग 197 पोलिंग स्टेशनों पर पोलिंग पार्टियां नाव से पहुंचती हैं। इसके अलावा, पेट्रोलिंग और सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए भी नावों और घोड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। चुनाव सामग्री ढोने और अधिकारियों के आवागमन के लिए भी इन्हीं साधनों का प्रयोग होता है, क्योंकि साल भर पानी जमा होने से सड़क संपर्क कट जाता है।
सुरक्षा व्यवस्था के साथ बाढ़ की चुनौतीCEC ने बताया कि बाढ़ग्रस्त इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए घोड़े से पेट्रोलिंग होती है। इन इलाकों में साल भर बाढ़ का पानी जमा रहता है, जिससे सैकड़ों गांव मुख्यधारा से कट जाते हैं। ऐसे चुनौतीपूर्ण माहौल में चुनाव प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए नाव और घोड़े चुनाव आयोग के लिए प्रमुख साधन बन जाते हैं। यह बिहार चुनाव की एक दिलचस्प और अनोखी चुनौती है, जिस पर आयोग विशेष ध्यान दे रहा है।
कुछ मतदान केंद्रों के लिए खास इंतजामCEC ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार में मतदान दो चरणों में संपन्न होगा। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा, जबकि वोटों की गिनती 14 नवंबर को की जाएगी। कटिहार, किशनगंज, अररिया और सुपौल जिले के कुछ हिस्से दियारा इलाके में आते हैं, जो हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं। इन इलाकों में सड़क की सुविधा न होने के कारण चुनाव आयोग को विशेष तैयारियां करनी पड़ती हैं ताकि सभी मतदान केंद्रों पर चुनाव सामग्री पहुंचाई जा सके और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
दियारा क्षेत्रों में नाव और घोड़ों का इस्तेमालबाढ़ प्रभावित दियारा इलाका नदी के किनारे बसा है। यहां के लगभग 250 पोलिंग स्टेशनों पर चुनाव आयोग ने विशेष व्यवस्था की है। ज्ञानेश कुमार ने बताया कि इस इलाके में लगभग 197 पोलिंग स्टेशनों पर पोलिंग पार्टियां नाव से पहुंचती हैं। इसके अलावा, पेट्रोलिंग और सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए भी नावों और घोड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। चुनाव सामग्री ढोने और अधिकारियों के आवागमन के लिए भी इन्हीं साधनों का प्रयोग होता है, क्योंकि साल भर पानी जमा होने से सड़क संपर्क कट जाता है।
सुरक्षा व्यवस्था के साथ बाढ़ की चुनौतीCEC ने बताया कि बाढ़ग्रस्त इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए घोड़े से पेट्रोलिंग होती है। इन इलाकों में साल भर बाढ़ का पानी जमा रहता है, जिससे सैकड़ों गांव मुख्यधारा से कट जाते हैं। ऐसे चुनौतीपूर्ण माहौल में चुनाव प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए नाव और घोड़े चुनाव आयोग के लिए प्रमुख साधन बन जाते हैं। यह बिहार चुनाव की एक दिलचस्प और अनोखी चुनौती है, जिस पर आयोग विशेष ध्यान दे रहा है।
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