टेक्नोलॉजी की दुनिया में बदलाव इतनी तेजी से आते हैं कि जो चीजें आज हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा लगती हैं, वो कल कब इतिहास बन जाती हैं पता ही नहीं चलता। याद कीजिए कैसेट टेप्स, फ्लॉपी डिस्क और पेजर्स को, जो कभी बहुत जरूरी लगते थे। अब 2030 की तरफ बढ़ते हुए भी कई ऐसी टेक्नोलॉजी हैं जो धीरे-धीरे गायब होने की कगार पर हैं। आपकी जेब में पड़ा SIM Card हो या रोज इस्तेमाल होने वाले पासवर्ड, USB केबल हों या फिजिकल चाबियां। ये सब जल्द ही म्यूजियम की चीजें बन सकती हैं। चलिए जानते हैं कुछ उन टेक्नोलॉजी के बारे में जो 2030 तक अपना वजूद खो सकती हैं।
पासवर्डपासवर्ड का दौर अब खत्म हो रहा है। बायोमेट्रिक और फेस आईडी जैसी टेक्नोलॉजी ने सुरक्षा को आसान और तेज बना दिया है। अब पासवर्ड याद रखना पुरानी बात लगने लगा है। हो सकता है कि 2030 तक सिर्फ हमारे अंगूठे और चेहरा ही एक मात्र पासवर्ड रह जाए।
फिजिकल क्रेडिट कार्डअब वॉलेट की जगह मोबाइल फोन के पेमेंट टूल ने ले ली है। डिजिटल वॉलेट, UPI और NFC पेमेंट ने फिजिकल कार्ड्स की जरूरत लगभग खत्म कर दी है। ऐसे में संभव है कि कुछ सालों में फिजिकल क्रेडिट कार्ड पूरी तरह से गायब हो जाएं।
रिमोट कंट्रोलटीवी और एसी अब मोबाइल ऐप या वॉयस कमांड से कंट्रोल होने लगे हैं। रिमोट खोने या बैटरी बदलने की परेशानी धीरे-धीरे बीते जमाने की बात बन रही है। हो सकता है कि साल 2030 तक हमें फिजिकल रिमोट दिखने बंद हो जाएं। इसकी संभावना इसलिए भी प्रबल है क्योंकि स्मार्ट टीवी के जिस तरह के रिमोट आज हम देखते हैं, उनसे टीवी पर टाइप कर पाना मुश्किल हो जाता है। वहीं टीवी कंट्रोल करने के लिए बनाई गई ऐप्स जैसे कि गूगल टीवी के जरिए न सिर्फ टीवी को कंट्रोल करना आसान होता है बल्कि टीवी पर टाइप भी आसानी से हो जाता है।
चार्जिंग केबलवायरलेस चार्जिंग ने केबलों की उलझन खत्म कर दी है। अब सिर्फ मोबाइल ही नहीं, लैपटॉप और ईयरबड्स भी बिना तार के आसानी से चार्ज हो रहे हैं। अचंभे की बात नहीं होगी, अगर कुछ सालों में वायरलेस चार्जिंग केबल्स की जगह ले लें। ऐसी खबरें भी हैं कि कई कंपनियां जैसे कि खुद ऐपल पोर्ट लेस iPhone बना सकती हैं। इसका मतलब है कि संभव है किसी दिन हम सिर्फ वायरलेस चार्जिंग से चार्ज होने वाला iPhone या कोई अन्य फोन देख पाएं।
पासवर्डपासवर्ड का दौर अब खत्म हो रहा है। बायोमेट्रिक और फेस आईडी जैसी टेक्नोलॉजी ने सुरक्षा को आसान और तेज बना दिया है। अब पासवर्ड याद रखना पुरानी बात लगने लगा है। हो सकता है कि 2030 तक सिर्फ हमारे अंगूठे और चेहरा ही एक मात्र पासवर्ड रह जाए।
फिजिकल क्रेडिट कार्डअब वॉलेट की जगह मोबाइल फोन के पेमेंट टूल ने ले ली है। डिजिटल वॉलेट, UPI और NFC पेमेंट ने फिजिकल कार्ड्स की जरूरत लगभग खत्म कर दी है। ऐसे में संभव है कि कुछ सालों में फिजिकल क्रेडिट कार्ड पूरी तरह से गायब हो जाएं।
रिमोट कंट्रोलटीवी और एसी अब मोबाइल ऐप या वॉयस कमांड से कंट्रोल होने लगे हैं। रिमोट खोने या बैटरी बदलने की परेशानी धीरे-धीरे बीते जमाने की बात बन रही है। हो सकता है कि साल 2030 तक हमें फिजिकल रिमोट दिखने बंद हो जाएं। इसकी संभावना इसलिए भी प्रबल है क्योंकि स्मार्ट टीवी के जिस तरह के रिमोट आज हम देखते हैं, उनसे टीवी पर टाइप कर पाना मुश्किल हो जाता है। वहीं टीवी कंट्रोल करने के लिए बनाई गई ऐप्स जैसे कि गूगल टीवी के जरिए न सिर्फ टीवी को कंट्रोल करना आसान होता है बल्कि टीवी पर टाइप भी आसानी से हो जाता है।
चार्जिंग केबलवायरलेस चार्जिंग ने केबलों की उलझन खत्म कर दी है। अब सिर्फ मोबाइल ही नहीं, लैपटॉप और ईयरबड्स भी बिना तार के आसानी से चार्ज हो रहे हैं। अचंभे की बात नहीं होगी, अगर कुछ सालों में वायरलेस चार्जिंग केबल्स की जगह ले लें। ऐसी खबरें भी हैं कि कई कंपनियां जैसे कि खुद ऐपल पोर्ट लेस iPhone बना सकती हैं। इसका मतलब है कि संभव है किसी दिन हम सिर्फ वायरलेस चार्जिंग से चार्ज होने वाला iPhone या कोई अन्य फोन देख पाएं।
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