रांचीः रांची में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से विश्व विरासत दिवस मनाया गया। इस मौके पर बेनीसागर के ऐतिहासिक महत्व पर पुस्तिका का भी विमोचन हुआ। झारखंड में एएसआई के तहत धरोहर हैं। इन ऐतिहासिक महत्व के धरोहर को संरक्षित करने और उसके विकास पर चर्चा की गई। एएसआई के तहत 14 धरोहर हैं झारखंड मेंरांची के पुंदाग स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रांची मंडल के न्यू ऑफिस बिल्डिंग में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. हरेंद्र सिन्हा ने किया। जबकि अधीक्षण पुराविद डॉ. करबी साहा ने झारखंड स्थित संरक्षित स्मारकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एएसआई के तहत राज्य में 14 धरोहर है, जिन्हें संरक्षित साइट घोषित किया गया। इसमें खूंटी जिले में असूरा साइट हेंसा, कटहरटोली, कुंजला, सरीदकेल, और साइटटोला शामिल है। इसके अलावा हाराडीह मंदिर रांची, लोहरदगा का एशिएंट स्टोन मंदिर, साहेबगंज में बारादरी भवन, जामा मस्जिद, पश्चिमी सिंहभूम का बेनीसागर संरक्षित धरोहर है। उन्होंने यह भी दिखाया कि इन जगहों को बचाने के लिए क्या काम किया जा रहा है। नवरत्नगढ़ किला और बेनीसागर में छिपे हैं कई राजवहीं पूर्वी सिंह का पुराना किला क्षेत्र रुआम, सरायकेला-खरसावां जिले में कुलगढ़ा और बासपुत (ईचागढ़) मंदिर भी एएसआई के अधीन है। इसके अलावा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से गुमला जिले में दोइसा नगर अथवा नवरत्नगढ़ किले की भी देखभाल की जा रही है। इसके साथ ही हाल ही में प्राचीन स्मारक चित्रित शैलाश्रय बड़कागांव को भी संरक्षित साइट घोषित किया गया है। एएसआई की ओर से विरासत को संरक्षित के लिए उठाए गए कई कदमविश्व विरासत दिवस पर एएसआई रांची मंडल की ओर से आयोजित कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने भी भाग लिया। बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता हुई। कार्यक्रम का संचालन सहायक पुराविद डॉ. नीरज कुमार मिश्रा ने किया। उन्होंने पिछले वर्षों में रांची एएसआई की ओर से किए गए कार्यों के बारे में जानकारी दी। जबकि सहायक अभियंता एएसआई रमेश कुमार की ओर से स्मारकों के संरक्षण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में सोमेन राय ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने मिलकर पौधे लगाए।
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