एआविवादास्पद अनुच्छेदों को छोड़ दिया है जिस पर शीर्ष अदालत के निर्देश लंबित हैं। उच्चतम न्यायालय ने 19 सितंबर को न्यायाधीश एल नागेश्वर राव द्वारा तैयार किए गए एआईएफएफ के संविधान के मसौदे को कुछ संशोधनों के साथ मंजूरी दे दी थी और महासंघ को इसे चार हफ्तों के भीतर अपनाने का निर्देश दिया था।
लेकिन संविधान के मसौदे के दो अनुच्छेद शीर्ष अधिकारियों के लिए सिरदर्द बन गए थे और एआईएफएफ ने इन दो नियमों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। एआईएफएफ के एक शीर्ष अधिकारी ने, ‘उच्चतम न्यायालय द्वारा मंजूर संविधान को अपनाया गया लेकिन दो अनुच्छेदों को छोड़ दिया गया है जिस पर उच्चतम न्यायालय का निर्देश लंबित है।’
एआईएफएफ ने जारी किया बयानएआईएफएफ ने एक बयान में कहा कि ‘संशोधित संविधान को 29 स्थायी सदस्यों द्वारा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान के साथ अपनाया गया।’ एआईएफएफ ने कहा, ‘एआईएफएफ की आम सभा ने भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा सुझाए गए परिवर्तनों के साथ संशोधित संविधान को अपनाया। ’ इसमें कहा गया, ‘एआईएफएफ ने यह भी दर्ज किया कि उसने अनुच्छेद 23.3 और अनुच्छेद 25.3 (सी) और (डी) के अनुप्रयोग के संबंध में भारत के उच्चतम न्यायालय से स्पष्टीकरण मांगा है। इन दो (2) अनुच्छेदों को अपनाना उच्चतम न्यायालय के आगे के निर्देशों के अधीन रहेगा। ’
एसजीएम में फीफा प्रबंधक एमिली डोम्स, एएफसी के सदस्य संघ प्रभाग में दक्षिण एशियाई इकाई के वरिष्ठ प्रबंधक सोनम जिग्मी और दक्षिण एशिया में फीफा क्षेत्रीय कार्यालय विकास प्रबंधक प्रिंस रूफस भी शामिल हुए। एआईएफएफ ने बृहस्पतिवार को फीफा द्वारा उठाई गई आपत्तियों के मद्देनजर मसौदा संविधान की दो धाराओं - 23.3 और 25.3 (सी) - पर स्पष्टीकरण की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने एआईएफएफ को विशेष आम बैठक को सूचित करने के लिए कहा था कि उच्चतम न्यायालय इन पर स्पष्टीकरण देने के लिए सहमत हो गया है। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को यह भी कहा कि वह न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राव के साथ इन दोनों अनुच्छेदों के बारे में बात करेगा और उनसे एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहेगा। इसके बाद एआईएफएफ और अन्य हितधारकों ने शनिवार को न्यायमूर्ति राव के साथ एक वर्चुअल बैठक की। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार न्यायमूर्ति राव द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद उच्चतम न्यायालय सोमवार या मंगलवार को दोनों अनुच्छेदों के संबंध में मामले पर विचार कर सकता है। भाषा नमिता
लेकिन संविधान के मसौदे के दो अनुच्छेद शीर्ष अधिकारियों के लिए सिरदर्द बन गए थे और एआईएफएफ ने इन दो नियमों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। एआईएफएफ के एक शीर्ष अधिकारी ने, ‘उच्चतम न्यायालय द्वारा मंजूर संविधान को अपनाया गया लेकिन दो अनुच्छेदों को छोड़ दिया गया है जिस पर उच्चतम न्यायालय का निर्देश लंबित है।’
एआईएफएफ ने जारी किया बयानएआईएफएफ ने एक बयान में कहा कि ‘संशोधित संविधान को 29 स्थायी सदस्यों द्वारा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान के साथ अपनाया गया।’ एआईएफएफ ने कहा, ‘एआईएफएफ की आम सभा ने भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा सुझाए गए परिवर्तनों के साथ संशोधित संविधान को अपनाया। ’ इसमें कहा गया, ‘एआईएफएफ ने यह भी दर्ज किया कि उसने अनुच्छेद 23.3 और अनुच्छेद 25.3 (सी) और (डी) के अनुप्रयोग के संबंध में भारत के उच्चतम न्यायालय से स्पष्टीकरण मांगा है। इन दो (2) अनुच्छेदों को अपनाना उच्चतम न्यायालय के आगे के निर्देशों के अधीन रहेगा। ’
एसजीएम में फीफा प्रबंधक एमिली डोम्स, एएफसी के सदस्य संघ प्रभाग में दक्षिण एशियाई इकाई के वरिष्ठ प्रबंधक सोनम जिग्मी और दक्षिण एशिया में फीफा क्षेत्रीय कार्यालय विकास प्रबंधक प्रिंस रूफस भी शामिल हुए। एआईएफएफ ने बृहस्पतिवार को फीफा द्वारा उठाई गई आपत्तियों के मद्देनजर मसौदा संविधान की दो धाराओं - 23.3 और 25.3 (सी) - पर स्पष्टीकरण की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
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शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने एआईएफएफ को विशेष आम बैठक को सूचित करने के लिए कहा था कि उच्चतम न्यायालय इन पर स्पष्टीकरण देने के लिए सहमत हो गया है। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को यह भी कहा कि वह न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राव के साथ इन दोनों अनुच्छेदों के बारे में बात करेगा और उनसे एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहेगा। इसके बाद एआईएफएफ और अन्य हितधारकों ने शनिवार को न्यायमूर्ति राव के साथ एक वर्चुअल बैठक की। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार न्यायमूर्ति राव द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद उच्चतम न्यायालय सोमवार या मंगलवार को दोनों अनुच्छेदों के संबंध में मामले पर विचार कर सकता है। भाषा नमिता
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