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बेगूसराय अस्पताल में मुर्दा को जिंदा करने के लिए चला अंध विश्वास का खेल, शव के शरीर पर आटा-पाउडर रगड़ते रहे परिजन

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बेगूसरायः बिहार के बेगूसराय सदर अस्पताल में अंधविश्वास का नजारा देखने को मिला। दरअसल डॉक्टर की ओर से मृत घोषित युवक को जिंदा करने के लिए परिजन शव के शरीर पर बेलन और आटा पाउडर रगड़कर जिंदा करने का प्रयास करते रहे।



वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि सदर अस्पताल परिसर में एक बेंच पर एक युवक का शव पड़ा है और शव के शरीर पर उसके परिजन बेलन से रगड़ रहे हैं। इतना ही नहीं पूरे शरीर में आटा और पाउडर रगड़कर उसे जिंदा करने का प्रयास किया जा रहा है। अब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह पूरा मामला सदर अस्पताल में गुरुवार की दोपहर बाद की है।



करंट लगने से युवक की हुई मौत

दरअसल रिफाइनरी थाना क्षेत्र के गेट नंबर-10 मोसादपुर देवना के पास रविवार की दोपहर में बिजली की चपेट में आने से एक गैरेज संचालक युवक को करंट गई। मृतक युवक मोसाद पुर गांव का रहने वाले ललन शर्मा का 25 वर्षीय पुत्र मनीष कुमार है। मनीष चार पहिया वाहन पर खड़े होकर वेल्डिंग का काम कर रहा था तभी ऊपर से गुजर रहा बिजली की तार में उसका हाथ सट गया और उसे करंट लग गया। परिजनों ने उसे इलाज के लिए निजी अस्पताल में ले गया जहां से चिकित्सकों ने उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया।



डॉक्टर पर इलाज सही तरीके से नहीं करने का आरोप

परिजनों ने मनीष को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टर ने जांच के बाद उसे मृत्यु घोषित कर दिया। परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज सही तरीके से नहीं करने का आरोप लगाकर सदर अस्पताल परिसर में ही मनीष का शव बेंच पर रखकर घरेलू तरीके से जिंदा करने का प्रयास करने लगे। करीब 1 घंटे तक परिजनों ने शव को अस्पताल परिसर में ही पूरे शरीर पर बेलन से रगड़ने लगे आटा से रगड़ने लगे लेकिन उसके बावजूद मनीष जिंदा नहीं हुआ तब जाकर उसका पोस्टमार्टम कराया गया।



अंधविश्वास का तमाशा देखते रहे लोग

इस दौरान परिजनों के साथ-साथ दर्जनों लोगों की भीड़ जुटी रही और लोग इस अंधविश्वास का तमाशा देखते रहे। मृतक के परिजनों ने कहा कि करंट लगने से घायल हुआ था डॉक्टरों ने सही से इलाज नहीं किया। वो लोग अपने तरीके से प्रयास कर रहे थे। मदद करने वाली नर्स को भी डॉक्टर ने बुला लिया। डॉक्टर की लापरवाही से मौत हुई है।



इस संबंध में सिविल सर्जन अशोक कुमार ने बताया कि मोसादपुर गांव से एक युवक को करंट लगने के बाद लाया गया था जो पहले से ही मृत अवस्था में आया था। डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। अब परिजन की ओर से पुरानी मान्यता और विश्वास के तहत इलाज करने की कोशिश की गई, इससे अस्पताल प्रबंधन का कोई लेना देना नहीं है।
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