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Raghuram Rajan Criticism: रघुराम राजन ने ऐसा बोलकर मचाया हंगामा...एक्सपर्ट ने पूछा- भारत को क्या ट्रंप के सामने घुटने टेक देने चाहिए?

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नई दिल्‍ली: पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने आरबीआई गवर्नर रह चुके रघुराम राजन पर करारा पलटवार क‍िया है। सिब्बल ने राजन के उन बयानों को 'सस्ता राजनीतिक प्रहार' बताया है जिनमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच संबंधों पर टिप्पणी की थी। राजन ने कहा था कि मोदी और ट्रंप की व्यक्तिगत दोस्ती का भारत को व्यापार और विदेश नीति के मोर्चे पर कोई खास फायदा नहीं हुआ। सिब्बल ने बिना नाम लिए सोशल मीड‍िया प्‍लेटफॉर्म 'एक्‍स' पर पोस्‍ट किया कि यह हमला उस व्यक्ति के लिए अशोभनीय है जो ऐसा कर रहा है। उन्होंने कहा कि ट्रंप की टैरिफ नीति दोस्ती पर नहीं, बल्कि उनके अपने स्वार्थ पर आधारित है। ट्रंप ने अपने करीबी सहयोगियों को भी नहीं बख्शा और उन पर भी एकतरफा टैरिफ लगाए और रियायतें मांगीं।

सिब्बल ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने मोदी के नेतृत्व में अपनी गरिमा बनाए रखी। अनुचित व्यापार शर्तों के सामने मजबूती से खड़ा रहा। उन्होंने कहा कि अन्य देश ट्रंप के दबाव में झुक गए। लेकिन, भारत ने ऐसा नहीं किया। सिब्बल ने कहा, 'भारत मोदी के नेतृत्‍व में मजबूती से खड़ा रहा, उसने अपनी गरिमा बनाए रखी। एक निष्पक्ष और संतुलित व्यापार समझौते पर जोर दिया। पाकिस्तान का यहां क्या लेना-देना है सिवाय इसके कि फिर से घटिया राजनीति की जाए? ट्रंप इसलिए चिढ़े हुए हैं क्योंकि हम पाकिस्तान के बराबर माने जाने से इनकार करते हैं।'

अर्थशास्‍त्री पर सवालों की झड़ी सिब्बल ने सवाल उठाया कि क्या पूर्व गवर्नर यह कहना चाह रहे हैं कि भारत को अमेरिका के सामने पाकिस्तान की तरह झुक जाना चाहिए। उन्होंने पूछा, 'क्या पूर्व गवर्नर यह तर्क दे रहे हैं कि भारत को ट्रंप के सामने पाकिस्तान की तरह घुटने टेक देने चाहिए? सीजफायर के लिए उन्हें धन्यवाद दें और नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करें?' उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका से दोस्ती का मतलब राष्ट्रीय हितों से समझौता करना नहीं होना चाहिए।

सिब्बल ने पूछा, 'क्या पूर्व गवर्नर यह तर्क दे रहे हैं कि भारत को ट्रंप के साथ दोस्ती के नाम पर अपने कृषि और डेयरी क्षेत्र खोलने चाहिए, जीएमओ फसलों को स्वीकार करना चाहिए और हमारी ऊर्जा नीतियों पर उनके निर्देशों को मानना चाहिए? दोस्तों को भी एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।'



रघुराम राजन ने क्या कहा था?शिकागो काउंसिल ऑन ग्लोबल अफेयर्स की ओर से आयोजित एक बातचीत में राजन ने कहा था, 'मुझे लगता है कि भारत पिछले 20 सालों में अमेरिका के करीब आ रहा था और यह (जो हुआ है) बहुत निराशाजनक है। मैं नेतृत्व की बात नहीं कर रहा हूं, मैं उन लोगों की बात कर रहा हूं जो इस टैरिफ से प्रभावित हुए हैं। मैं घाव पर नमक छिड़कना नहीं चाहता। उसी समय पाकिस्तान की टैरिफ दर 19% है, भारत की 50% है। मोदी और ट्रंप के बीच वह दोस्ती कहां है जिसकी इतनी तारीफ की गई थी? यह मोदी के लिए एक थप्पड़ है क्योंकि भारतीय विपक्ष उनसे पूछ रहा है- आपकी दोस्ती कहां है?'

उन्होंने आगे कहा कि भारत दुनिया का सबसे ज्यादा टैरिफ वाला देश नहीं हो सकता, चीन से भी ज्यादा और फिर अमेरिका सैन्य दोस्ती और गठजोड़ और संयुक्त युद्धाभ्यास आदि की बात करे। क्‍वाड संबंध और संयुक्त सैन्य अभ्यास होते हैं। लेकिन, टैरिफ ने भारत को निराश करने का काम किया।

राजन ने इस बात पर भी चिंता जताई कि भारत को अमेरिका के साथ व्यापार में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत पर लगाए गए टैरिफ दरें चीन से भी ज्यादा हैं जो कि दोस्ती के दावों के बिल्कुल उलट है। राजन ने कहा कि यह स्थिति भारतीय विपक्ष के लिए मोदी पर सवाल उठाने का मौका देती है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ सैन्य सहयोग और दोस्ती की बातें तब खोखली लगती हैं जब व्यापार के मोर्चे पर भारत को इतना नुकसान उठाना पड़ता है।

राजन ने यह भी साफ किया कि उनका मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं, बल्कि एक गंभीर मुद्दे को उठाना था। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी आर्थिक नीतियों में संतुलन बनाए रखना चाहिए और किसी भी देश के साथ दोस्ती के नाम पर अपने हितों से समझौता नहीं करना चाहिए।
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