नई दिल्ली:'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान का मददगार बनने वाले चीन को अब समझ आएगा कि दूसरों के मामले में टांग अड़ाना कितना भारी पड़ सकता है। दरअसल अगले महीने चीन का दुश्मन नंबर-1 देश, फिलीपींस दक्षिण चीन सागर के पास अपनी ताकत का नजराना दुनिया के सामने पेश करेगा। इस दौरान भारतीय सेनाएं भी फिलीपिंस की सेनाओं का हौसला अफजाई करेंगी। इस पूरे घटनाक्रम से चीन को मिर्ची लगना तय है। साथ ही चीन को महसूस होगा कि आतंक को पनाह देने वाले देश, पाकिस्तान का साथ देना कितना भारी पड़ रहा है।
दरअसल अगस्त में फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर भारत की राजकीय यात्रा पर आने वाले हैं। उनकी यात्रा 4 से 8 अगस्त के बीच होगी। इस दौरान भारत और फिलीपींस की नौसेनाएं 3 और 4 अगस्त को पहला संयुक्त समुद्री अभ्यास करेंगी। यह अभ्यास पश्चिमी फिलीपींस के तट पर, दक्षिण चीन सागर के पास स्कारबोरो शोल के नजदीक होगा। स्कारबोरो शोल पर फिलीपींस और चीन दोनों अपना दावा करते हैं। भारत और फिलीपींस के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों और चीन के दबदबे को देखते हुए, इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के रिश्ते को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया जा सकता है।
चीन दक्षिण चीन सागर के ज्यादातर हिस्से और उसके संसाधनों पर अपना दावा करता है। इस वजह से फिलीपींस के साथ उसका टकराव होता रहता है। हालांकि, 2016 में UN कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी (UNCLOS) के तहत चीन के दावे को खारिज कर दिया गया था। फिर भी चीन अपनी मनमानी करता रहता है इससे फिलीपींस की सेना के साथ उसकी समुद्री और हवाई झड़पें होती रहती हैं।
क्यों अहम है यह सैन्य अभ्यास? भारत और फिलीपींस के बीच सैन्य संबंधों को बढ़ाने पर जोर चीन के इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ते दबदबे की वजह से है। फिलीपींस दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दबदबे से जूझ रहा है। यह दबदबा न केवल स्कारबोरो शोल के आसपास है, बल्कि सेकंड थॉमस शोल के आसपास भी है। इस इलाके में चीन और फिलीपींस के बीच अक्सर झड़पें होती रहती हैं। फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर भारत दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरान दोनों देश रक्षा और समुद्री सहयोग बढ़ाएंगे। दोनों देशों की नौसेनाएं पहली बार संयुक्त अभ्यास करेंगी। फिलीपींस, चीन के साथ समुद्री विवादों का सामना कर रहा है। इसलिए भारत के साथ उसका सहयोग महत्वपूर्ण है।
दरअसल अगस्त में फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर भारत की राजकीय यात्रा पर आने वाले हैं। उनकी यात्रा 4 से 8 अगस्त के बीच होगी। इस दौरान भारत और फिलीपींस की नौसेनाएं 3 और 4 अगस्त को पहला संयुक्त समुद्री अभ्यास करेंगी। यह अभ्यास पश्चिमी फिलीपींस के तट पर, दक्षिण चीन सागर के पास स्कारबोरो शोल के नजदीक होगा। स्कारबोरो शोल पर फिलीपींस और चीन दोनों अपना दावा करते हैं। भारत और फिलीपींस के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों और चीन के दबदबे को देखते हुए, इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के रिश्ते को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया जा सकता है।
चीन दक्षिण चीन सागर के ज्यादातर हिस्से और उसके संसाधनों पर अपना दावा करता है। इस वजह से फिलीपींस के साथ उसका टकराव होता रहता है। हालांकि, 2016 में UN कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी (UNCLOS) के तहत चीन के दावे को खारिज कर दिया गया था। फिर भी चीन अपनी मनमानी करता रहता है इससे फिलीपींस की सेना के साथ उसकी समुद्री और हवाई झड़पें होती रहती हैं।
क्यों अहम है यह सैन्य अभ्यास? भारत और फिलीपींस के बीच सैन्य संबंधों को बढ़ाने पर जोर चीन के इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ते दबदबे की वजह से है। फिलीपींस दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दबदबे से जूझ रहा है। यह दबदबा न केवल स्कारबोरो शोल के आसपास है, बल्कि सेकंड थॉमस शोल के आसपास भी है। इस इलाके में चीन और फिलीपींस के बीच अक्सर झड़पें होती रहती हैं। फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर भारत दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरान दोनों देश रक्षा और समुद्री सहयोग बढ़ाएंगे। दोनों देशों की नौसेनाएं पहली बार संयुक्त अभ्यास करेंगी। फिलीपींस, चीन के साथ समुद्री विवादों का सामना कर रहा है। इसलिए भारत के साथ उसका सहयोग महत्वपूर्ण है।
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