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UNSC सीट के लिए भारत को हमारा समर्थन... रूसी विदेश मंत्री ने UN के मंच से किया ऐलान, पश्चिम को दी चेतावनी

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न्यूयॉर्क: रूस ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का स्थायी सदस्य बनाने की मांग की है। शनिवार को 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलते हुए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत और ब्राजील को UNSC का स्थायी सदस्य बनने के लिए मॉस्को के समर्थन का ऐलान किया। लावरोव ने कहा कि दोनों देश विस्तारित और पुनर्गठित सुरक्षा परिषद के प्रबल दावेदार हैं। रूस से पहले भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने भी (यूएनएससी) में भारत को स्थायी तौर पर शामिल करने पर जोर दिया है।



रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कहा, 'हम परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए ब्राजील और भारत के आवेदन का समर्थन करते हैं। सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण है। रूस चाहता है कि एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों के जरिए प्रतिनिधित्व का विस्तार कर इसका लोकतंत्रीकरण किया जाए।' संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 देश हैं। इनमें पांच स्थायी सदस्य हैं, जिनके पास वीटो शक्ति है। भारत लंबे समय से स्थायी सीट की कोशिश कर रहा है।





पश्चिम को चेतावनीसर्गेई लावरोव ने यूएन के मंच से यूरोप के नेताओं को भी चेताया। उन्होंने कहा कि रूस का यूरोप पर हमला करने का कोई इरादा नहीं है लेकिन उनके देश के खिलाफ किसी भी आक्रमण का कड़ा जवाब दिया जाएगा। लावरोव ने कहा कि रूस से किसी को खतरा नहीं है बल्कि खुद खतरे का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि रूस का यूरोपीय या नाटो देशों पर हमला करने का ना तो कभी इरादा रहा है और ना ही है।



विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह संबोधन ऐसे समय आया है, जब नाटो के देशों ने अपने हवाई क्षेत्र में रूसी ड्रोन आने की बात कही है। पोलैंड और एस्टोनिया जैसे देशों ने कहा है कि रूसी लड़ाकू विमान उसके क्षेत्र में उड़े हैं। हालांकि रूस ने इस बात से इनकार किया है कि उनके ड्रोन एस्टोनिया या पोलैंड में गए हैं।



ड्रोन की घुसपैठ को नकारा यूरोपीय संघ के मामलों को देखने वाले रूसी विदेश मंत्रालय के अधिकारी व्लादिस्लाव मास्लेनिकोव ने भी संदिग्ध ड्रोनों के प्रवेश को लेकर मॉस्को पर लगाए जा रहे आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है। उन्होंने यूरोपीय संघ की आलोचना करते हुए इसे उनका उन्माद बताया और दावा किया कि इसका एकमात्र उद्देश्य सैन्य खर्च में वृद्धि को उचित ठहराना है।

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