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ईरान और अफगानिस्तान ने क्या किया कि परेशान होगा पाकिस्तान, मध्य पूर्व में भारत की बल्ले-बल्ले तय

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तेहरान: अफगानिस्तान के तालिबान शासित इस्लामिक अमीरात और ईरान ने चाबहार बंदरगाह के विकास को लेकर बैठक की है। इस बैठक में ईरान में अफगानिस्तान के राजदूत मौलवी फजल मोहम्मद हक्कानी और चाबहार बंदरगाह के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद सईद अरबाबी शामिल हुए। दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने चाबहार बंदरगाह के जरिए व्यापार बढ़ाने पर चर्चा की। यह एक ऐसी पहल है, जिससे पाकिस्तान का परेशान होना स्वाभाविक है। अभी तक अफगानिस्तान समुद्री रास्ते से व्यापार के लिए पाकिस्तान पर निर्भर था। पाकिस्तान इसका बेवजह फायदा भी उठाता था। लेकिन, चाबहार बंदरगाह का रास्ता खुल जाने से अफगानिस्तान की पाकिस्तान पर निर्भरता कम हो जाएगी।

अफगानिस्तान-ईरान बैठक में क्या हुआ
ईरान स्थित अफगान दूतावास ने बताया कि बैठक के दौरान द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने, चाबहार बंदरगाह के भीतर अफगान उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय का कार्यालय स्थापित करने, वित्तीय लेनदेन को सुगम बनाने के लिए अफगानिस्तान-ईरान संयुक्त बैंक की स्थापना, अफगान व्यापारियों को दीर्घकालिक भूमि आवंटित करने और चाबहार-मिलक रेलवे परियोजना को अंतिम रूप देने सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई।


भारत और अफगानिस्तान में ईरानी राजदूत सक्रिय

इसके अलावा, दोनों पक्षों ने अफगान व्यापारियों को विस्तारित वीजा प्रदान करने और उनके सामने आने वाली किसी भी समस्या का समाधान करने के महत्व पर जोर दिया। यह बैठक हाल ही में अफगानिस्तान और भारत में ईरानी राजदूतों की एक सामूहिक बैठक के दौरान हुई, जिन्होंने चाबहार में अफगान व्यापारियों के साथ बैठक की और क्षेत्रीय व्यापार गतिशीलता के लिए इन बातचीत के महत्व को रेखांकित किया।

भारत की बल्ले-बल्ले कैसे
दरअसल, भारत ने पिछले साल ही ईरान के चाबहार बंदरगाह का ऑपरेशन संभाला है। ऐसे में अगर अफगानिस्तान समुद्री व्यापार के लिए चाबहार का इस्तेमाल करता है, तो उसकी निर्भरता पाकिस्तान के बजाए भारत पर बढ़ेगी। चाबहार से भारत को भी कमाई होगी और व्यापार के नए रास्ते खुलेंगे। भारत इस रास्ते से न सिर्फ अफगानिस्तान, बल्कि मध्य एशियाई देशों और यूरोप में भी व्यापार को बढ़ा सकता है।
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