न्यूयॉर्क: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन की संप्रभुता को अपना समर्थन दोहराया है। भारत और इजरायल के रिश्ते हालिया वर्षों में बेहतर हुए हैं लेकिन भारत ने फिलिस्तीन पर अपना रुख बरकरार रखा है। इजरायली रुख के उलट भारत ने फिलिस्तीन मुद्दे के टू-स्टेट समाधान पर एक बार फिर जोर दिया है। यूएन में भारतीय स्थायी प्रतिनिधि (पीआर) की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब इजरायली संसद में वेस्ट बैंक पर कब्जा स्थापित करने के विधेयक पर मतदान हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश ने गुरुवार को फिलिस्तीन पर बहस में अपनी बात रखी। उन्होंने दोहराया कि व्यापक मध्य-पूर्व में स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए संवाद, कूटनीति और द्वि-राज्य समाधान ही विकल्प है। हरीश ने इस दौरान फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय स्वतंत्रता और संप्रभुता के अधिकारों के लिए भारत के अटूट समर्थन को दोहराया।
ट्रंप की तारीफपी हरीश ने फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय स्वतंत्रता और संप्रभुता के अपरिहार्य अधिकारों के प्रति भारत के अटूट समर्थन को दोहराते हुए कहा कि एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य आर्थिक रूप से व्यवहार्य होना चाहिए। गाजा में पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने फिलिस्तीन को 17 करोड़ डॉलर से अधिक की सहायता भेजी है, जिसमें 4 करोड़ डॉलर की परियोजनाएं शामिल हैं।
भारतीय प्रतिनिधि ने गाजा समझौते को हासिल करने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि अमेरिका की इस ऐतिहासिक पहल ने शांति की दिशा में कूटनीतिक गति प्रदान की है और सभी पक्षों को इस संबंध में अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए। हरीश ने शांति समझौते को सफल बनाने में भूमिका के लिए मिस्र और कतर की मध्यस्थता की भी सराहना की।
चीजों को पटरी से ना उतारेंभारतीय प्रतिनिधि ने कहा, 'भारत को उम्मीद है कि जो सकारात्मक कूटनीतिक गति पैदा हुई है, उससे क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित होगी। अब समय आ गया है कि सभी पक्ष चल रहे शांति प्रयासों का समर्थन करें, ना कि इनको पटरी से उतारें। नई दिल्ली संबंधित पक्षों की ओर से उठाए गए किसी भी एकतरफा कदम का दृढ़ता से विरोध करती है।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश ने गुरुवार को फिलिस्तीन पर बहस में अपनी बात रखी। उन्होंने दोहराया कि व्यापक मध्य-पूर्व में स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए संवाद, कूटनीति और द्वि-राज्य समाधान ही विकल्प है। हरीश ने इस दौरान फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय स्वतंत्रता और संप्रभुता के अधिकारों के लिए भारत के अटूट समर्थन को दोहराया।
ट्रंप की तारीफपी हरीश ने फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय, राष्ट्रीय स्वतंत्रता और संप्रभुता के अपरिहार्य अधिकारों के प्रति भारत के अटूट समर्थन को दोहराते हुए कहा कि एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य आर्थिक रूप से व्यवहार्य होना चाहिए। गाजा में पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने फिलिस्तीन को 17 करोड़ डॉलर से अधिक की सहायता भेजी है, जिसमें 4 करोड़ डॉलर की परियोजनाएं शामिल हैं।
भारतीय प्रतिनिधि ने गाजा समझौते को हासिल करने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि अमेरिका की इस ऐतिहासिक पहल ने शांति की दिशा में कूटनीतिक गति प्रदान की है और सभी पक्षों को इस संबंध में अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए। हरीश ने शांति समझौते को सफल बनाने में भूमिका के लिए मिस्र और कतर की मध्यस्थता की भी सराहना की।
चीजों को पटरी से ना उतारेंभारतीय प्रतिनिधि ने कहा, 'भारत को उम्मीद है कि जो सकारात्मक कूटनीतिक गति पैदा हुई है, उससे क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित होगी। अब समय आ गया है कि सभी पक्ष चल रहे शांति प्रयासों का समर्थन करें, ना कि इनको पटरी से उतारें। नई दिल्ली संबंधित पक्षों की ओर से उठाए गए किसी भी एकतरफा कदम का दृढ़ता से विरोध करती है।
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