भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। आगरा के एक साधारण परिवार से निकलकर क्रिकेट के मैदान पर अपनी बहुमुखी प्रतिभा का लोहा मनवाने तक का उनका सफर प्रेरणा और अटूट संघर्ष की कहानी है। दीप्ति शर्मा का क्रिकेट की दुनिया में आना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। आगरा जैसे शहर का गलियों से निकलकर दीप्ति ने पूरे देश के नाम को दुनिया में रौशन कर दिया। जी हां, दीप्ति भारत की पहली वनडे वर्ल्ड कप जीत में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुनी गई हैं। लेकिन दीप्ति शर्मा का यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा।
दीप्ति शर्मा ने मुश्किलों से काटा सफर छोटी उम्र में दीप्ति अपने बड़े भाई सुमित शर्मा को क्रिकेट अभ्यास करते हुए देखने के लिए आगरा के एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम जाया करती थीं। जब वह सिर्फ 9 साल की थीं तो एक मैच के दौरान गेंद उनके पास आकर रुकी। तभी अपने भाई के कहने पर उन्होंने लगभग 50 मीटर की दूरी से गेंद को सीधे स्टंप पर थ्रो किया। इस अचूक निशाने को देखकर उस समय की भारतीय महिला क्रिकेट टीम की चयनकर्ता हेमलता काला ने उन्हें देखा और हैरान रह गईं। उन्होंने तुरंत दीप्ति के भाई से कहा, 'इस बच्ची को क्रिकेट खिलाओ, यह एक दिन देश के लिए खेलेगी।' यह एक थ्रो दीप्ति के जीवन में एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ जिसने उनके भविष्य की दिशा तय कर दी।
शुरू में आईं कई दिक्कतें
दीप्ति के लिए यह सफर आसान नहीं था। एक साधारण परिवार से होने के कारण उन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में उनके परिवार को क्रिकेट को करियर के रूप में चुनने के लिए मनाने में संघर्ष करना पड़ा। हालांकि, भाई सुमित का पूरा सहयोग मिला और बाद में उनके माता-पिता ने भी पूरा साथ दिया। पड़ोसियों और रिश्तेदारों के तानों का सामना करना पड़ा। एक लड़की का अकेले क्रिकेट कैंप में जाना और खेल को इतनी गंभीरता से लेना कई रूढ़िवादी सोच वाले लोगों को पसंद नहीं आया।
तेज गेंदबाज से स्पिनर बनीं दीप्तिकरियर की शुरुआत में दीप्ति मध्यम गति की तेज गेंदबाज थीं लेकिन बाद में ऑफ-स्पिन गेंदबाजी की ओर शिफ्ट करना उनके लिए गेम-चेंजर साबित हुआ। इसके लिए उन्हें नई तकनीक सीखने और कड़ी मेहनत करनी पड़ी। दीप्ति ने इन सभी बाधाओं को अपने समर्पण और कड़ी मेहनत से पार किया।
उन्होंने 2014 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया। 2017 में आयरलैंड के खिलाफ उन्होंने पूनम राउत के साथ 320 रनों की वर्ल्ड रिकॉर्ड ओपनिंग साझेदारी की, जिसमें उन्होंने स्वयं 188 रन की ऐतिहासिक पारी खेली जो महिला वनडे क्रिकेट में तीसरा सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है। अब 2025 आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप में उनके ऑलराउंड प्रदर्शन (200 से अधिक रन और 22 विकेट) के लिए उन्हें 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' चुना गया जिससे भारत ने पहली बार विश्व कप खिताब जीता।
कई रिकॉर्ड हैं नामदीप्ति टी20 इंटरनेशनल में 100 विकेट लेने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर हैं और WPL में हैट्रिक लेने वाली भी पहली भारतीय गेंदबाज हैं। क्रिकेट में उनके योगदान के लिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें डीएसपी के पद पर नियुक्त किया। दीप्ति शर्मा का जीवन यह सिखाता है कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार और समर्पित हैं, तो परिवार के समर्थन और दृढ़ संकल्प से आप हर मुश्किल को पार करके एक दिन टॉप पर पहुंच सकते हैं।
दीप्ति शर्मा ने मुश्किलों से काटा सफर छोटी उम्र में दीप्ति अपने बड़े भाई सुमित शर्मा को क्रिकेट अभ्यास करते हुए देखने के लिए आगरा के एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम जाया करती थीं। जब वह सिर्फ 9 साल की थीं तो एक मैच के दौरान गेंद उनके पास आकर रुकी। तभी अपने भाई के कहने पर उन्होंने लगभग 50 मीटर की दूरी से गेंद को सीधे स्टंप पर थ्रो किया। इस अचूक निशाने को देखकर उस समय की भारतीय महिला क्रिकेट टीम की चयनकर्ता हेमलता काला ने उन्हें देखा और हैरान रह गईं। उन्होंने तुरंत दीप्ति के भाई से कहा, 'इस बच्ची को क्रिकेट खिलाओ, यह एक दिन देश के लिए खेलेगी।' यह एक थ्रो दीप्ति के जीवन में एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ जिसने उनके भविष्य की दिशा तय कर दी।
शुरू में आईं कई दिक्कतें
दीप्ति के लिए यह सफर आसान नहीं था। एक साधारण परिवार से होने के कारण उन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में उनके परिवार को क्रिकेट को करियर के रूप में चुनने के लिए मनाने में संघर्ष करना पड़ा। हालांकि, भाई सुमित का पूरा सहयोग मिला और बाद में उनके माता-पिता ने भी पूरा साथ दिया। पड़ोसियों और रिश्तेदारों के तानों का सामना करना पड़ा। एक लड़की का अकेले क्रिकेट कैंप में जाना और खेल को इतनी गंभीरता से लेना कई रूढ़िवादी सोच वाले लोगों को पसंद नहीं आया।
तेज गेंदबाज से स्पिनर बनीं दीप्तिकरियर की शुरुआत में दीप्ति मध्यम गति की तेज गेंदबाज थीं लेकिन बाद में ऑफ-स्पिन गेंदबाजी की ओर शिफ्ट करना उनके लिए गेम-चेंजर साबित हुआ। इसके लिए उन्हें नई तकनीक सीखने और कड़ी मेहनत करनी पड़ी। दीप्ति ने इन सभी बाधाओं को अपने समर्पण और कड़ी मेहनत से पार किया।
उन्होंने 2014 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया। 2017 में आयरलैंड के खिलाफ उन्होंने पूनम राउत के साथ 320 रनों की वर्ल्ड रिकॉर्ड ओपनिंग साझेदारी की, जिसमें उन्होंने स्वयं 188 रन की ऐतिहासिक पारी खेली जो महिला वनडे क्रिकेट में तीसरा सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है। अब 2025 आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप में उनके ऑलराउंड प्रदर्शन (200 से अधिक रन और 22 विकेट) के लिए उन्हें 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' चुना गया जिससे भारत ने पहली बार विश्व कप खिताब जीता।
कई रिकॉर्ड हैं नामदीप्ति टी20 इंटरनेशनल में 100 विकेट लेने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर हैं और WPL में हैट्रिक लेने वाली भी पहली भारतीय गेंदबाज हैं। क्रिकेट में उनके योगदान के लिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें डीएसपी के पद पर नियुक्त किया। दीप्ति शर्मा का जीवन यह सिखाता है कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार और समर्पित हैं, तो परिवार के समर्थन और दृढ़ संकल्प से आप हर मुश्किल को पार करके एक दिन टॉप पर पहुंच सकते हैं।
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