जी हाँ ये सच है महिलाओं लड़कियों को भी स्वपन दोष होता है, आज तक हम सब यही समझते थे कि सिर्फ पुरुष ही इस समस्या का शिकार होते है और शर्मिंदगी उठाते है किन्तु ये रोग स्त्रियों को भी अपना शिकार बनाता है. जैसाकि आप जानते ही है कि स्वप्न दोष युवा पीढ़ी को अधिक होता है और ये दर्शाता है कि अब उनका युवा की गुप्तांग ग्रंथियाँ परिपक्व हो चुकी है. उनके अंदर वो द्रव बनना आरम्भ हो चूका है जो उनके पौरुष बल का साबुत होता है.
औरतों में स्वपन दोष : कुछ मनोचिकित्सकों ने शोध में पाया कि जब लडकियाँ या पत्नियाँ अधिक दिनों तक अपने पति से दूर रहती है तो उन्हें काम का एक अजीब अहसास होता है जो उनसे बर्दाश्त नहीं होता, ये उनके शरीर में एक तीव्र काम इच्छा का संचार करता है और उनके अंदर शारीरिक संबंध बनाने की चाह पैदा करता है. अगर इसी इच्छा को दबाकर वे सो जाती है तो उठने पर उन्हें पता चलता है कि उन्हें स्वप्न दोष हो गया है. लड़कों की भाँती उनके कपड़ों पर कोई दाग नहीं होता और ना ही उन्हें शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है बल्कि उनके गुप्तांगों में अंदर गीलापन और चिकनापन हो जाता है, जिसे वो इस बात को समझ जाती है.
शुरुआत में लड़कियों को इस बात का पता नहीं होता क्योकि उनके गुप्तांग अंदर की तरफ विकसित होते है. किन्तु जैसे जैसे वे बड़ी होती है उन्हें सब पता चल जाता है. उन्हें उनके गुप्तांगों में घर्षण के कारण भी स्वपन दोष होता है. ये घर्षण वे खुद भी कर सकती है, टाइट पैंटी पहनने से भी उन्हें घर्षण होता है, सोते वक़्त उनके पैरों के बीच घर्षण उनके गुप्तांगों में भी घर्षण करते है. इस तरह वे सोते हुए भी उत्तेजना महसूस करती है और उन्हें स्वप्न दोष हो जाता है. लडकियाँ अगर अधिक कल्पना भी कर लें तो वो भी उनके गुप्तांगों में गीलापन कर देता है.
स्वास्थ्य के लिए लाभदायी कामोत्तेजना : जब भी किसी लड़की के गुप्तांगों में उत्तेजना की वजह से घर्षण होता है तो इससे उनके अंगों में रक्तसंचार बढ़ता है जो उनके प्रजनन स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. ये उनके काम अंगों को लचीला बनायें रखता है, जिससे वे किसी भी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाते वक़्त सहज महसूस करती है और इस तरह प्रजनन के दौरान उन्हें कम दर्द का आभास होता है.
स्वप्न दोष – दोष है या नहीं : अधिकतर समाज इसी बात की तरफदारी करता है कि उन्हें अपने पौरुष बल और द्रव को संजोकर रखना चाहियें, उसे ऐसे ही व्यर्थ नहीं निकालना चाहियें. उनका मानना है कि इस तरह स्खलन से शारीरिक और मानसिक कमजोरी होती है. जबकि आधुनिक विज्ञान के अनुसार स्वपन दोष कोई दोष नहीं है, उनका मानना है कि जब शरीर में ये द्रव बढ़ जाता है तो वो बाहर निकलने के लिए रास्ता खोजता रहता है और जब काम भावना मन में आती है तो उसे निकलने का मार्ग मिल जाता है और वो बाहर आ जाता है. इसकी आप पानी की टंकी के साथ भी तुलना कर सकते हो जिसमें पानी भरने के बाद अतिरिक्त पानी अपने आप निकल जाता है.
कैसे रोकें : किसी भी चीज की अति हानिकारक ही होती है और अगर आप शारीरिक संबंधों के बारे में अधिक सोचते हो और अधिक अश्लील फ़िल्में देखते हो, अधिक मसालेदार, शराब, सिगरेट और खट्टी चीजें खाते हो तो इससे आपके अंदर बार बार उत्तेजना पैदा होती है और बार बार स्खलन होता है. इसलिए इन चीजों से बच कर रहें.