क्या आप जानते हैं कि कजरी तीज का व्रत महिलाओं के लिए कितना खास होता है? यह त्योहार हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो इस साल 12 अगस्त 2025 को मनाया गया। कजरी तीज खासतौर पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, सुयोग्य पति की प्राप्ति और दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए निर्जला (बिना जल) व्रत रखती हैं। इस व्रत में उनका पूरा दिन उपवास रहता है और जैसे करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है, वैसे ही कजरी तीज पर भी रात को चंद्र देव को जल अर्पित कर व्रत तोड़ा जाता है।कजरी तीज 2025 का चंद्रमा उदय समय और शुभ मुहूर्तकजरी तीज की तृतीया तिथि 11 अगस्त 2025 को सुबह 10:33 बजे शुरू होकर 12 अगस्त को सुबह 8:40 बजे समाप्त होगी।इसी दिन शाम के समय चंद्रमा 8:20 बजे से 9:00 बजे के बीच (अपने क्षेत्र के अनुसार थोड़ा भिन्न) निकलता है।पूजा का गोधूली मुहूर्त शाम 7:03 बजे से 7:25 बजे तक माना गया है जिससे पूजा कर लेना शुभ रहता है।अधिकांश स्थानों पर चांद का उदय रात 8 बजे के आसपास होता है, जैसे दिल्ली में 8:43 बजे, मुंबई में 9:04 बजे, और बेंगलुरु में 8:47 बजे।कजरी तीज पूजा विधि और उपवास का तरीकासुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित कर घी का दीपक जलाएं।माता गौरी को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें जिसमें सिंदूर, चूड़ी, मेहंदी और आभूषण शामिल होते हैं।बेलपत्र, दूध, गंगा जल, चंदन, भांग इत्यादि भगवान शिव को अर्पित करें।कथा सुनें या पढ़ें, जो व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।शाम को नीम के पेड़ (नीमड़ी माता) की पूजा करें जो इस पर्व की एक विशेष परंपरा है।चंद्रमा को जल अर्पित करें, हाथ में चांदी की अंगूठी या सिक्का और गेहूं के दाने जरूर रखें।बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर व्रत का पारण करें।कजरी तीज का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वकजरी तीज माता पार्वती के अटूट प्रेम और तपस्या को समर्पित है। इसे मनाने वाले संयम, समर्पण, और पति की लंबी उम्र तथा सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। कई लोक कथाओं में इसे प्रेम, त्याग, और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, इस दिन उपवास से मानसिक शुद्धि और आत्मा की शक्ति भी बढ़ती है। यह व्रत महिलाओं में धैर्य, सामर्थ्य और श्रद्धा का परिचायक है।कजरी तीज पर खास परंपरागत व्यंजनघी और शक्कर से बनी गेवर मिठाईसत्तू, जो भात के रूप में भी दिया जाता हैखीर, पूरी, मालपुआ, गुजिया और सेलेमन हलवा जैसी मिठाइयां पूजा के प्रसाद के रूप में बनती हैं और प्रसाद के रूप में बांटी जाती हैं।
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